रायपुर 24 दिसम्बर । आजकल शहर में स्वच्छता की बात कुछ ज्यादा ही हो रही है। छत्तीसगढ़ को स्वच्छता हेतु केंद्र सरकार से ढेर सारे पुरस्कार मिले हैं। हमारे महापौर लगातार स्वच्छ रायपुर हेतु एक्टिव हैं। अधिकारियों, पार्षदों को साफ सफाई हेतु टास्क दिए जा रहे हैं। सोशल मीडिया में स्वच्छता संबंधी समाचार छाए हुए हैं ।आज ही निगम का क्लीन सिटी एप लॉन्च किया गया है। लेकिन यत्र तत्र सर्वत्र पान गुटखा खाकर सड़कों बाजारों को रंगने वालों के उपर न कोई उल्लेखनीय कार्यवाही होती दिखती है और ना ही इस हेतु कोई कार्य योजना कोई विभाग बनाते दिखता है ।
आप मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में किसी प्रमुख रोड पर पान की पिचकारी मारकर देखिए आपको फाइन तो भरना ही होगा और आप बहस करेंगे तो हो सकता है आपको की गई गंदगी साफ करने को भी कहा जाय । सबसे अच्छी बात वहां यह हो रही है कि सड़क पर थूकने पर आपको आम आदमी भी टोक देगा । रायपुर मे आप किसी को टोकिए 99 बार “चलो चलो अपना काम करो” जवाब आएगा।
कुछ समय पहले इंदौर से मेरा एक परिचित रायपुर आया था उसे शहर में 4-6 जगह काम था तो मैंने अपनी दोपहिया उसे दे दी । शाम को लौटने पर उसके मुंह से सबसे पहले निकला ” यार इस शहर में लोग कितना थूकते हैं?”
जी हां आप मालवीय रोड पर पैदल चलिए हर आठवां नौवां या निश्चित रूप से दसवां व्यक्ति आपको सड़क पर पिचकारी मारते दिख जायेगा ।
स्वच्छता हेतु कुछ करने का जज्बा रखने वाले महापौर जी का मैं सिर्फ दस मिनिट खर्च कराना चाहता हूं “आप अपने ही वार्ड में किसी भी वर्किंग डे में चिकनी मंदिर चौक से पैदल जमीन पर देखते हुए शास्त्री बाजार गेट तक जाइए और वापिस आइए” मेरा दावा है चिकनी मंदिर चौक तक वापिस आने तक इस समस्या हेतु कुछ करने का प्रण आप ले चुके होंगे । इस लेख के पाठकों से मेरा अनुरोध है आप भी एक बार ऐसा कीजिए फिर अपनी मन: स्थिति मेरे व्हाट्सएप नंबर पर शेयर कीजिए।
पाठक सोच रहे होंगे क्या विषय लेकर बैठ गया। जी नहीं, चलते दोपहिया से बिना आगे पीछे देखे पिचकारी मारने वाले चालकों, सिग्नल पर कार का गेट खोलकर ऐन जेब्रा लाइन की सफेदी को बदरंग करने वालों और सड़क से पीकदान का काम लेने वालों को रोकने, टोकने और दंडित किए बिना शहर को साफ सुथरा रखने का हर प्रयास पूर्णता को प्राप्त नहीं होगा।
किसी दिन शहर के हर वार्ड में तीन तीन चार चार स्वच्छता दीदियों को चालान बुक लेकर तैनात कर दीजिए, नगर निगम का खजाना भर जायेगा । धीरे धीरे सड़कें भी साफ सुथरी हो जाएंगी ।
क्या इस काम के लिए भी एक एप की जरूरत नहीं ?
आर के गुप्ता
स्वतंत्र पत्रकार