रायपुर. छत्तीसगढ़ फिल्म और विजुअल आर्ट सोसायटी मुक्तिबोध राष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन 26 मार्च से 30 मार्च तक करने जा रही है. अपनी परंपरा के मुताबिक इस बार भी इस नाट्य समारोह में देश के कई जानेमाने रंगकर्मी अपनी प्रस्तुति देने जा रहे हैं. पांच दिवसीय ये नाट्य समारोह रंगमंदिर और जनमंच में आयोजित होगा. इस बार समारोह में 17 नाटकों की प्रस्तुति होगी, पहले दिन लेखक असगर वजाहत की मौजूदगी में उनके लिखे चर्चित नाटक गोडसे @गांधी .कॉम का मंचन रचना मिश्रा के निर्देशन में किया जाएगा. इस दौरान असगर वजाहत के नाटकों के दो खंडों का विमोचन सुपरसिध्द कवि उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल के हाथों होगा. 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस के मौके पर सिविल लाइन स्थित वृंदावन हॉल में सुबह 11 बजे असगर वजाहत नाटकों पर व्याख्यान देंगे. 27 मार्च को भिलाई, रायपुर और भोपाल की टीम प्रस्तुति देंगी.
गौरतलब है कि पिछले कई वर्षौं से मुक्तिबोध नाट्य समारोह का आयोजन रायपुर में हो रहा है. इस समारोह में देश के तमाम बड़े रंगकर्मी अपनी प्रस्तुती दे चुके हैं.
मुख्य अतिथि असग़र वजाहत के बारे में-
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि असग़र वजाहत का जन्म 5 जुलाई 1946 को फतेहपुर, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। मूलतः असग़र वजाहत कहानीकार हैं। कहानी के बाद उन्होंने गद्य साहित्य की लगभग सभी विधाओं में लेखन किया और अपने लिए हमेशा नए प्रतिमान बनाए। आपकी कहानियों के अनुवाद 8-9 अलग अलग भाषाओं अंग्रेजी, इतालवी, रूसी, फ्रेंच, ईरानी, उज्बेक, हंगेरियन, पोलिश में हो चुके हैं। असगर वजाहत का पहला नाटक ‘फिरंगी लौट आये’ 1857 की पृष्ठभूमि पर आधारित था। आपातकाल के दौरान ‘फरमान’ नाम से इसे टेली प्ले के रूप में फिल्माया गया तथा इसके प्रसारण भी हुए थे। ‘जिस लाहौर नई देख्या ओ जम्याइ नई’ – ने देश और देश के बाहर भी लोकप्रियता के नये मानदंड कायम किये। हबीब तनवीर ने इस नाटक का पहला शो 27 सितंबर 1990 को किया था। इसके बाद यह नाटक इतनी चर्चा में आ गया कि इसके प्रदर्शन कराची, दुबई, वाशिंगटन डीसी, सिडनी, लाहौर और अन्य शहरों में हुए।
असगर वजाहत नियमित रूप से अखबारों और पत्रिकाओं के लिए भी लिखते रहे हैं। 2007 में उन्होंने अतिथि संपादक के रूप में बी॰बी॰सी॰ वेब पत्रिका का संपादन किया था।
मुक्तिबोध नाट्य समारोह में इस बार असगर वजाहत के नाटक का मंचन होने के साथ ही उनका एक व्याख्यान भी होने जा रहा है ये छत्तीसगढ़ के कला-साहित्य प्रेमियों को लिए उनकी जैसी बड़ी हस्ती से रूबरू होने का बड़ा अवसर मिल रहा है.