रायपुर! दिल्ली की हाड़ कंपकपा देने वाली ठंड में पिछले डेढ़ महीनों से आंदोलन कर रहे किसानों के आंदोलन पर आज सुप्रीम कोर्ट ने एक्शन लेते हुए कानूनों पर स्टे लगाया है, सर्वोच्च न्यायालय ने तीनों कृषि कानूनों पर स्टे लगाकर इन कानूनों के क्रियान्वयन पर आगामी आदेश तक रोक लगाने का निर्णय दिया और इन मामलों पर एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने की बात कही है जो दो महीने में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी,
छत्तीसगढ़ युवा कांग्रेस के प्रवक्ता राहुल कर ने मीडिया में बयान जारी कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा किसान कानूनों पर रोक लगाने का फैसला स्वागतेय है किंतु श्री गुलाटी की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी का गठन आंदोलनरत किसानों के साथ साफ तौर पर एक मजाक ही है क्योंकि कमेटी के चारो सदस्य इन कृषि कानूनों के समर्थक हैं,
अशोक गुलाटी ने खुद इन क़ानूनों की सिफारिश की है, कमेटी के सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने 14 दिसम्बर को केंद्रीय कृषि मंत्री को खत लिखकर इन कानूनों पर समर्थन जताया था ऐसे ही प्रमोद जोशी और शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल धनवट भी इन कृषि कानूनों के पक्षधर हैं, किसान पहले ही सुप्रीम कोर्ट पर अविश्वास जता चुके हैं ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित यह कमेटी जिसमें आंदोलन कर रहे किसानों का पक्ष ही रखने वाला कोई नहीं है तो यह एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा जैसी ही बात प्रतीत होती है, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी का पाक्षिक होना किसानों के साथ अन्याय है सम्भवतः यह मोदी सरकार द्वारा किसान आंदोलन को कमजोर करने का षड्यंत्र है जिसमें मोहरा सर्वोच्च न्यायालय को बनाया गया है।