रायपुर, 28 जनवरी 2021/छत्तीसगढ़ में महिला एवं बाल विकास विभाग के कोरोना वारियर मैदानी अमले को कोविड-19 टीका लगाने की शुरूआत कर दी गई है। स्वास्थ कर्मचारियों के बाद छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में अब तक 4 हजार 329 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, पर्यवेक्षकों सहित अन्य सहयोगी स्टाॅफ को कोविडेेे वैक्सीन लगाया जा चुका है। टीका लगने के बाद मैदानी अमला फिर से काम में जुट गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार टीका लगने के बाद किसी भी कर्मचारी की तबीयत बिगड़ने संबंधी कोई शिकायत नहीं आई है। जांजगीर-चांपा जिले के बलौदा सेक्टर के वार्ड 13 की 42 वर्षीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती हुलसी बाई ने बताया कि 20 जनवरी को उन्हें कोरोना का टीका लगाया गया था। टीका लगने के बाद एक दिन हल्का बुखार रहा फिर ठीक हो गया। अब उन्हें कोई परेशानी नहीं है और वह नियमित रूप से अपना दैनिक काम कर रही हैं। पहली डोज के 28 दिन बाद वह 17 फरवरी को टीके की दूसरी डोज लगवाने जाएंगी। उन्होंने बताया कि उनके कई साथियों ने टीका लगवाया है और सभी स्वस्थ हैं। श्रीमती हुलसी ने बताया कि लाॅकडाॅउन में उन्होंने घर-घर जाकर कोरोना संक्रमण से बचाव के तरीके समझाए और मास्क लगाना, सुरक्षित दूरी रखने की समझाइश लोगों को दी। इसके साथ ही बच्चों में कुपोषण न हो इसलिए रेडी टू ईट और सूखा राशन लोगों के घरों तक पहुंचाया। बेसहारा लोगों तक भोजन पहुंचाने सहित कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने काम किया है। दंतेवाड़ा जिले के महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्री बृजेन्द्र सिंह ठाकुर ने बताया कि जिले के दंतेवाड़ा, बचेली, बारसूर,गीदम,कटेकल्याण, बडेगुडरा,किरंदुल सहित कुआकोण्डा परियोजना के 283 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता,186 आंगनबाड़ी सहायिका,4 पर्यवेक्षक और 34 अन्य स्टाॅफ इस प्रकार कुल 507 लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाया जा चुका है। टीका लगने के बाद सभी स्टाॅफ स्वस्थ हैं और पहले के तरह काम कर रहे हैं। श्री ठाकुर ने बताया कि उन्होंने खुद कोरोना वैक्सीन लगवाया है, वैक्सीन लगाने के बाद उनको किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण हुए लाॅकडाउन में भी महिला एवं बाल विकास विभाग का मैदानी अमला कोविड-19 के दिशा निर्देर्शों का पालन करते हुए पूरी तरह सक्रिय रहा। इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने कोरोना वारियर की सच्ची भूमिका निभाई। घर-घर जाकर उन्होंने लोगों को संक्रमण से बचाव के लिए जागरूक किया और कुपोषण से बचाव के लिए सूखा राशन और रेडी-टू ईट-पहुंचाया।