मामला कोलवाशरी अमलाई का।
बरगवां अमलाई। विगत कई वर्षों से संचालित कोलवासरी आदिनाथ कोल बेनिफिकेशन के द्वारा कोयले में मिलावट खोरी कर पावर प्लांट में सप्लाई की जा रही है इस मिलावट के कारण पावर प्लांट के संचालन में उपयोग हो रहे कोयले के कारण रुकावट हो जाती है एवं बेस कीमती पार्ट्स भी नष्ट हो जाते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार धिरौल स्थित कोल वाशरी में भी कोयले के डस्ट और और कोयले के चूरे की मिलावट की जा रही है इसके साथ आदिनाथ कोल वेनीफिकेशन के कोल वाशरी प्लांट में भी कोयले के डस्ट को मिलाकर रेलवे के रेक में लोड किए जाते हैं और अन्यत्र पावर प्लांट में सप्लाई की जाती है जांच का विषय यह है कि यह कोयले का चूड़ा कहां से आता है और इसका उपयोग कोल वाशरी में क्या है जबकि कोल वाशरी प्लांट कोयले को वाश करने के लिए बनाया गया है लेकिन आदिनाथ कोल वेनीफिकेशन के जिम्मेदार कर्मचारियों के द्वारा कालाबाजारी का अड्डा बनाया गया है बताया जाता है कि कोल इंडिया लिमिटेड का पूर्व कर्मचारी जो की सेवा निवृत होने के बाद अपने पद का उपयोग निजी कंपनी के साथ मिलकर कालाबाजारी को अंजाम देने मे कर रहा है पूर्व में यह कर्मचारी रोड सेल विभाग में तकनीकी निरीक्षक के पद पर पदस्थ था और आज के स्थिति में निजी कंपनी के साथ कदम से कदम मिलाकर अधिकारियों को प्रसन्न करते हुए उनके दिल को जीतने का प्रयास कर रहा है जिसका नाम प्रसन्नजीत है यह इतने प्रसन्न है कि शासन प्रशासन को इस कदर चूना लगा रहे हैं की उनके इस कृत्य को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ भी देखकर हैरान है इनकी हैरानी भी जायज है जब उनकी आंखों के सामने कोयले की सफाई और उसकी गुणवत्ता को सशक्त बनाने के लिए काम सौंपी गई हैं उस पर गंदा कोयले का चूड़ा मिलावट खोरी के नाम पर जमकर सप्लाई की जा रही हैं। इस प्रकार हो रहे अवैध कोयले के व्यवसाय एवं प्रदूषण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी अपने सामने हो रहे हैं अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहा है।