आत्मचिंतन उन्नति की सीढ़ी है:ब्र.कु.भगवान भाई


राजनांदगांव 13 सितम्बर
दूसरों की विशेषताएं देखने और धारण करने में ही हमारी आत्मा की उन्नति होती है। दूसरों के अवगुण को देखकर अगर हम उनका चिंतन-मनन करते हैं और उन्हें जगह-जगह फैलाते हैं, तो वे पलट कर हमारे पास ही आ जाते हैं और हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। आत्मचिंतन उन्नति की सीढ़ी है, तो पर चिंतन पतन की जड़ है।| उक्त उदगार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से आये हुए बी के भगवान भाई ने कहे | वे स्थानीय ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवाकेंद्र द्वारा नवनिर्मित ज्ञान मान सरोवर में दो दिवसीय राजयोग साधना द्वारा खुशहाल जीवन विषय के समापन के कार्यक्रम में ईश्वर प्रेमी भाई बहनों को संबोधित करते हुए बोल रहे थे |
उन्होंने कहा कि यदि हम स्वयं आंतरिक रूप से रिक्त होंगे तो अपनी रिक्तता को बाहरी तत्वों से भरने के लिए हमेशा दूसरों से कुछ लेने का प्रयास करेंगे, यदि हमार अंतर्मन प्यार, सौहार्द और मैत्री भाव से भरा रहेगा तो हम जगत में प्यार और मैत्री को बाँटते चलेंगे। उन्होंने कहा कि राजयोग के द्वारा ही हम अपने संस्कारों को सतोप्रधान बना सकते हैं। इंद्रियों पर काबू कर सकते हैं। क्रोध मुक्त और तनाव मुक्त रहने के लिए हमें रोजाना ईश्वर का चिंतन, गुणगान करना चाहिए । सकारात्मक चिन्तन से हम जीवन की विपरीत एवं व्यस्त परिस्थितियों में संयम बनाए रखने की कला है।
भगवान भाई जी ने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान को सकारात्मक विचारों का स्रोत बताते हुए कहा कि वर्तमान में हमे आध्यात्मिकता को जानने की जरुरी है | आध्यात्मिकता की परिभाषा बताते हुए उन्होंने कहा स्वयं को यर्थात जानना, पिता परमात्मा को जानना, अपने जीवन का असली उद्देश्य को और कर्तव्य को जानना ही आध्यात्मिकता है। आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा सकारात्मक विचार मिलते है जिससे हम अपने आत्मबल से अपना मनोबल बढ़ा सकते है। उन्होंने कहा कि सत्संग से प्राप्त ज्ञान ही हमारी असली कमाई है। इसे न तो चोर चुरा सकता है और न आग जला सकती है। ऐसी कमाई के लिए हमें समय निकालना चाहिए। सत्संग के द्वारा ही हम अच्छे संस्कार प्राप्त करते हैं और अपना व्यवहार सुधार पाते हैं।
महापौर हेमा देशमुख जी ने कहा कि वर्तमान में मानव मानसिक रूप से परेशान है, किंतु उसकी यह मानसिक व्यग्रता धीरे-धीरे उसकी संपूर्ण शारीरिक व्यवस्था को विकृत कर देती है। कितनी ही शारीरिक बीमारियाँ केवल मानसिक तनाव, टेंशन, डिप्रेशन, अवसाद अथवा चिंता के कारण उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसे समय यह आध्यत्मिकता हमें तनाव मुक्ति दिलाईगी|
नेहा गुप्ता एड्वाइझर और न्यायाधिश समकक्ष अधिकारी दुर्ग संभाग जी ने कहा कि वर्तमान में दिन प्रति दिन अपराध बढ़ते जा तहे है वर्तमान में युवाओ को नैतिक शिक्षा द्वारा अपराधो को रोकने हेतु एसी ब्रह्माकुमारी संस्था जैसे आध्यात्मिकता की आवश्यकता है । चिंता और परेशानी से भरी यही स्थितिसे मानसिक रोग बढ़ती जा रही है |आध्यत्मिकता से ही सहीदिशा मिल जाएगी |
भिलाई सेवाकेंद्र से पधारी हुई ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेंद्र की संचालिका बी के आशा बहन जी ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का परिचय देते हुए बताया कि सृष्टि सृजनहार परमात्मा शिव नयी सृष्टि बनाने हेतु वर्ष 1937 में प्रजापिता ब्रह्मा के तन में अवतरित हुये। तब ब्रह्मा बाबा ने अपनी पूरी सम्पत्ति ओम मंडली का ट्रस्ट बनाकर विश्व सेवा हेतु समर्पित कर दिया। यही ओम मंडली आगे चलकर ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के नाम से चर्चित हुआ।
कांग्रेस नेता माया शर्मा जी ने भी अपना उद्बोधन दिया |
स्थानीय ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवाकेंद्र की संचालिका बी के पुष्पा बहन जी ने कहा कि प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने अनेक आत्माओं को अपना प्यार देकर उसमें शक्तियां भरी एवं उसे सर्व बंधनों से मुक्त कराया। बाबा ने परचिंतन एवं परदर्शन से मुक्त बन परोपकारी बनने की शिक्षा दी।
कार्यक्रम की शुरुवात स्वागत में कुमारी दिव्या ने डांस किया | अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन किया |
इस कार्यक्रम में डोंगरगढ़ खैरागढ़, कवर्धा, मोहला, गंडई, कुंडा, पांडातराई छुईखदान, अम्बागढ़चौकी, राजनांदगांव और आस पास के ब्रह्माकुमारी पाठशाला के भाई बहनों ने इस कार्यक्रम भाग लिया |
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेंद्र कि वरिष्ठ बहने योगेश्वरी बहन , निलेश्वरी बहन , चंद्रकली बहन , सोनिया बहन , भोज बहन , हेमी बहन , कुंती बहन , दामिनी बहन ने भाग लिया |
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों ने अतिथियों का गुलदस्ता और तिलक लगाकर स्वागत किया |
शहर निवासियों के तरफ से महापौर हेमा देशमुख जी ने ने शाल ओढाकर भगवान भाई जी का स्वागत किया गया |

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