नरेन्द्र मोदी ने काला धन के मुद्दे को सत्ता हथियाने सीढ़ी की तरह स्तेमाल किया : विकास उपाध्याय

रायपुर/नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय दिल्ली प्रवास पर हैं।इस बीच उन्होंने काले धन को लेकर फिर से एक बार मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने लोकसभा में काले धन पर पूछे गए सवाल के जबाव में वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा ये कहना कि स्विस बैंकों में कितना भारतीय काला धन सरकार को नहीं मालूम पर आश्चर्य है। विकास उपाध्याय ने सवाल किया कि क्या काले धन पर 7 साल में नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी का रुख़ बदल गया है। 2014 के चुनाव से पहले काला धन विदेश से वापस लाने और फिर हर भारतीय के खाते में 15 लाख डालने का ढिंढोरा पीटने वाली बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने अब काले धन की जानकारी देने से इनकार कर दिया है। तो क्या ये मान लिया जाए कि स्विस बैंकों में जमा पूरा काला धन बीजेपी के खुद का है जो वह देश से छुपा रही है।

विकास उपाध्याय ने 7 साल बाद मोदी सरकार के काला धन पर बदलते नजरिया को लेकर इसलिए भी सवाल उठाया है,क्योंकि छत्तीसगढ़ के कांकेर में 7 नवंबर 2013 को नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक रैली में ’15 लाख’ का सबसे पहला उल्लेख मिलता है। विकास उपाध्याय ने कहा,इस भाषण के सात साल बाद जुलाई 2021 में लोकसभा में काले धन पर पूछे गए एक सवाल के जबाव में वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा है, “पिछले 10 वर्ष में स्विस बैंक में छिपाए गए काले धन का कोई आधिकारिक आँकड़ा नहीं है।” विकास उपाध्याय ने प्रधानमंत्री मोदी से सीधा सवाल कर पूछा जब आपकी सरकार ये कहती है कि उसके पास स्विस बैंक में छिपाए गए काले धन का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है तो आखिर सरकार को क्या पता है?

विकास उपाध्याय ने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह से बीपी सिंह ने चुनाव में बोफोर्स मुद्दे को खूब उछाला था और कांग्रेस पर इसमें शामिल होने के मिथ्याआरोप लगाए थे और एक तरह से सिंह ने बोफोर्स मुद्दे को अपने लिए सीढ़ी की तरह उपयोग किया जिससे वे प्रधानमंत्री बन सकें। ठीक उसी तरह मोदी ने भी यही रुख अख्तियार कर खुद को कांग्रेस से अलग दिखाने झूठ का सहारा लिया और देश की भोली भाली जनता को अपने पूरे भाषणों में ये दिखाने सफल हो गए कि मनमोहन की यूपीए सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है।तब इस मदारी की बातों को देश की जनता ने भी विश्वास कर लिया।पर मोदी के 7 साल के शासन काल के बाद हम उस भ्रष्टाचार को कहाँ पाते हैं एक प्रश्न वाक्य है।

विकास उपाध्याय ने कहा,दरअसल मोदी के लिए काले धन का मुद्दा राजनीतिक था और इससे निपटने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की ज़रूरत होती है,जो मोदी में नहीं है।उन्हें तो सिर्फ सत्ता चाहिए था,जो मिल गया वरना “टूजी स्पेक्ट्रम को लेकर इतना बड़ा बवाल चला लेकिन अभी तक कुछ नहीं निकला। कोयले मामले पर भी इतना बवाल हुआ। इतने साल हो गए हैं लेकिन उसका कुछ नहीं निकला। विकास उपाध्याय ने आरोप लगाया कि, सत्ताधारी पार्टी बीजेपी सिर्फ काले धन के पैदा होने का फ़ायदा उठा रही है। अपनी संपत्ति बढ़ाने में रुचि ले रही है और इसके आड़ में राजनीतिक कंट्रोल बढ़ा रही है।

विकास उपाध्याय यहीं नहीं रुके और कहा,हाल ही में जब ये खबर आई कि भारतीयों और उनकी कंपनियों के स्विस बैंक के खातों में 20 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा जमा हैं और ये राशि पिछले 13 सालों में सबसे ज़्यादा है। इस पर सफ़ाई देते हुए वित्त मंत्रालय ने ये कह दिया कि उन्होंने स्विस अधिकारियों से इस बारे में जानकारी मंगाई है। जिस मोदी को ये पूरा जमा धन कला धन नजर आता था वह आज बोल रही है, स्विस बैंकों में राशि बढ़ने की दूसरी वजहें भी हो सकती हैं, जैसे हो सकता हो कि भारतीय कंपनियों ने बढ़ते व्यापार की वजह से स्विस बैंक में ज़्यादा राशि रखी हो, या फिर भारतीय और स्विस बैंकों के बीच लेन-देन बढ़ा हो। इस तरह मोदी ने काला धन को लेकर देश के साथ छल किया और यूपीए सरकार को बदनाम कर सत्ता पाई।

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