सेवा की खातिर दुधमुंहे बच्चे को रखा अपने से दूर
अंबेडकर की कोरोना योद्धा अंजनी पाटले की कहानी
रायपुर. 10 मई 2021. किसी ने क्या खूब कहा है:- हर रिश्ते में मिलावट देखी ,कच्चे रंगों की सजावट देखी, लेकिन सालों- साल देखा है माँ को, उसके चेहरे पर न कभी थकावट देखी, न ममता में कभी मिलावट देखी।
कुछ इसी तरह अपने आंचल में मां की ममता को समेटे, बिना थके निःस्वार्थ भाव से कोरोना मरीजों की सेवा कर रही हैं। अम्बेडकर अस्पताल की वार्ड आया अंजनी पाटले। 35 वर्षीय अंजनी पाटले ने कर्तव्यपरायणता को सर्वोपरि रखते हुए कोरोना महामारी की दस्तक के साथ ही अपने सात महीने के बच्चे को उसके नाना-नानी के पास बिलासपुर में छोड़कर अम्बेडकर अस्पताल के विशेषीकृत कोरोना वार्ड में लगातार ड्यूटी कर रही हैं। अंजनी कोरोना योद्धा की ऐसी मिसाल हैं जिन्होंने न तो मां की ममता में मिलावट होने दिया और न ही अपने कर्तव्यपथ पर रूकावट होने दिया।
अपने छोटे से बेटे को दूर रखकर कोरोना मरीजों की सेवा करते हुए कैसा महसूस कर रही हैं, इस प्रश्न का उत्तर देते वक्त अंजनी के चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक साफ नजर आती है। अंजनी के मुताबिक कोरोना महामारी से उबरने के लिये दवा की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है लेकिन इसके साथ ही जो चीज सबसे ज्यादा असर करती है वह है मरीज के प्रति आपकी सेवाभावना। मेरी ड्यूटी अब तक अलग-अलग कोविड वार्ड में लग चुकी है, और अपनी ड्यूटी के दौरान मैंने यह कोशिश की है कि कर्तव्य पालन अच्छे से कर सकूं। मरीजों ने समय पर भोजन किया या नहीं, दवाई ली या नहीं, इस बात का ध्यान हम लोग अच्छे से रखते हैं। कई बार ऐसा होता है कि कोई मरीज अपने से चल-फिर नहीं सकता तो व्हीलचेयर की मदद से उसे लेकर जाना, और वापस बेड पर लाना, इस काम से भी एक आत्मसंतोष मिलता है। कई बार अस्पताल से लोग डिस्चार्ज होकर जाते हैं और उनके घर वाले फोन पर धन्यवाद देते हैं।
कोविड वार्ड में भर्ती 52 साल की मरीज निर्मला भी अंजनी की तारीफ करती हैं। कहती हैं कि अंजनी की सेवा भावना की जितनी तारीफ की जाए वह कम है। हम लोगों को डिप्रेशन न हो इसके लिए वह हमारी हौसला अफजाई करती है। परिवार के बारे में पूछने पर वह बच्चे को याद कर कभी भावुक हो जाती है लेकिन दूसरे ही पल अपने आंचल में मां की ममता को छुपाकर ड्यूटी में लग जाती है।
अंजनी के पति भानुप्रताप पाटले इसी अस्पताल में वार्ड ब्वॉय हैं। बकौल अंजनी, हमारी सेवा के बदले लोग जो दुआ और आशीर्वाद देते हैं, वहीं हमारी सेवा का प्रतिफल हैं । ऊपरवाले से दुआ करते हैं कि हम लोगों की सेवा ऐसे ही निरंतर करते रहें।