मोदी सरकार में किसानों के आंदोलन को समाप्त करने की क्षमता नहीं है तो उसे सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं : विकास उपाध्याय

गुवाहाटी। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने आज कहा,प्रदर्शकारी किसान नेताओं और सरकार के बीच विज्ञान भवन में शुक्रवार को आठवें दौर की बातचीत के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पाना यह साबित करता है कि मोदी सरकार पूर्ण बहुमत के बाद भी इतना सक्षम नहीं कि वह दिल्ली की सीमाओं पर लगभग डेढ महीने से जुटे किसानों के आंदोलन को समाप्त करने की योग्यता रखती हो।विकास उपाध्याय ने तंज कसते कहा, हमारे प्रधानमंत्री को देश की चिंता नहीं पर अमेरिका में 4 लोगों के हिंसा में मारे जाने का दुख जरूर है।

विकास उपाध्याय ने कहा,केन्द्र सरकार जिन किसानों के लिए नये कृषी कानून बनाई है वही किसान खुद इसे अपने हित में नहीं मान रहे हैं और वजह भी यही है तभी तो पिछले डेढ़ माह से दिल्ली के सिन्धु बॉर्डर पर वे आंदोलनरत हैं। विकास ने कहा,भला ऐसा कौन होगा जो बेवजह इतने समय तक आंदोलन करने मजबूर होगा और जब मोदी सरकार किसानों की हित सही मायने में चाह ही रही है तो किसानों के मुताबिक काम करने से पीछे क्यों हट रही है। आखिर वो कौन सी ताकत है जो मोदी की केन्द्र सरकार को रोक रही है। किसानों के मामले में ऐसे वो कौन लोग हैं जो रुचि ले रहे हैं और मोदी सरकार उनके दबाव में काम कर रही है। विकास उपाध्याय ने कहा,केन्द्र सरकार को किसानों से ज्यादा किसके हित की चिंता है जो आंदोलन करते किसान मर रहे हैं पर उसे इनकी चिंता छोड़ अपने हठधर्मिता पर अडिग है।विकास उपाध्याय ने इसे दुर्भाग्य कहा,जब कोई सरकार स्पष्ट बहुमत में है। बावजूद वह इतने लम्बे समय से चले आ रहे किसान आंदोलन को समाप्त करने कोई रास्ता निकाल नहीं पा रही है। प्रधानमंत्री मोदी को देश की नहीं बल्कि अमेरिका की चिंता ज्यादा है जो वहाँ हिंसा में मारे गए 4 व्यक्तियों के प्रति दुख व्यक्त कर रहे हैं और यहाँ के किसान आंदोलन करते मर रहे हैं पर उनकी उन्हें कोई चिंता नहीं है।

कांग्रेस नेता विकास उपाध्याय ने कहा,सरकार के कुछ क़ानूनी अधिकार होते हैं जिसे चुनौती नहीं दी जा रही है, लेकिन जो क़ानून ग़लत हैं उसका विरोध होना भी जरूरी है और किसान वही कर रहे हैं। विकास उपाध्याय ने आगे कहा,किसान चाहते हैं कानून वापस हो, सरकार चाहती है संशोधन हो, सरकार ने किसानों की बात नहीं मानी तो किसान भी सरकार की बात नहीं मान रहे हैं तो इसमें गलत क्या है।ये तो केन्द्र सरकार को सोचना चाहिए कि वह किसानों के साथ है कि पूंजीपतियों के साथ। विकास उपाध्याय ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के उस कथन को भी गलत ठहराया है जिसमें उन्होंने कहा है कि देश में बहुत से लोग इन क़ानूनों के पक्ष में हैं। विकास उपाध्याय ने कहा,जबकि वास्तविकता यह है कि देश का एक भी किसान नये कृषि कानून के पक्ष में नहीं है।

विकास उपाध्याय ने याद दिलाया कि मोदी सरकार किस तरह से अपने पार्टी के बहुमत में होने का नाजायज फायदा उठा रही है।नोट बंदी के दौरान सैकड़ों बेकसूर मारे गए पर कालाधन नहीं मिला। जीएसटी के बाद लाखों छोटे उद्योग और दुकानदार बर्बाद हो गए।CAA के विरोध प्रदर्शनों में 200 से ज़्यादा लोग मारे गए और इसे अमल में नहीं लाया जा सका। बगैर रणनीति के लॉक डाउन से सैकड़ों ग़रीब मजदूर सड़कों पर मारे गए, करोड़ों बेरोज़गार हो गये। पिछले 1 साल में 10 करोड़ लोग बेरोज़गार हो गये। पिछले 6 सालों में 50 हज़ार से ज़्यादा किसानों ने आत्महत्या की तो हाल ही के किसान आंदोलन में 50 से ज़्यादा किसानों की जानें गईं पर देश का प्रधानमंत्री चुप है। पर अमेरिका में 4 लोग मर गए तो दुःख जरूर हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *