दिल्ली 12 मार्च. छत्तीसगढ़ की लोक कला संस्कृति की संवाहक शकुंतला तरार ने संस्कृति मंत्रालय भारत शासन एवं साहित्य अकादमी दिल्ली के द्वारा आयोजित विश्व का सबसे बड़ा साहित्य महोत्सव जिसमें 1100 से अधिक प्रतिभागी 175 भाषाओं में 11 मार्च से 16 मार्च तक अपनी भाषाओं में रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे ,, आदिवासी लेखक सम्मिलन दिल्ली में शामिल होकर छत्तीसगढ़ी और हल्बी में रचना पाठ करके छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ाया है ।
उन्होंने छत्तीसगढ़ की माटी की सौंधी सौंधी महक को अपने सुरों के माध्यम से देश की राजधानी को महकाया है।
शकुंतला तरार छत्तीसगढ़ में एक ऐसा जाना पहचाना नाम है जिन्होंने न केवल हिंदी अपितु छत्तीसगढ़ी और हल्बी तीनों ही भाषाओं में लगातार लेखन कार्य कर रही हैं ।
13 मार्च को 175 प्रतिभागी जो आदिवासी भाषा में लेखन कार्य करते हैं , साहित्य अकादमी वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने जा रही है जिसमें शकुंतला तरार भी शामिल होंगी ।