रायपुर। संसदीय सचिव एवं विधायक विकास उपाध्याय की अनुपस्थिति में कांग्रेस के लोगों ने आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपिता गांधी जी के और शास्त्री जी के अमर रहे नारों के साथ उन्हें याद किया। श्रद्धाजलि के इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से रमेश झाबक, संदीप तिवारी, वेद प्रकाश कुशवाहा, हर्षित जायसवाल सहित विधायक कार्यालय के समस्त कर्मचारी उपस्थित थे।
इस मौके पर विकास उपाध्याय ने प्रवास पर होने के बावजूद भेजे अपने संदेश में कहा है, गांधी जैसा दुश्वार राष्ट्रवादी मिलना मुश्किल है। जब पूरे देश में आधिकारिक नागरिकता सूचि के बहाने विदेशियों को खोजने और बाहर करने की मुहिम के नाम पर एक छुपे हुए अल्पसंख्यक विरोध को हवा दी जा रही है तब यह कितना अविश्वसनीय लगता है कि गांधी विदेशियों की ही नहीं अपने आक्रान्त समाज की जानमाल की रक्षा को लेकर इतने संवदेनशील थे कि वे सबका विरोध सहते हुए भी इसे जिन्दा कर सकते थे।
उन्होंने कहा, राजमोहन गांधी की किताब मोहनदास बताती है कि जलियावाला बाग हत्याकांड के बाद 1919 में अमृतसर में ही हुए कांग्रेस के अधीवेशन में जब इस हत्याकांड का निंदा प्रस्ताव लाया गया तो गांधी जी ने इसमें उन 05 अंग्रेजों की हत्या की निंदा का प्रस्ताव भी जुड़वाया, जो इस हत्याकांड से कुछ दिन पहले अमृतसर में मार दिए गए थे। पूरे अधीवेशन में इसको लेकर हंगामा हो गया। यह उलाहना दिया गया कि यह किसी भारतीय माँ की कोख से जन्मी संतान का प्रस्ताव नहीं हो सकता। तब गांधी जी ने कहा, यह प्रस्ताव किसी भारतीय माँ की कोख से जन्मी संतान का ही हो सकता है, यह प्रस्ताव उनका है।
विकास उपाध्याय ने कहा, अब हम गोड़से पर लौटते हैं- गोड़से के हांथ में वह पिस्तौल थी जिससे गांधी को गोली मारी गई, लेकिन गोड़से का हांथ गांधी की दिशा में मोड़ने वाले हांथ कौन थे यह किसी से छुपा नहीं है। सरदार पटेल बता गए हैं कि गांधी की हत्या उस जहरीले माहौल के कारण हुई जिसे संघ ने तैयार किया था। विकास उपाध्याय ने कहा, गांधी जी तब भी प्रासंगिक थे और आज भी हैं, जिसे भारत ही नहीं पूरा विश्व मानता है।