सुबह से ही सामूहिक निकलकर घरों में जा जाकर “छेरछेरा माई कोठी के धान ल हेरते हेरा ” व ” अरन बरन कोदो दरन जबे देबे तभे तरन” जैसे लोकोक्ति कहकर धान को दान में लिया ,
अर्जुनी – अंचल में महादान का लोक पर्व व धन सम्पन्नता का प्रतीक पर्व छेरछेरा धूमधाम से मनाया गया। यह त्यौहार छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहारों में से एक है इसे छेरछेरा पर्व को लेकर अनेक प्रकार की किवदंती व मान्यताएं है।छेरछेरा मांगने और देने के क्रम में कोई छोटा या बड़ा का भाव नही होता है,यह एक ऐसा पर्व है जिसमे गांव का समृद्ध किसान भी मांगता है और मजदूर भी अन्नदान करते है। कृषि प्रधान समृद्ध राज्य होने के साथ ही यह परंपरा प्राचीन है जिसके कारण इसे किसानों के सम्पन्नता का प्रमुख त्यौहार माना जाता है,साथ ही इसे लोगों द्वारा धूमधाम से मनाया गया । बच्चों से लेकर युवा व प्रबुद्ध जन सुबह से ही सामूहिक निकलकर घरों में जा जाकर “छेरछेरा माई कोठी के धान ल हेरते हेरा ” व ” अरन बरन कोदो दरन जबे देबे तभे तरन” जैसे लोकोक्ति कहकर धान को दान में लिया , वही इस पर्व में दान को प्रत्येक घरो में जाकर आधिकारिक स्वरूप में मांगने की परंपरा है। साथ ही इस पर्व में छोटे- बड़े के भाव को न रखते हुए लोग एक दूसरे के घर जाकर छेरछेरा मागते है और लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार दान प्रदान करते है, अर्जुनी के विभिन्न चौक के सेवादल समूहों द्वारा जिसमे, बजरंग चौक, गांधी चौक,मावली चौक व दुर्गा चौक के द्वारा नगर में मांदर के थाप पर सामूहिक छेरछेरा माँगा गया जिससे लोगो मे इस पर्व को लेकर काफी उत्साह देखने को मिला। वंही आसपास के रवान, भद्रापाली,टोनटार,नवागांव,खैरताल,मल्दी इत्यादि गाँवो में इस पर्व को धूमधाम से मनाया गया साथ ही आज के दिन अंचल के विभिन्न स्थानों पर मेला,मड़ई का आयोजन रखा जाता है जिसमे जमुनइया नाला के समीप जोगीदिप,ग्राम नवागांव के भूतेश्वर मेला का आयोजन साथ ही अर्जुनी में भी मड़ई का आयोजन किया गया जिसमें भारी संख्या में महिला पुरुष व बच्चे मेला मड़ई मनाते उत्साहित नजर आए।