लोकसभा अध्यक्ष एवं उपराष्ट्रपति ने विधायकों को ससंदीय ज्ञान के सिखाये गुर

रायपुर 20 जनवरी
छत्तीसगढ़ राज्य की षष्ठम विधान सभा के लिए निर्वाचित सदस्यों के लिए विधान सभा परिसर स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी, प्रेक्षागृह में आज दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम प्रारंभ हुआ । कार्यक्रम का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ । प्रथम सत्र में अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश विधान सभा सतीश महाना, ने नवनिर्वाचित सदस्यों को संबोधित किया । द्वितीय सत्र में मान. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, भारत सरकार, मनसुख एल. मंडाविया एवं तृतीय सत्र में उप-राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने नवनिर्वाचित सदस्यों को अपने आशीर्वचन दिये । इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत, उपमुख्यमंत्री श्री अरूण साव, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल, मान. मंत्रीगण, विधायकगण तथा महासचिव लोकसभा, महासचिव राज्यसभा, प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश विधान सभा प्रदीप दुबे एवं छत्तीसगढ़ विधान सभा के सचिव दिनेश शर्मा उपस्थित थे।
प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि ओम बिरला ने कार्यक्रम का शुभारंम्भ माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया । इसके पूर्व विधानसभा परिसर पहुंॅचने पर उन्हें सशस्त्र बल द्वारा ‘‘गार्ड ऑफ ऑनर’’ दिया गया । ओम बिरला ने परेड का निरीक्षण कर सलामी ली। लोकसभा अध्यक्ष ने विधान सभा परिसर में ‘‘रूद्राक्ष’’ का पौधा भी लगाया ।
इस अवसर पर अपने संबोधन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा-कि लोकतंत्र में विधायिका की भूमिका एक ऐसे प्रहरी की है, जो यह सुनिश्चित करता है कि सरकार संविधान के अनुसार लोक कल्याण के हित में शासन करे । यह एक सतत् प्रक्रिया है। राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव, प्रश्न, ध्यानाकर्षण, स्थगन, सामान्य बजट पर चर्चा, विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा, विधेयकों पर चर्चा एवं पारण जैसे प्रक्रियात्मक साधनों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हांने कहा कि-विधानसभा के सदस्यों को, कार्यपालिका को विधायिका के प्रति जबाबदेह बनाने के पर्याप्त अवसर मिलते हैं । लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि- सदस्यों को सभा के विविध विषयों पर चर्चा में भाग लने के दौरान अपने प्रश्नों, ध्यानाकर्षण सूचनाओं व उपलब्ध अन्य सभी प्रक्रियागत माध्यमों का सटीक व समुचित उपयोग कर अपने कार्य-करण से व्यापक जनहित के विषयों पर एवं अपने निर्वाचन क्षेत्र की जनता की समस्याओं के निराकरण हेतु सभा में अपना विषय पूर्ण तथ्यों के साथ रखना चाहिए, ताकि लोगों के मन में संसदीय संस्थाओं के प्रति आस्था एवं विश्वास समृद्ध तथा मजबूत हो, उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में जिस नवाचार, मर्यादा और अनुशासन का परिचय देखने को मिलता है, वह अनुकरणीय है । उन्हांने कहा कि-अब शासन प्रणाली पहले से अधिक जवाबदेह और लोकोन्मुखी हो गई है, जिसमें नागरिकों को जागरूक बनाने पर बल दिया जा रहा है, इसका समाधान पारदर्शी और जिम्मेदार शासन व्यवस्था में निहित है । उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनता में व्यापक असंतोष है, इसलिए विधायक को अपने दोषरहित आचरण से मापदण्ड स्थापित करना चाहिए और जनता का विश्वास जीतना चाहिए ।
इस अवसर पर संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के अस्वस्थता के कारण प्रबोधन कार्यक्रम में उपस्थित नही होने के लिए खेद व्यक्त किया तथा प्रबोधन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी अतिथियों एवं नवनिर्वाचित विधायकों का आभार व्यक्त किया ।
उत्तर-प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना, ने ’’ध्यानाकर्षण सूचना, स्थगन प्रस्ताव एवं लोक महत्व के विषय पर चर्चा’’ विषय पर सदस्यों को सारगर्भित एवं महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि-प्रश्न, ध्यानाकर्षण एवं स्थगन प्रस्ताव की सूचना का प्रारूपण एक अत्यंत महत्वपूर्ण विधा है और इसे समझने के लिए हमें पूरे समय विधान सभा की कार्यवाही में भाग लेना चाहिए । उन्होंने कहा कि प्रत्येक वक्ता को सभा की कार्यवाही के दौरान अपनी बात प्रभावी तरीके से तथ्य-परक एवं सार्थक रूप से रखनी चाहिए ।
प्रबोधन कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में वक्ता स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, भारत सरकार, मनसुख एल. मंडाविया एवं प्रथम दिवस के अंतिम सत्र के मुख्य वक्ता उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी नवनिर्वाचित सदस्यों को आशीर्वचन दिया । इस अवसर पर उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जी ने भी विधान सभा परिसर में स्मृति स्वरूप वृक्षारोपण किया ।
इस अवसर पर अपने संबोधन में उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि-छ.ग. से मेरा लगाव अत्यंत पुराना है, व्यवसायिक रूप से छ.ग. मेरी कर्मभूमि रही है। वस्तृतः ज्ञान एवं सीखना निरंतरता में होना चाहिए। सीखने की कोई उम्र नही होती है। उन्होंने संविधान के प्रावधानों के पालन पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए कहा कि-संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों का भी उल्लेख हैं । सदन में कानून के निर्माण में सदस्यों की भूमिका सदैव रचनात्मक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि-विपक्ष की सबसे बड़ी ताकत सदन के चलने में है । यदि किसी मुद्दे पर सदन में चर्चा के बाद उसका समाधान नहीं होता है तो वह मुद्दा सड़क पर आ जाता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष सरकार को आईना दिखाती है। उन्होंने छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्यों को संसद के नए भवन को देखने हेतु आमंत्रित किया।
इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने कहा कि-प्रबोधन कार्यक्रम के माध्यम से सदस्यों के कार्य, व्यवहार, दक्षता एवं प्रखरता में वृद्धि होगी । उन्हांने कहा कि-सभी मान. सदस्यों को पक्ष-विपक्ष की भावना से ऊपर उठकर प्रदेश एवं जनता की खुशहाली के लिए सतत् प्रयास करते हुए जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए ।
इसके पूर्व अपने स्वागत संबोधन में विधान सभा सचिव दिनेश शर्मा ने कहा कि-नवनिर्वाचित सदस्यां को संसदीय विषयों की प्राथमिक जानकारी, संसदीय प्रक्रिया, संसदीय शिष्टाचार और संसदीय शब्दावली से परिचय कराना ही इस प्रबोधन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हैं, जिससे कि सभी सदस्यों की, सभा की कार्यवाही में संसदीय परंपराओं नियमों और प्रक्रियाओं के अनुरूप सहभागिता सुनिश्चित हो।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष, ओम बिरला, उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, भारत सरकार, मनसुख एल. मंडाविया, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश विधान सभा सतीश महाना जी का संबंधित सत्र में समापन अवसर पर शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया।

संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल द्वारा सभी उपस्थित जनों के प्रति आभार व्यक्त किया गया ।

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