ब्लैक फंगस:इससे बचने के लिए क्या करें और क्या नहीं

भारत अभी कोरोना महामारी से लड़ने की कोशिश कर रहे है। पूरा देश इसे हराने में लगा है। भारत में कोरोना के मामले कम आने लगे है। मौत के आंकड़े भी कम हो हे है। भारत को अभी रहत की सांस मिलने लगी है कि एक और बीमारी आ खड़ी हुई है….ब्लैक फंगस। कोरोना के बाद  ब्लैक फंगस लोगों को डराने लगा है।  इस बीमारी को मेडिकल टर्म में म्यूकोरमायकोसिस कहते हैं और यह बीमारी कोरोना से रिकवर होने के बाद मरीजों में ज्यादा देखने को मिल रही है। इस बीमारी में मरीजों की आंखें जा रही है। कई मरीजों की तो आंखें निकाली जा चुकी है। कोरोना केस कम आने जरूर शुरु हो गये है लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। लिहाजा सावधानी और सतर्कता बेहद जरूरी है। एक्सपर्ट के मुताबिक कोरोना से ठीक हो रहे मरीजों को ब्लैक फंगस की बीमारी हो रही है। ब्लैक फंगस के मरीज राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात में ज्यादा देखने को मिल रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने ट्वीट करके ब्लैक फंगस के बारे में जानकारी दी और बताया कि आखिर ये बीमारी क्या है, किन लोगों को इस बीमारी का खतरा ज्यादा है, ब्लैक फंगस के लक्षण क्या हैं और बीमारी से बचने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं। स्वास्थ्य मंत्री की मानें तो अगर लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरूकता हो और शुरुआत में ही लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो बीमारी को जानलेवा होने से रोका जा सकता है।
आखिर क्या है म्यूकोरमायकोसिस या ब्लैक फंगस?
ब्लैक फंगस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है जो कोरोना वायरस की वजह से शरीर में ट्रिगर होता है। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) की मानें तो ब्लैक फंगस एक दुर्लभ बीमारी है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलती है और यह उन लोगों में ज्यादा देखने को मिल रहा है जो कोरोना वायरस से संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त थे या फिर जिन लोगों की इम्यूनिटी बेहद कमजोर है।
किन लोगों को इस बीमारी का खतरा ज्यादा है?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने अपने ट्वीट के जरिए बताया कि आखिर किन लोगों को ब्लैक फंगस होने का खतरा ज्यादा है। हर्षवर्धन की मानें तो, जिन लोगों को डायबिटीज की बीमारी है और जिनका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं रहता, जो लोग स्टेरॉयड लेते हैं जिसकी वजह से उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, वैसे लोग जो कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से लंबे समय तक आईसीयू या अस्पताल में भर्ती रहते हैं, वैसे लोग जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ हो या फिर जिन्हें कोई और गंभीर फंगल इंफेक्शन हुआ हो- ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस होने का खतरा अधिक होता है।
ब्लैक फंगस के लक्षण
ब्लैक फंगस के लक्षणों पर अगर समय रहते ध्यान दिया जाए तो मरीज की जान बचायी जा सकती है..
-आंखों में या आंखों के आसपास लालिपन आना या दर्द महसूस होना
-बार-बार बुखार आना
-सिर में तेज दर्द होना
-खांसी और सांस लेने में तकलीफ महसूस होना
-खून की उल्टियां आना
-मानसिक स्थिति में बदलाव महसूस होना
ब्लैक फंगस से बचने के लिए क्या करें और क्या नहीं
क्या करें
बेहद जरूरी है कि मरीज हाइपरग्लाइसीमिया से बचे यानी अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखे। कोविड-19 से ठीक होने के बाद और अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर आने के बाद भी लगातार ग्लूकोमीटर की मदद से अपने ब्लड ग्लूकोज लेवल को मॉनिटर करना जरूरी है। स्टेरॉयड का बहुत अधिक इस्तेमाल न करें और सही डोज और समय अंतराल का पता होना चाहिए। साथ ही एंटीबायोटिक्स और एंटी फंगल दवा का भी उचित इस्तेमाल करें। ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमीडिफायर के लिए साफ और कीटाणुरहित पानी का इस्तेमाल करें।
क्या न करें
बीमारी के संकेत और लक्षणों को नजरअंदाज न करें।  नाक बंद होने की समस्या को हर बार साइनस समझने की भूल न करें, खासकर वे लोग जो कोविड-19 के मरीज हैं। अगर जरा सा भी संदेह महसूस हो रहा हो तो पूरी तरह से जांच करवाएं। म्यूकोरमायकोसिस या ब्लैक फंगस के इलाज में देरी की वजह से ही मरीज की जान जाती है। शुरुआत में लक्षणों का पता करके समय पर इलाज होना बेहद जरूरी है।
आंख, नाक और जबड़े को भी प्रभावित करता है यह फंगस
आपको बता दें कि ब्लैक फंगस कोविड संक्रमण से रिकवर हो चुके मरीजों की न सिर्फ आंखों की रोशनी छीन रहा है, बल्कि यह फंगस त्वचा, नाक और दांतों के साथ ही जबड़े को भी नुकसान पहुंचाता है। नाक के रास्ते यह फेफड़ों और मस्तिष्क में पहुंचकर मरीज की जान ले लेता है। यह इतनी गंभीर बीमारी है कि मरीज को सीधे आईसीयू में भर्ती करना पड़ता है। लिहाजा समय रहते लक्षणों का पता लगाना बेहद जरूरी है।

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