आलेख : ज्ञानेंद्र पाण्डेय, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर
लेखक वर्तमान में पी एचडी चैंबर के छत्तीसगढ़ इकाई के रेजिडेंट ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं। ये विगत 4 वर्षों से महासमुंद जिले के जंगली हाथी प्रभावित क्षेत्रों में मानव हाथी द्वंद पर अध्ययन कर रहे हैं।
प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को “विश्व हाथी दिवस” (World Elephant Day) के रूप में मनाया जाता है। हाथियों के लिए समर्पित यह खास दिन हाथियों के संरक्षण, गैर-कानूनी शिकार एवम तस्करी रोकने, हाथियों के बेहतर स्वास्थ्य और पुनर्वास के लिए जागरुकता प्रदान करने के लिए मनाया जाता है। “विश्व हाथी दिवस” का उद्देश्य प्राकृतिक रहवास में स्वच्छंद विचरण कर रहे हाथियों की संख्या, सुरक्षा एवम प्रबंधन के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना है।
विश्व हाथी दिवस की शुरुआत वर्ष 2011 में की गई थी परंतु आधिकारिक रूप से इसका शुभारंभ 12 अगस्त, 2012 को सिम्स और एलिफेंट की इंट्रोडक्शन फाउंडेशन ने किया था।
आईयूसीएन (IUCN: International Union for Conservation of Nature) द्वारा खतरों के सूचकांक (रेड लिस्ट) में ‘अफ्रीकन’ एवं ‘एशियन हाथी’ को लुप्त प्राय वन्य जीवों की श्रेणी में रखा गया है।
वर्तमान में देश के 14 राज्यों में लगभग 65000 वर्ग किलोमीटर में हाथियों के लिए 30 वन क्षेत्र सुरक्षित हैं। एशियाई हाथियों की वैश्विक आबादी का 60 प्रतिशत से अधिक भारत में है। परंतु हाल के वर्षों में जिस अनुपात से मानव हाथी संघर्ष की घटनाएं हुई हैं, वह अत्यंत चिंता का विषय है। हाथियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि वन विभाग, गैर सरकारी संस्थाएं एवम पर्यावरण प्रेमियों के समूह द्वारा संयुक्त रूप से जन जागरूकता तथा हाथियों के पुनर्वास के लिए सार्थक प्रयास किया जाना चाहिए।