रायपुर, 15 अगस्त 2021को राजधानी रायपुर मुख्यालय में ध्वजारोहण के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ को 4 नए जिले की सौगात दी, जिसमे सबसे विवादित मनेंद्रगढ़ को जिला बनाने से शुरू हुआ चिरमिरी की आबादी व पुराने शहरों में चिरमिरी का नाम आता है, आपको बता दे कि यहाँ की हसीन वादियों में रहना मानो जन्नत से कम नही । स्थानीय नेताओ और अधिकारियों द्वारा लंबे समय से चिरमिरी की उपेक्षा के कारण ही चिरमिरी की ये दुर्दशा हुई है। कोयले की खदानों की कभी चिरमिरी में कोई कमी नही थी, लंबे समय से भारत की तरक्की में यहां के श्रमजीवियों ने जो योगदान दिया है वह अतुलनीय है। आज जब चिरमिरी की फिर से उपेक्षा हुई तो जाहिर सी बात है स्थानीय लोगो के सब्र का बांध टूट गया, अब जिला मुख्यालय चिरमिरी को बनाने की माँग तेज हो रही है,वही जात पात, ऊंच नीच, धर्म राजनीति से परे सभी लोग चिरमिरी मुख्यालय बनाओ आंदोलन के लिए एकत्रित हो रहे है। जानकारों की माने तो प्रदेश सरकार ने घोषणा बीते दिनों करते हुए कहा कि इस जिले का नाम मनेंद्रगढ़ चिरमिरी, भरतपुर के रूप में जाना जाएगा, यह कह कर इतिश्री तो सरकार ने कर दी, आने वाले दिनों में चुनाव भी होने है, इस तरह जनता की नाराजगी का सामना मौजूदा हालात को देखते हुए सही नही कहा जा सकता, आपको बता दे कि भाजपा के पूर्व विधायक श्याम बिहारी जायवाल भी अब इस बार की चुनावी फ़िज़ा को भांपते हुए लोगो से मिलकर समा बना रहे, आपको बता दे कि चिरमिरी श्रमवीरो की नगरी है। और मेहनतकश लोग अपना हक अपना अधिकार लेना जानते है। समय क्या तय करता है यह अभी गर्भगृह में है। नगर को जरूरत है लोगो के एकजुट होने की और हिम्मत से ही चिरमिरी ने पूरे प्रदेश में अपना एक अलग ही मकाम बनाया है।
चिरिमिरी जिला मुख्यालय बनाओ समिति का संघर्ष लगातार जारी है जिसमे हम सेवा संस्था, चिरिमिरी व्यापार संघ सहित कई सामाजिक व गैर राजनीतिक संगठनों का समर्थन हासिल है ।
क्रमिक भूख हड़ताल के 9 वे दिन क्षेत्र की महिला शक्ति सामने आई और एक दिवसीय भूख हड़ताल पर नसरीन अशरफी, रविंदर कौर एवं सुनीता खटीक बैठी । यह एक सुखद संयोग है कि तीनों महिलाएं तीन अलग अलग धर्म हिन्दू, मुस्लिम व सिख का प्रतिनिधित्व कर रही है ।
चिरिमिरी जिला मुख्यालय बनाओ संघर्ष समिति का आगाज बहुत ही शानदार रहा है । अब अंजाम का इंतजार है ।