मां की ममता के आगे नगर पालिका अध्यक्ष पति के खिलाफ न्यायालय ने दिया आदेश

मासुम बच्चे को मिला न्याय, नपाध्यक्ष पति को अपने बेटे को देना होगा गुजारा भत्ता

बैकुण्ठपुर। जिला कांग्रेस कमेटी मे अपनी अच्छी पकड बनानें वाले वाले शिवपुर चरचा नगर पालिका अध्यक्ष पति भुपेन्द्र यादव के खिलाफ सुरजपुर न्यायालय ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि भुपेन्द्र यादव के तृतिय पुत्र रीयार्थ को हर महिनें गुजारा भत्ता देना होगा, न्यायालय ने भी रीयार्थ को भुपेन्द्र यादव की तीसरी संतान होनें का आदेश जारी कर दिया है। ज्ञात हो शिवपुर चरचा नगर पालिका अध्यक्ष पति भुपेन्द्र यादव ने एक महिला को अपनें जाल मे फंसा कर सभी तरह से महिला को प्रताड़ित करने लगा, इतना ही नहीं भुपेन्द्र यादव नें अपनें मासुम अबोध बच्चे को 18 माह तक बच्चे की मां से दुर रखा। डेढ वर्ष अपने कलेजे के टुकडे से दुर रहनें का दर्द एक मां ही समझ सकती है। इतना ही नहीं श्री यादव ने जमीन खरीदने के नाम से उक्त महिला के द्वारा पर्सनल लोन भी निकलवाया जिसका किस्त आज भी महिला के द्वारा भरा जा रहा है ऐसे जय जमीन श्री यादव के पास है जो फर्जी तरीके से लिया गया है। सूरजपुर कुटुंब न्यायालय के द्वारा काफी मशक्कत के बाद व्यास को भूपेन यादव का बेटा करार दिया गया साथ ही गुजारा भत्ता देने का भी आदेश न्यायाधीश के द्वारा दिया गया है। शिवपुर चर्चा में लगातार बहस जारी है इस मामले को लेकर की नगर पालिका अध्यक्ष पति के द्वारा ऐसा कृत्य किया गया है तो अध्यक्ष के बेटे को इंसाफ नहीं मिल पा रहा है तो फिर जनता को कैसे न्याय दिला पाएंगे नगर पालिका अध्यक्ष लालमुनि यादव। आपको बतादें कि शिवपुर चरचा की जनता की जनता भी मासूम वह उसकी मां को समर्थन दे रही है। सुत्रों की मानें तो अध्यक्ष पति भूपेन्द्र यादव के सर्विस बुक मे भी दो बच्चों के सांथ तीसरे बच्चे का नाम जोडनें के लिए आवेदन भी दिया गया है अब देखना दिलचस्प होगा की एसईसीएल कार्यालय कितनें जल्दी या जनप्रतिनिधियों के दबाव मे आकर आवेदक को गोल गोल घुमाया जाऐगा। क्योकि कार्यालय के कुछ कर्मचारियों ने नाम न छापनें की शर्त पर बताया की जबसे नगर पालिका अध्यक्ष लालमुनी यादव बनी है तब से महज कुछ दिन को छोडकर अध्यक्ष पति कार्यालय नहीं आते, पुछनें पर पता चलता है कि भुपेन्द्र यादव का रात्रि सिप्ट है, किन्तु वह कभी भी नहीं आते है और उनकी हाजरी लग रही है। अब देखना यह होगा की एसईसीएल के अधिकारियों के द्वारा आवेदिका के द्वारा लगाऐ गए सुचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत दिऐ गए आवेदन की जानकारी कब तक प्राप्त हो पाता है। इतना ही नहीं आवेदिका ने बताया की अभी भी अध्यक्ष पति के द्वारा मुझे नये नये नम्बरों, फेक फेसबुक आईडी से मुझे मैसेज भेजकर दिमाकी तौर फर परेशान करता रहता है, लेकिन इसका जवाब आवेदिका ने देते हुए बता दिया की महिला भी किसी से पिछे नहीं है, यदि वह चाह ले की मुझे यह सच्चाई के सांथ मेरा है तो उसे वह हासिल करके दम लेती है नियमानुसार। अब आगे यह देखना बचा है कि अध्यक्ष पति कितनें जल्दी नपाध्यक्ष के तीसरे बेटे को उसका हक जो न्यायालय नें दिलाया है उसे पुरा कब से करेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *