रायपुर 22 सितंबर 2022, प्रदेश में 5वां राष्ट्रीय पोषण माह विभिन्न गतिविधियां आयोजित कर मनाया जा रहा है । इस बार की थीम ‘महिला और स्वास्थ्य’ व ‘बच्चा और शिक्षा’ रखी गई है। पोषण माह के दौरान 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को दूध पिलाने वाली माताओं में पोषण को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है।
इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी शैल ठाकुर ने बताया: ” पोषण अभियान के अंतर्गत इस बार मुख्य फोकस “महिला और स्वास्थ्य” और “बच्चा और शिक्षा” पर केंद्रित है । इस दौरान सभी ग्राम पंचायतों तक पोषण और स्वास्थ्य के बारे में लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। जिले के 1,882 आंगनबाड़ी केंद्रों पर राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही है । जिले को कुपोषण मुक्त करने के लिये लोगों को पौष्टिक भोजन, दवाइयां और व्यवहार में परिवर्तन के बारे में भी बताया जा रहा है। वहीं अभियान के तहत प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वॉल राईटिंग, इंटरनेट मीडिया, एफएम रेडियो, व्हाट्सअप ग्रुप और फेसबुक के माध्यम से सुपोषण संबंधी आवश्यक जानकारियों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।“
भनपुरी सेक्टर की पर्यवेक्षक रजनी सिंह बताया: “पोषण माह के दौरान भनपुरी सेक्टर के न्यू आनंद नगर के प्राथमिक शाला और आंगनबाड़ी के बीच स्थानीय सामग्री से निर्मित खिलौनों की प्रदर्शनी लगाई गई और बच्चो तथा अभिभावकों को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध अधिगम सामग्री के माध्यम से बच्चों के लिए खिलौने और शिक्षाप्रद वस्तुओं का निर्माण किया गया। सामग्री के माध्यम से गिनती का पासा, मिट्टी के खिलौने बनाए। इससे बच्चों ने खेल खेल में गिनती का ज्ञान भी प्राप्त किया।”
आगे उन्होंने बताया: “आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बच्चो को दी जाने वाली खेल खेल में शिक्षा के साथ उनके शारीरिक,मानसिक, बौद्धिक,सृजनात्मक विकास के पहलुओं पर भी चर्चा की गई और उन्हें बताया गया ये परंपरागत खिलौने किस तरह उनके सीखने और सिखाने में सहयोगी साबित होंगे । कार्यक्रम में पोषण और स्वास्थ्य पर भी चर्चा की गई। पूरे कार्यक्रम में स्कूल के शिक्षकों का भी भरपूर सहयोग मिला। पोषण माह जागरूकता के लिये सेल्फी जोन भी बनाया गया जिसमें बच्चों ने बहुत उत्साह दिखाया और तस्वीरें खिंचवाई।”
आगे रजनी कहती है: ‘’इस दौरान केंद्र पर आयी गर्भवती महिलाओं, शिशुओं को दूध पिलाने वाली माताओं में पोषण को बढावा देने के साथ साथ 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों, में पोषण आहार के व्यवहार को बढ़ावा देने के बारे में भी बताया गया। इसके अलावा कुपोषण व एनीमिया की दर को कम करने और बच्चों, किशोर-किशोरियों, गर्भवती व धात्री महिलाओं से स्वास्थ्य में सुधार के माध्यम से जनसामान्य को पोषण के महत्व से परिचित करवाने का प्रयास किया गया एवं सुपोषित आहार से स्वास्थ्य व्यवहार को विकसित के बारे में भी बताया गया ।