आडवाणी के नाम पर भी तो कुछ हो…

अहमदाबाद के सरदार पटेल मोटेरा स्टेडियम का नाम बदल कर नरेंद्र मोदी स्टेडियम किया गया तो सोशल मीडिया में इसे लेकर खूब मजाक बने और मीम्स भी खूब बनाए गए हैं। कई लोगों ने मजाक में तो कुछ लोगों ने गंभीरता से यह लिखा कि नरेंद्र मोदी अब बसपा प्रमुख मायावती के रास्ते पर चल पड़े हैं। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि मोदी पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी में और पद पर रहते हुए अपने ही नाम से किसी संस्था का नाम रखा। सोशल मीडिया में जो मजाक सबसे ज्यादा चल रहा है वह ये है मोदी ने आडवाणी को राष्ट्रपति नहीं बनाया तो कम से कम उनके नाम पर कोई स्टेडियम ही बनवा दें। किसी ने यह भी कहा कि मोदी उनको कोरोना की वैक्सीन ही लगवा दें!
बहरहाल, नरेंद्र मोदी और मायावती की तुलना इसलिए हो रही है क्योंकि मायावती ने भी मुख्यमंत्री रहते पूरे प्रदेश में खूब सारे पार्क और स्मारक बनवाए, जिसमें अपनी मूर्तियां लगवाईं। लेकिन तुलना यही पर खत्म हो जाती है। क्योंकि मायावती ने अपने साथ साथ अपने मेंटर यानी आगे बढ़ाने वाले नेता कांशीराम की भी मूर्तियां लगवाएं। मायावती ने हर पार्क और स्मारक में कांशीराम की मूर्ति स्थापित कराई। लेकिन उनकी तरह नरेंद्र मोदी ने अपने मेंटर लालकृष्ण आडवाणी की न तो कहीं मूर्ति लगवाई है और न उनके नाम पर किसी संस्था का नामकरण किया है। गुजरात में नरेंद्र मोदी के नाम पर स्टेडियम हो गया और दिल्ली में अरुण जेटली के नाम पर स्टेडियम हो गया। भाजपा की त्रिर्मूति रहे नेताओं में से अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से तो कुछ कार्यक्रम वगैरह हुए हैं पर आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को यूं ही राजनीतिक बियाबान में जाने दिया गया है।

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