मोदी सरकार पर्याप्त मात्रा में वैक्सिन उपलब्ध न करा कर किसी तीसरे लहर की आशंका को नजरअंदाज कर रही है
रायपुर। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने कहा,भारत को टीकाकरण अभियान शुरू किए छह महीने पूरे हो गए हैं।परंतु अब तक कुल आबादी के क़रीब पांच प्रतिशत लोगों को ही वैक्सीन मिल पाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा कर मोदी की केन्द्र सरकार फिर से एक बार कोविड-19 के किसी तीसरे लहर की आशंका को नजरअंदाज कर रही है। विकास उपाध्याय ने कहा,साल के आख़िर तक टीकाकरण का लक्ष्य पूरा करने के लिए सरकार को हर दिन में 80 से 90 लाख लोगों को वैक्सीन देनी होगी। पर महज 40 लाख लोगो को ही टिका लग रहा है।
विकास उपाध्याय ने देश में टिकाकरण की धीमी गति को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है।उन्होंने कहा,दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता, भारत इस तरह की चुनौती का सामना कर रहा है,तो इसके लिए जिम्मेदार केन्द्र की मोदी सरकार है। विकास ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने वैक्सीन निर्माताओं को वक्त से पहले ऑर्डर नहीं दिया। अप्रैल में आई कोरोना की दूसरी घातक लहर की वजह ने मोदी सरकार को इस बात के लिए मजबूर किया कि अभियान का दायरा बढ़ाया जाए और इस वर्ग में पूरी वयस्क आबादी को आना था जिसकी संख्या क़रीब एक अरब है।
विकास उपाध्याय ने आगे कहा,16 जनवरी से अब तक भारत में वैक्सीन की 39.93 करोड़ से ज़्यादा डोज लगाई गई है।क़रीब 31 करोड़ 20 लाख लोगों को अब तक वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है जबकि 7 करोड़ 70 लाख से अधिक लोगों को वैक्सीन की सिर्फ एक डोज लगी है।ऐसे में वैक्सीन डोज़ की रोज़ाना की औसत संख्या में आई गिरावट बेहद ही चिंताजनक है।डॉक्टर और विशेषज्ञों का मानना है कि तीसरी लहर का आना तय है क्योंकि नए कोरोना वायरस वेरिएंट्स के ख़तरों के बावजूद पाबंदियों को अब पूरी तरह हटा लिया गया है।ऐसी परिस्थितियों में टिका की अनुपलब्धता घातक साबित हो रहा है। अधिकांश प्रदेशों में वैक्सिन नहीं है। वैक्सिन के केन्द्र बन्द करना पड़ रहा है।
विकास उपाध्याय ने याद दिलाया कि मोदी सरकार ने कहा था कि कोविशील्ड वैक्सीन की 50 करोड़ डोज़, कोवैक्सीन की 40 करोड़, भारतीय कंपनी बायलॉजिकल ई के वैक्सीन की 30 करोड़, रूसी स्पुतनिक वी वैक्सीन की 10 करोड़ और अहमदाबाद स्थित जायडस-कैडिला के ZyCov-D के कोरोना वैक्सिन की 5 करोड़ डोज उपलब्ध होंगी।बावजूद वैक्सीन के आपूर्ति की कमी लगातार बनी हुई है और अपने लक्ष्य से टिकाकरण अभियान लगातार पिछड़ते जा रहा है।