छत्तीसगढ़, जन संस्कृति मंच का दो दिवसीय 16वाँ राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू


रायपुर 9 अक्टूबर ।छत्तीसगढ़, जन संस्कृति मंच का दो दिवसीय 16वाँ राष्ट्रीय सम्मेलन आज से शुरू।

पाँच किलोमीटर लम्बे सांस्कृतिक मार्च के साथ जसम के सम्मेलन का आग़ाज़!
भारत का लोकतंत्र सैन्यतंत्र में बदल गया है: हिमांशु कुमार
हिंदुत्व का मुक़ाबला बंधुत्व से करेंगे : भँवर मेघवंशी

फासीवाद के ख़िलाफ़ प्रतिरोध, आजादी और लोकतंत्र की संस्कृति के लिए एकजुटता का आह्वान करते हुए आज छत्तीसगढ़, रायपुर के पंजाब केसरी भवन में जसम का राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ। सम्मेलन स्थल, परिसर, सभागार और मंच को मुक्तिबोध, कॉमरेड बृजबिहारी पांडे, रामनिहाल गुंजन, मंगलेश डबराल व हबीब तनवीर को समर्पित किया गया था।

सम्मेलन में शिरकत करने देश के विभिन्न राज्यों, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, बंगाल, दिल्ली, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश आदि से लेखक, कलाकार, नाटककार, संस्कृतिकर्मी व सामाजिक कार्यकर्ता आए हुए हैं।

सम्मेलन की शुरुआत एक प्रतिरोध मार्च से हुई। मार्च आशीर्वाद भवन से चलकर डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए शहीद ए आज़म भगत सिंह की मूर्ति तक पहुँचा। जन संस्कृति मंच के अध्यक्ष प्रो राजेंद्र कुमार ने एक संक्षिप्त वक्तव्य में मौजूदा निज़ाम के ख़िलाफ़ सम्विधान की हिफ़ाज़त और लोकतंत्र की लड़ाई के लिए एकजुटता का आह्वान किया।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र का आरंभ सम्मेलन स्वागत समिति के संयोजक राजकुमार सोनी ने किया। मुक्तिबोध व हबीब तनवीर आदि रचनाकारों और शंकर गुहा नियोगी आदि शहीदों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि फ़ासीवादी ताक़तें इस देश की अवाम को तबाह कर रही हैं, उनके संसाधन लूट रही हैं और कारपोरेट के कंधों पर चढ़कर जनता पर दमन ढ़ा रही हैं। भाजपा-संघ के फ़ासीवादी निज़ाम से लड़ने की रणनीति खोजने को फ़ौरी जरूरत बताते हुए उन्होंने अतिथियों व भागीदारों का स्वागत किया।

इस सत्र के मुख्य अतिथि जाने-पहचाने गाँधीवादी और मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार थे। उन्होंने गाँधी जी को याद करते हुए कहा कि वे अंग्रेजी विकास के मॉडल को शैतानी मॉडल कहा करते थे। दरअसल विकास का यह मॉडल कहता है कि जिसके पास ज्यादा है, वही विकसित है। यही ज्यादा हासिल करने के लिए पूँजीपति सरकारों के सहारे जल-जंगल-जमीन और तमाम संसाधनों की लूट में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत की सरकार ने जनता के खिलाफ सम्पूर्ण युद्ध इन्हीं संसाधनों की लूट के लिए शुरू किया है और भारत का लोकतंत्र पूरी तरह सैन्यतंत्र में बदल चुका है। अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि आदिवासियों की अगुवाई में हम इस फ़ासीवादी निज़ाम से बिना डरे लड़ें हैं। उन्होंने कहा कि हमारा काम फ़ासीवादी निज़ाम के खिलाफ लड़ रहे लोगों की लड़ाई में शामिल होना है।

विशिष्ट अतिथि भँवर मेघवंशी ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस फ़ासीवादी निज़ाम को सिर्फ राजनीति के मोर्चे पर ही नहीं संस्कृति के मोर्चे पर भी शिकस्त देनी होगी। फ़ासीवाद को परास्त करने के लिए उन्होंने छोटी-छोटी प्रतिरोध लड़ाइयों का व्यापक साझा मोर्चा बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व का मुक़ाबला बंधुत्व से करने की जरूरत है।

झारखंड से आए दस्तावेज़ी फ़िल्मकार मेघनाद ने कहा कि लोकतंत्र की तमीज़ जनता से सीखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए सबकी सहमति और बहुलतावाद बहुत जरूरी है। बहुसंख्यक की राय लोकतंत्र नहीं होती। उन्होंने कहा कि फ़ासीवादी ताक़तें इन्हीं मूल्यों पर हमला कर रही हैं। वे हमारे सम्विधान से इन मूल्यों को बाहर कर देना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि फ़ासीवाद से लड़ने के लिए सहमति और बहुलता के मूल्यों को गाँव-गाव, परिवार और घर तक ले जाना होगा।

युवा कार्यकर्ता और ट्राली टाइम्स की सम्पादक मंडल की सदस्य नवकिरन नट ने कहा कि किसान आंदोलन ने इस निज़ाम से लड़ने की एक राह विकसित की है। उन्होंने किसान आंदोलन में किए गए बहुत से सांस्कृतिक प्रयोगों को रेखांकित करते हुए संस्कृति के मोर्चे पर लड़ाई को बहुत जरूरी बताया।

सम्मेलन में बिरादराना संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी शिरकत की। दलित लेखक संघ की ओर से संरक्षक हीरालाल राजस्थानी का संदेश आँचल बाबा ने पढ़ा। प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से कथाकार रणेंद्र ने और जनवादी लेख संघ की ओर से नासिर अहमद सिकंदर ने सम्मेलन के लिए संदेश दिया और मौजूदा दौर में सभी संघर्ष की ताक़तों की एकजुटता का आह्वान किया।

सम्मेलन का संचालन आलोचना पत्रिका के सम्पादक आशुतोष कुमार ने लिया और धन्यवाद ज्ञापन जसम के रायपुर अध्यक्ष आनंद बहादुर ने किया।

इस सत्र की अध्यक्षता जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो राजेंद्र कुमार के किया।

सम्मेलन स्थल पर एक कला-प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था। युवा चित्रकार राकेश दिवाकर को सामर्पित इस प्रदर्शनी में वरिष्ठ कवि व चित्रकार अजय कुमार के पोस्टकार्ड-चित्रों की प्रदर्शनी है, युवा कलाकार नितिन की चित्र प्रदर्शनी है और विभिन्न कविताओं के पोस्टर लगाए गए हैं, जिन्हें युवा चित्रकारों अनुपम, नितिन व लाबनी ने तैयार किया है। सम्मेलन स्थल पर पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गयी है।

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