पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं से जुड़कर आसान हुआ जीवन
कोरिया! दूसरे के खेतों में काम करके परिवार की गुजर बसर करने वाले एक सयाने से चेहरे पर अपने संसाधन हो जाने की मुस्कान अलग मायने रखती है। मजदूरी करने वाले एक आदिवासी का जीवन उसकी मेहनत से चरणबद्ध तरीके से सुधार की ओर अग्रसर हो चला है। इसमें उसकी मेहनत और सरकार की जनहितकारी योजनाओं के मजबूत योजदान की कहानी षामिल है। वनांचल भरतपुर के ग्राम पंचायत डोंगरीटोला में रहने वाले श्री ष्यामलाल सिंह जो अपने जीवन के कठिन समय में दूसरे के घर और खेतों में काम करते थे अब उनका संयुक्त परिवार सुखमय जीवन जी रहा है। उनके जीवन की दो महत्वपूर्ण जरूरतें महात्मा गांधी नरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से पूरी हो गई है। अब उनके पास एक पक्का मकान और पेयजल के लिए संुदर कुंआ उपलब्ध है। इस कंुए से वह अपनी पेयजल और दैनिक आपूर्ति के अलावा साग सब्जी और गर्मियों में उड़द की खेती भी करने लगे हैं। अपने पुराने दिनों को याद करके भावुक हो जाने वाले लगभग 65 वर्षीय श्री ष्याम लाल ने बताया कि सरकार सबका ध्यान दे रही है। मुझे भी लाभ दिया अब कोई भी चीज की अलग से चिंता नहीं है।
यह पूरी कहानी भरतपुर विकासखण्ड के ग्राम डोगरीटोला की है जो कि गत दो वर्ष पूर्व ही ग्राम पंचायत चांटी से अलग होकर एक ग्राम पंचायत बना है। यहां कई पीढ़ियों से निवासरत श्री ष्यामलाल सिंह मूलत विषेष अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते हैं। इनके परिवार में लगभग ढाई एकड़ खेती योग्य भूमि है और उसमें से ढेड़ एकड भूमि घर के समीप बाड़ी से लगी हुई है। उनके बेटे महेष सिंह अब खेती बाड़ी और बाकी व्यवस्थाएं देखते हैं। श्री महेष सिंह ने बताया कि घर मे कुल 7 वयस्क सदस्य हैं। परिवार के बीच दो जाब कार्ड हैं। पहले जब कुंआ नहीं बना था तब तक परिवार के सभी वयस्क सदस्य धान की ख्ेाती के बाद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अकुषल श्रम कार्य पर ही निर्भर रहते थे। परंतु दो साल पहले जब से कुंआ बन गया है तब से बाड़ी में ही सब्जी भाजी का पर्याप्त उत्पादन होने लगा है। पहले असिंचित होने के कारण घर के पास की बाड़ी में धान की फसल भी ठीक नहीं होती थी। पर अब रोपा के लिए आवष्यक पानी मिलने का साधन बन गया है तो बीते दो साल 10 से 14 क्विंटल धान ज्यादा होने लगी है। साग सब्जी के उत्पादन पर उन्होने बताया कि धान की खेती के तुरंत बाद वह पहले आलू की खेती करके 15 से 20 हजार रूपए भी कमा लेते हैं। लगभग 15 किलोमीटर दूर जनकपुर बाजार में उनके सब्जी आदि का विक्रय तुरंत हो जाता है। श्री सिंह ने बताया कि गर्मियों में वह लगभग दो क्विंटल उड़द का भी उत्पादन कर लेते हैं जिससे उन्हे 10 हजार रूपए का लाभ हो जाता है।
श्री महेष सिंह ने बताया कि कुएं का निर्माण करते हुए उनके परिवार को 28 हजार रूपए से ज्यादा मजदूरी का लाभ भी मिला। इसके अलावा उनके परिवार को सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना के आधार पर वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री आवास बनाए जाने का लाभ मिला। श्री महेष सिंह और उनके पिता श्री ष्याम लाल सिंह ने बताया कि पक्के आवास का सपना प्रधानमंत्री आवास योजना से पूरा हुआ। इस मकान को बनाने के दौरान उनके परिवार को 90 दिन की मजदूरी भी प्राप्त हुई। इससे उनके परिवार के पास अब बारिष में रहने के लिए एक पक्का और सुरक्षित आवास भी उपलब्ध हो गया है। इस मेहनतकष परिवार के पास अब आवास और पेयजल की कोई समस्या नहीं। जनहितकारी योजनाओं से जुड़कर अब श्री ष्यामलाल के परिवार की प्रमुख चिंताएं समाप्त हो गई हैं।