रायपुर : वर्ष 2016 के आबकारी वित्तीय वर्ष से हमारी सरकार ने चरणबद्ध तरीके से पहले लगभग 164 शराब की दुकानें जो कि 2 हज़ार की आबादी वाले ग्रामों में थी उसे बंद कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य मार्ग राष्ट्रीय राज्य मार्ग और शहर के बीच की शराब दुकानों को आबादी क्षेत्र से 2 किलोमीटर दूर कर दिया ।
मकसद था चरणबद्ध शराबबंदी की शुरुआत में नशे से हतोत्साहित करना | अवैध शराब की बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने के मकसद से शराब दुकानों का शाशकीय करण किया गया | गंगाजल के साथ शराबबंदी की कसमें खाने वाली पार्टी के सत्ता में आते ही शराबबंदी की कमेटी बनाने में ही वर्षो बीत गए है। अब तो हालत यह है कि सरकारी नियंत्रण में चलने वाली शराब दुकानों से ही शराब की गुप्त बिक्री चल रही है।
शराब बनने के स्प्रिट तक गांव गांव पहुंच रहे हैं जहां पर शराब के अवैध कारखानों का संचालन हो रहा है। बंदी के दावों के बीच यह किस तरह का नियंत्रण है जहां जब चाहे जो शराब के अवैध कारखाने शुरू कर प्रदेश में नशे का नया माहौल बना रहे हैं। कुछ दिन पहले सोशल मीडिया में वायरल वीडियो में दिखता है 30 लाख की बेटियों से भरा ट्रक पकड़ा गया था।
नशीली सिरप ,हशीश ,हीरोइन, गाँजा सभी नशे की चीज़ें सर्वसुलभ हैं इन सभी के लिए खास जगह भी केंद्र बन चुके हैं। विशेष हीरापुर में अवैध शराब की फैक्ट्री पकड़ाने के बाद कल फिर इसी क्षेत्र में शराब की अवैध फैक्ट्री पकड़ी गई। आखिर इन घटनाओं में किसी न किसी का दल या प्रभावशाली व्यक्ति का दखल या प्रभाव प्रतीत होता है। क्या कुछ हिस्सेदारी या निजी लाभ भी इसका कोई कारण है .? क्यों ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति हो रही है और पुलिस प्रशाशन घटनाओं की जाँच कर मूल जड़ तक नहीं पहुँच पा रही है .?