रायपुर: केंद्र सरकार ने 1998 बैच के आईपीएस अफसर मुकेश गुप्ता का सस्पेंशन रद्द कर दिया है। रिटायरमेंट से ठीक एक पखवाड़े पहले गृह मंत्रालय ने ये फैसला लिया। मुकेश गुप्ता को छत्तीसगढ़ की सरकार ने 2019 में निलंबित कर दिया था। सूत्रों के मुताबिक, 16 सितंबर को गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के एडीजी मुकेश गुप्ता को लेकर आदेश जारी किया। जिसमें एडीजी गुप्ता का निलंबन उनकी ओर से दी गई अपील, राज्य सरकार के नोट और संबंधित कोर्ट के ऑर्डर पर विचार के बाद रद्द किया गया। आईपीएस अधिकारी 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
आईपीएस मुकेश गुप्ता पिछले साढ़े तीन साल से निलंबित थे। गुप्ता को पिछली बीजेपी सरकार के दौरान 6 अक्टूबर, 2018 को विधानसभा चुनाव से दो महीने पहले डायरेक्टर जनरल बनाया गया था। लेकिन बाद में उनका प्रमोशन वापस ले लिया गया था। फिर 2019 में कांग्रेस सरकार के दौरान उन्हें निलंबित कर दिया गया था। अब गृह मंत्रालय ने इस मामले में सुनवाई की, जिसमें आईपीएस अफसर की ओर से डिटेल्स भेजी गई। इसमें गुप्ता की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ सभी मामलों पर रोक लगा दी थी। सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) जबलपुर ने भी उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी
राज्य में सरकार बदलने के बाद छत्तीसगढ़ ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) ने मुकेश गुप्ता पर मामला दर्ज किया था। एक अन्य आईपीएस अधिकारी रजनीश सिंह और कुछ और अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल अफेंस के लिए एक दर्जन धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की। जिसमें जाली दस्तावेजों का ओरिजिनल डॉक्यूमेंट में इस्तेमाल, आपराधिक साजिश आदि शामिल हैं। फोन टैपिंग के जरिए मैसेज को कथित रूप से गैरकानूनी तरीके से इंटरसेप करने के लिए भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धाराएं भी लगाई गई थीं।
प्राथमिकी दर्ज करने के एक दिन बाद, गृह विभाग ने आईपीएस मुकेश गुप्ता को लेकर एक आदेश जारी किया गया था। इसमें कहा गया कि मुकेश गुप्ता और रजनीश सिंह को 4 दिसंबर 2014 को ईओडब्ल्यू में दर्ज शिकायत के मुताबिक गलत रिकॉर्ड बनाने के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा रहा। मुकेश गुप्ता, ईओडब्ल्यू का नेतृत्व कर रहे थे, जब उनकी टीम ने छत्तीसगढ़ के कुख्यात पीडीएस घोटाले के सिलसिले में छापेमारी की। इस मामले में कुछ दिग्गजों के भी कथित रूप से शामिल होने के आरोप थे। हालांकि, आईपीएस ने सभी आरोपों का खंडन किया। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि टेलीफोन पर हुई सभी बातचीत वैध थी, जिसमें गृह मंत्रालय का अप्रूवल था।
इसी के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पीडीएस घोटाला मामले में फर्जीवाड़े और फोन टैपिंग के आरोपी IPS मुकेश गुप्ता का निलंबन रद्द कर दिया। मुकेश गुप्ता पर घोटोले में सबूत के साथ छेड़छाड़ का आरोप भी लगा था। फिलहाल अभी वे एडीजी रैंक के अफसर हैं। जानकारी के मुताबिक, राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है।