रायपुर 17 अक्टूबर। आदिवासी लोक कला अकादमी, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद् द्वारा 18 और 19 अक्तूबर को राजधानी में रजवार चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है. महन्त घासीदास संग्रहालय की कला वीथिका में 18 अक्तूबर को संध्या साढ़े पांच बजे से रात्रि 8 बजे तक और 19 अक्तूबर को सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक प्रदर्शनी आयोजित है. दोनों दिन दस दिवसीय रजवार चित्रकला शिविर में बनाए गए चित्रों को आमलोगों के अवलोकन के लिए प्रदर्शित किया जाएगा.
गौरतलब हो कि रजवार चित्रकला से जुड़े कलाकार चित्रकला शिविर में लगातार चित्र बना रहे है. छत्तीसगढ़ की पहचान को रेखांकित करने वाले दस कलाकार पहली बार एक साथ कला वीथिका में एकत्र हुए है. शिविर में जो दस कलाकार शामिल है, वे हैं- बुधनी राजवाड़े, पंडित राम, सहोदरी बाई, रामकरन राम, भगत राम, कुदरराम, अमित कुमार, संदीप कुमार, पार्वती और बेलपती.
यह पहला अवसर होगा जब रजवार चित्रों की प्रदर्शनी कला दीर्घा में आयोजित की जायेगी. राजधानी में रजवार चित्रों की प्रदर्शनी के बाद चित्रों की प्रदर्शनी छत्तीसगढ़ के अन्य शहरों और प्रदेश के बाहर भी आयोजित की जाएगी.
इन चित्रों की प्रदर्शनी के बारे में
आदिवासी लोककला अकादमी के अध्यक्ष नवल शुक्ल का कहना है कि
“छत्तीसगढ़ की इस विशिष्ट रजवार चित्रकला शैली को पहचान, प्रोत्साहन और सम्मान देने के लिए राजधानी में चित्रकला शिविर का आयोजन किया जा रहा है. ऐसी गतिविधियां छत्तीसगढ़ के अन्य आदिवासी और लोक कला रूपों पर आगे भी करते रहने की योजना है ताकि प्रदेश के जनजातीय और लोक कला रूपों को समुचित प्रतिष्ठा मिल सके.
क्या है रजवार चित्रकारी
रजवार चित्रकारी भित्ती चित्रकारी की एक विशिष्ट शैली है जो छत्तीसगढ़ के सरगुजा अंचल में विशेष रूप से प्रचलित है. यह एक ऐसी परंपरा है जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति को भित्ती चित्र के माध्यम से प्रस्तुत करती है. इस भित्ती चित्र के माध्यम से प्रकृति एवं ग्रामीण परिवेश का चित्रण किया जाता है. यह एक पारंपरिक भित्ती चित्र शैली है.