भिलाई। इस बार दीपावली में घरों को गोबर से बने दीयों से रोशन करने स्व सहायता समूह की महिलाएं जुटी हुई है। महिला समूह की माताओ का हौसला और आत्मविश्वास बढ़ाने इस दीपावली गोबर से बने दीये से अपने घरों को रोशन करें। यह अपील भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव ने शहर वासियों से की है।
छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार प्रदेश में किसानों,पशुपालको के हित और उत्थान के लिए गो धन योजना चला रही है। इस सर विकासकारी और सराहनीय योजना को सफल बनाने के लिए गोबर के दिये खरीदे।
विधायक श्री यादव की पहल से नगर पालिक निगम भिलाई के गोबर खरीदी केन्द्रों में सवा लाख गोमय दीया निर्मित कर विक्रय करने के लक्ष्य के अनुरूप कार्य किया जा रहा है। गोधन से निर्मित उत्पाद नागरिकों को आसानी से उपलब्ध हो सके इसके लिए विधायक श्री यादव ने
निर्देश पर विभिन्न स्थानों पर स्टाॅल लगाया गया है, ताकि समूह की महिलाएं स्थानीय बाजारों में भी दीये की मांग अनुरूप विक्रय कर सके। स्टाॅल में लोग दीवाली त्योहार में घर को रोशन करने चटक रंग से बने आकर्षक दीये तथा घरों को सजाने के लिए सीनरी, श्रीलक्ष्मी गणेश की प्रतिमा व ग्वालीन भी महिला समूहों के स्टाॅल से खरीदने उत्साह दिखा रहे है। दीया पूर्ण रूप से ईको फ्रेंडली है एक बार इसका उपयोग करने के पश्चात खाद के रूप में भी प्रयुक्त किया जा सकता है। एनयूएलएम के अमन पटले ने बताया कि अब तक जोन 01 में 18 हजार दीये, जोन 03 में 4 हजार दीये तथा जोन 04 में 30 हजार दीये और पूजा के लिए मूर्तियां बन चुकी है।
रंग बिरंगी दीये लोगों का मन मोह रहे स्टाॅल का आकर्षण
भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव महिलाओं को प्रेरित किए। शहरी आजीविका मिशन की महिला समूहों द्वारा गोबर से बने उत्पादों के विक्रय के लिए मुख्य कार्यालय, भिलाई के सूर्या माॅल, जोन 02 निगम कार्यालय एवं हाउसिंग बोर्ड पौनी पसारी, जोन 03 निगम कार्यालय, जोन 04 पाॅवर हाउस बस स्टैण्ड एवं आईटीआई के पीछे गोधन न्याय योजना केंद्र, जोन 05 सेक्टर 06 ए मार्केट एवं सेक्टर 06 सांई मंदिर के सामने स्टाॅल लगाया गया है, स्टाॅल में गोबर से बने चटक रंगो के दीये और मूर्तियां स्टाॅल का आकर्षण बनी हुई है। सूर्या माॅल में शाॅपिंग करने आई यामिन साहू की नजर स्टाॅल पर पड़ी तो चटक रंगो से निर्मित दीये को खरीदने उत्साहित हो गई उन्होंने बताया कि चाईनीस झालरो से अच्छा है कि प्राकृतिक रूप से बने दीये के उपयोग से घर को रोशन करेंगे, इससे हम पारंपरिक त्योहार में प्रकृति से जुड़ते है।
यह पूर्ण रूप से ईको फ्रेंडली है एक बार इसका उपयोग करने के पश्चात खाद के रूप में भी प्रयुक्त किया जा सकता है। इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।