रायपुर। नौकरी लगवाने के नाम पर ठगी के आरोपी को तीन वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। इस प्रकरण में शासन की ओर से दिलीप जैन, लोक अभियोजक ने पैरवी की। प्रकरण के संबंध में लोक अभियोजक श्री दिलीप जैन ने बताया कि यह दांडिक अपील प्रकरण मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, केषकाल, जिला- कोण्डागांव के निर्णय आदेष कि विरूद्ध प्रस्तुत किया गया ।
इस प्रकरण में प्रार्थी कुंदन लाल साहू को आरोपी विवेक पटनायक जो तृतीय श्रेणी लिपिक के रूप में तकनीकी विभाग मंत्रालय रायपुर में पदस्थ है, के द्वारा अपने विभाग में पहले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में नियुक्ति करा दूंगा और कुछ माह बाद नौकरी स्थायी हो जाएगी का आष्वासन देते हुए अपने भारतीय स्टेट बैंक के खाता में रूपये जमा करने हेतु कहा, जिस पर प्रार्थी ने स्टेट बैंक की शाखा केषकाल जिला कोण्डागांव में दिनांक 11.06.2012 को आरोपी के स्टेट बैंक खातें में 50000.00 रू. दिनांक 16.06.2012 को अ अन्य खाता जो सुषांत सिन्हा के नाम पर में 25000.00 रू. दिनांक 20.06.2012 को भारतीय स्टेट बैंक शाखा कांकेर से आरोपी के खाते में 250000.00 रू., एवं एक अन्य खाते जो नरोत्तम कुमार के नाम पर में 5000.00 रू. दिनांक 20.06.2012 को भारतीय स्टेट बैंक शाखा कांकेर के खाता जो सुषांत सिन्हा के नाम पर है में 25000.00 रू. दिनांक 23.06.2012 को भारतीय स्टेट बैंक शाखा केषकाल से जो नीलकंठ पटेल के नाम पर है उससे आरोपी के खाते में 50000.00 रू. दिनांक 13.05.2013 को भारतीय स्टेट बैंक शाखा केषकाल के खात से जो सुषांत सिन्हा के नाम पर है में 20000.00 रू. दिनांक 16.09.2013 को छ.ग. ग्रामीण बैंक शाखा केषकाल से एन.ई.एफ.टी. द्वारा एस.सी. कुर्रे के ओरिएन्टल बैंक आफ कामर्स के खाता में 50000.00- 50000.00 रू. दो बार ट्रांसफर किये गये ।
आरोपी विवेक पटनायक द्वारा प्रार्थी से आज-कल में दैनिक वेतन भोगी के रूप में नियुक्ति करने की बात कही जाती रही, पंरतु दिनांक 04.06.2015 को उसने पैसा वापस नहीं करूगां क्या कर लोगे कहकर उसे भगा दिया और उसे जान से मारने की धमकी दी । प्रार्थी की उक्त् आष्य की लिखित षिकायत के आधार पर आरोपी के विरूद्ध थाना केषकाल के अप.क्र. 90/15 धारा 420, 506 भा.दं.सं. के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गयी ।
विवेचना के दौरान प्रार्थी कुन्दनलाल साहू ने बताया कि वर्ष 2012 में ग्राम बोरी में अपने चाचा तीर्थराम साहू के घर रूकने के दौरान संतोष साहू के भी वहीं रूके होने पर उससे मुलाकात होने के दौरान संतोष द्वारा यह कहना कि उसकी जान पहचान का विवेक पटनायक (आरोपी) नाम के एक अधिकारी मंत्रालय में है, जो नौकरी लगवाता है, अगर तुम नौकरी करना चाहो तो उसका नंबर तुम्हे देता हूं । प्रार्थी का फोन नंबर भी उक्त संतोष के द्वारा आरोपी को दिया जाना बताया है । बाद में आरोपी का फोन आने पर उसने यह कहा था कि उसके व्यवसाय में कोई निष्चित आमदनी नहीं रहती है नौकरी मिलेगी तो कर लंूगा, इस पर आरोपी ने रायपुर में आकर मिलने हेतु कहा था । बाद में वह मई 2012 में रायपुर गया और कलेक्टर गार्डन में विवेक पटनायक से मुलाकात की, वहीं फोन करने पर उक्त संतोष भी आ गया, तब आरोपी ने आष्वस्त किया था कि पहले डेलीवेजेस मेें नौकरी लगेगी उसके बाद स्थायी हो जायेगा तथा नौकरी के लिए पैसा देना होगा । इस पर उसने कहा कि वह एक साथ पैसा नहीं दे पायेगा तो आरोपी ने यह कहा कि जब वह फोन करके बतायेगा तब पैसा दे देना और उसी एकाउण्ट में पैसा डालना । बाद में उसने अलग-अलग तिथियों में अलग-अलग खातों में पैसा डालकर आरोपी को 3,20,000.00 रू. दिये थे। पंरतु बाद में आरोपी ने वर्ष 2015 में फोन करने पर कहा कि बार-बार फोन मत करो, पैसा नहीं दूंगा तो क्या कर लोगे फिर प्रार्थी ने थाने में लिखित आवेदन दिया था । विवेचना उपरांत आरोपी के विरूद्ध पर्याप्त साक्ष्य पाये जाने पर अभियोजन पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया ।
प्रकरण पर विचारण कर कोण्डागांव जिला के अपर सत्र न्यायाधीश, के.पी. सिंह भदौरिया ने आरोपी/अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील को अस्वीकार करते हुए आरोपी को धारा 420 भा.दं.सं. के अपराध में 03 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5000.00 रू0 के अर्थदण्ड, अर्थदण्ड नहीं पटाने पर 03 माह के अतिरिक्त सश्रम करावास, की सजा भुगताये जाने का आदेष पारित किया गया है ।