रायपुर : खाद्य और संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 152वीं जयंती पर संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित ’आजादी का अमृत उत्सव’ कार्यक्रम में शामिल हुए। श्री भगत इस दौरान गांधी जयंती के उपलक्ष्य में इतिहास और कार्टून की नजर में गांधी दर्शन और विकासखण्ड पाटन के जमराव उत्खनन से प्राप्त मूर्तियों, शिलालेखों, सिक्कों, सिलबट्टा और मृद्भाण्डों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। श्री भगत ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धा-सुमन अर्पित कर गांधी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व को याद कर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहें लोगों को जयंती की बधाई और शुभकामनाएं दी।
संस्कृति मंत्री श्री भगत ने कहा कि गांधी जी, केवल गांधी जी ही नहीं बल्कि एक विचारधारा हैं, एक संदेश हैं, वे हमेशा शांति के पक्षधर रहें, उन्होनें समतामूलक समाज की कामना करते हुये तत्कालीन समय में व्याप्त ऊंच-नीच, जात-पात, भेद-भाव, छूआ-छूत एवं अन्य सामाजिक बुराईयों को दूर करने सफल प्रयास किया। उन्होनें कहा कि गांधी जी जब साउथ अफ्रीका में थे तो वहां लोगों के प्रति अत्याचार को देखा, जब वे भारत लौटकर भारत दर्शन के लिए निकले तो पाया कि यहां जात-पात, ऊंच-नीच, भेद-भाव जैसे अन्य सामाजिक बुराईयों के कारण हमारे देश के लोग खण्ड-खण्ड में बँटे हुए थे। ऐसी परिस्थिति का अवलोकन कर गांधीजी ने प्रण किया और सामाजिक बुराईयों, गरीबों और असहायों पर हो रहे अत्याचारों को दूर करने निकल पड़े। गांधी जी ने किसानों के साथ काम करके उनकी समस्याओं को समझा और समाधान किया। अछूतों के साथ रहकर उनकी समस्याओं से अवगत हुए और उनके प्रति हो रहे अत्याचार के खिलाफ खड़े हुए। उन्होंने अछूतों को मंदिर प्रवेश कराया, समतामूलक समाज निर्माण के लिए लोगों को प्रेरित किया। इस तरह भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में गांधी जी एक विचारधारा के रूप में कार्य करने लगे। यहीं कारण है कि पूरा देश गांधीजी के एक आह्वान पर खड़े हो जाते थे व मर-मिटने के लिए तैयार रहते थे। इसका परिणाम यह हुआ की गांधीजी ने पूरे देश में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अंहिसात्मक आंदोलन चलाया और देश को आजादी दिलाने में सफलता मिली।
संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के सचिव, श्री अन्बलगन पी. ने स्वागत भाषण दिया। उन्होने कहा कि आज हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती मना रहे हैं। उन्होनें कहा कि गांधी जी ने अंग्रेजी हुकूमत से देश को आजाद करने के लिए देश के कोने-कोने के लोगों जागृत करने का काम किया। उन्होनें कहा कि गांधी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व को स्मरण करते हुए उनके बताये हुये मार्ग पर चलना चाहिए। उन्होने कहा कि गांधी जी ने भारत ही नहीं पूरी दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाया, मार्टिन लूथर और नेल्सन मण्डेला भी महात्मा गांधी को अपना गुरू मानते हैं। संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के संचालक श्री विवेक आचार्य ने आभार व्यक्त किया। इस मौके पर पद्मश्री मदन सिंह चौहान, श्री अजय सोनवानी, राजभाषा आयोग के सचिव, श्री अनिल भतपहरी, श्री शशि कुमार, श्री राम पप्पू बघेल सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।