दिल्ली। अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय दिल्ली के पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा के दौरान आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विकसित देशों से प्रतिस्पर्धा प्रतिपादित करने ड्रग रेग्यूलेटर से दबाव डालकर भारत में स्वदेशी को-वैक्सीन को जल्दबाजी में मंजूरी दे दी वो भी बिना तीसरे चरण के ट्रायल के। विकास उपाध्याय ने कहा मोदी ऐसा कर नोटबंदी, जीएसटी और बिना सोचे-समझे लाॅकडाउन के कार्यप्रणाली को टीके जैसे जोखिम वाले मामले में भी असंवेदनशीलता बरत रहे हैं।जिसका खामियाजा भारतीयों को ही भुगतना पड़ेगा।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव आज सुबह दिल्ली पहुँचने के बाद पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, मोदी की बड़बोलापन ने भारतीय लोकतंत्र को कमजोर कर दिया है। उन्होंने कहा, भारत सरकार के समर्थन से तैयार की गई को-वैक्सीन जिसे बायोटेक कंपनी ने बनाया है, उस पर दबाव डालकर इस अधूरे अध्ययन वाले टीके को मंजूरी देकर वैज्ञानिकों के तर्क को भी नजरअंदाज कर दिया गया है। यह सिर्फ इसलिए कि प्रधानमंत्री मोदी विकसित देशों से प्रतिस्पर्धा में आगे निकल जाना चाहते हैं, परन्तु वे यह भूल गए हैं कि इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। विकास उपाध्याय ने कहा, चूंकि परीक्षण के तीसरे चरण का कोई डेटा नहीं है। इससे यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि यह टीका कितना प्रभावकारी होगा। बावजूद इसे मंजूरी दिया जाना मोदी सरकार की जल्दबाजी नहीं तो क्या है।मोदी जितनी जल्दबाजी में इस को- वैक्सीन को मंजूरी दिलाने रुचि दिखाई उससे कहीं ज्यादा जल्दबाजी वैज्ञानिक की तरह वैक्सीन राष्ट्रवाद की छबि गढ़ने दिखाई दे रहे हैं।
कांग्रेस नेता विकास उपाध्याय ने ड्रग रेग्यूलेटर द्वारा वैक्सीन को क्लीनिकल ट्रायल मोड कहे जाने पर भी सवाल उठाया है और कहा है, यह वाक्य स्पष्ट होना चाहिये। उन्होंने आशंका जाहिर की है कि प्रधानमंत्री मोदी के दबाव पर एजेंसी इस बहाने तीसरे चरण का ट्रायल मनुष्यों में वैक्सीन लगाकर तो नहीं करने जा रही है, जो पहले से चल रही स्टडी का हिस्सा है। यही वजह है कि भाजपा के तमाम बड़े लोग ट्रायल वैक्सीन को लेने परहेज कर रहे हैं। विकास उपाध्याय ने देशी वैक्सीन की विश्वसनियता को लेकर उठ रहे सवालों पर मोदी सरकार से माँग की है कि वह अपना स्पष्ट अभिमत रखे कि यह सुरक्षा के पर्याप्त सबूतों के आधार पर स्वीकृत किया गया है।साथ ही यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि यह टीका किस पर और कितनी खुराक की मात्रा क्या होनी चाहिये। साथ ही उन्होंने कहा,भारत के वैज्ञानिकों को सामने आकर ट्रायल वैक्सीन को लेकर लोगों के सामने स्पष्ट अभिमत रखना चाहिए न कि प्रधानमंत्री मोदी को।