अन्यकरण को रेखाकिंत करता है फासीवाद:देवी प्रसाद मिश्र

रायपुर 10 अक्टूबर । जन संस्कृति मंच के सोलहवें राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन ‘ फासीवाद के ख़िलाफ़ प्रतिरोध के रूप’ विषय पर केंद्रित विचार सत्र का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से आए विद्वानों ने अपने अपने विचार रखे।
प्रसिद्ध कवि और चिंतक देवी प्रसाद मिश्र ने इस अवसर पर अपने लिखित पर्चे का पाठ किया । उसके माध्यम से उन्होंने कहा कि भले ही भारत घोषित तौर पर हिन्दू राष्ट्र नहीं है लेकिन अब यह कहा जा सकता है कि वह एक हिन्दू राष्ट्र है। फासीवाद अन्यकरण को रेखांकित करता है। भारत में आर्य भी उन्हीं स्थानों से आये जहां से मुसलमान आये लेकिन इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया जाता है। फासीवादी सत्ता शत्रु का तलाश इसलिए कर रही है ताकि हिंदुओं का सैन्यीकरण किया जा सके। हिंदूवाद में वर्ण संरचना को तोड़ना लक्ष्य नहीं है। हिन्दू महिलाओं के सबलीकरण का भी कोई प्रमाण नहीं मिलता है। आत्म गरिमा में पुनर्वापसी की भी कोई योजना नहीं है। रूढ़िवाद को और प्रगाढ़ बनाया जा रहा है। राष्ट्रीय संसाधनों पर कुछ खास लोगों की कब्जेदारी ही उनका लक्ष्य है। इसको हिन्दू नवजागरण भी नहीं कह सकता । यह हिन्दू राष्ट्र हिंदुओं का दुर्जनीकरण कर रहा है। हिंसा और असमानता की इस परियोजना से लड़ने के लिए आदिवासी प्रतिरोध को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार करना चाहिए। इसके लिए सामाजिक संघ बनाना चाहिए जो समग्र विरोध संस्कृति की ओर ले जा सके।

कवि और वैज्ञानिक लाल्टू ने कहा कि जब से मैं मध्यप्रदेश में आया तभी से सांप्रदायिक माहौल बना हुआ था।अलग-अलग संगठनों की वजह से हम ठीक से सांप्रदायिक माहौल से लड़ नहीं पाए। फ़ौज तत्व पर आधारित राष्ट्रवाद के खिलाफ हमें बोलना चाहिए।हम लोगों में कहीं ना कहीं राष्ट्रवाद रह गया है।विभाजन की त्रासदी का प्रभाव पंजाब जैसे राज्यों में ज्यादा रहा।हिंदी इलाकों में विभाजन को लेकर उस तरह की समझ नहीं है जैसी पंजाब के लोगों में है ।रचनाकारों के साथ रास्ता बनाना चाहिए जिनके पास विभाजन की त्रासदी से जुड़े हुए तमाम अनुभव हैं।लेखक संगठन के रूप में हमारी यह पहल होनी चाहिए। प्रोसेस जैसी पहल कदमी लेखक संगठन को भी करनी चाहिए। तत्सम और संस्कृत में शब्दावली को हमें नकारना चाहिए।भाषा का सवाल आशीर्वाद के साथ बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है इसलिए इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।विज्ञान और तकनीकी के कालेजों में भी हमें अपने सांस्कृतिक आयोजनों को बढ़ाना चाहिए।
प्रसिद्ध कथाकार रणेन्द्र ने कहा कि यह समय बहुत सेंसरशिप वाला है।फासीवाद के संदर्भ में इटली और जर्मनी का उदाहरण हम अक्सर देते हैं।दरअसल फासीवाद में व्यक्ति की महत्ता को राष्ट्र के सामने कुछ भी महत्व नहीं दिया जाता। अहिंसा को एक यूटोपिया की तरह बताया जाता है। विवेक वाद को महत्व नहीं दिया जाता।यह सब हमारे यहां भी हो रहा है।नस्ल को केंद्र में लाया जाता है। कारपोरेट पूंजीवाद ने पूरी दुनिया में फासीवाद को उभारा।अनेकता में एकता वाली बात दरअसल अनेकता में एकता की बात है । ब्राह्मणवाद का विरोध हमेशा उत्पीड़ित वर्गों के लोगों ने किया है।हमको फासीवाद के खिलाफ लड़ने के लिए आदिवासी प्रतिरोध और प्रतिकार से सीखने की जरूरत है।
गुजरात के प्रसिद्ध सांस्कृतिक चिंतक भरत मेहता ने कहा कि हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि फासीवाद का प्रतिरोध कैसे करें। हमें फासीवाद से लड़ने के लिए संस्कृति के विभिन्न मोर्चों पर सचेत होकर कर काम करना चाहिए।
इस परिचर्चा में उड़ीसा के राधाकांत सेठी ने कहा के गैर हिंदी भाषी राज्यों में चलने वाले सांस्कृतिक आंदोलन से विचार साझा करना चाहिए और हमें अपने सांस्कृतिक आंदोलन को मजबूत करना चाहिए।फासीवादी संस्कृति और राजनीति से लड़ने के लिए संस्कृत कर्मी को राजनीति कर्मी बनना चाहिए।

आदिवासी प्रतिरोध की पर्याय बन चुकीं सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने अपने आप बीती के हवाले से फासीवाद के स्वरूप को सामने रखा और उन्होंने कहा कि हम आदिवासियों को आप लेखकों कलाकारों से बड़ी उम्मीद है।आपके लेखन से हमारी लड़ाई को मजबूती मिलती है। पूरे भारत के आदिवासियों के साथ हिंसक उत्पीड़न होता है। हमें हिंदू राष्ट्रवाद के बदले मानव राष्ट्र की जरूरत है।दरअसल हिंदू राष्ट्र के बहाने हमें बांटा जा रहा है। बस्तर के उदाहरणों से उन्होंने कहा कि चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, आदिवासियों की जिंदगी पर उसी तरह से शोषण उत्पीड़न जारी रहता है। संघर्षों से ही हमें ताकत मिलती है। जितना ही ज्यादा हमारा उत्पीड़न होता है हमारे संघर्ष की ताकत भी उतनी ही बढ़ जाती है।आदिवासियों के साथ होने वाले बर्बर उत्पीड़न क्या फासीवाद के एक दूसरे संस्करण को सामने नहीं रखता।
इस सत्र की अध्यक्षता समकालीन जनमत के प्रधान सम्पादक रामजी राय ने किया।सत्र का संचालन युवा आलोचक अवधेश त्रिपाठी ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *