राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य समारोह में दिखा ऊर्जा, उत्साह और उमंग का सैलाब
मांदर, ढोल, नंगाड़ों के ताल पर रंग बिरंगे परिधानों से सजे कलाकारों ने दिखायी अनेकता में एकता की झलक
रायपुर, 28 अक्टूबर 2021/छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दूसरी बार आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में देश-विदेश की जनजाति कला-संस्कृतियों का अनूठा संगम दिखाई दिया। भारत के निकोबारी, कोया, टोडा, घूमरा, छाऊ के साथ विदेशी इकोंबी, दबका, बाटा नृत्य की थाप से एक बार फिर राजधानी गूंज उठी। अलग-अलग भाषा-बोली, वेषभूषा, गीत-नृत्य शैली के बाद भी सुर-ताल के एक रंग में देशी-विदेशी कलाकार रंगे नजर आए और अनेकता में एकता का अनुपम उदाहरण पेश किया। कार्यक्रम की शुरूआत देशी-विदेशी कला दलों की झांकी से हुई जिसमें सभी कलाकारों ने अपनी विशिष्ट नृत्य शैली की झलक दिखाई। इससे दो साल पहले वर्ष 2019 में हुए आदिवासी नृत्य समारोह मेंऊर्जा, उत्साह और उमंग का नजारा राजधानी में दिखाई दिया था। यह उत्सव एक बार फिर अलग-अलग संस्कृतियों को मंच देकर उनके कला-परंपराओं के आदान-प्रदान के अवसर के साथ सौहार्द्र और आपसी स्नेह-भाईचारा को बढ़ाने का एक अवसर लेकर आया है।
नृत्य महोत्सव में भारत के 27 राज्य, 6 केन्द्र शासित प्रदेश सहित 7 देशों के 59 दल भाग ले रहे हैं। ये कलाकार आगामी तीन दिनों तक विवाह संस्कार, पारंपरिक त्यौहार-अनुष्ठान और फसल कटने पर उत्साह से विभिन्न जनजाति संस्कृतियों द्वारा किये जाने वाले नृत्य कला का प्रदर्शन करेंगे। झांकी की शुरूआत नाइजीरिया, फिलीस्तीन, श्रीलंका, युगांडा, उज्बेकिस्तान के मेहमान कलाकारों की ऊर्जा और उत्साह से भरी झलकियों से हुई इसके बाद केन्द्र शासित प्रदेश और विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने प्रदर्शन किया।
झांकी में राजस्थान से आए कलाकारों ने पारंपरिक कालबेलिया नृत्य के साथ तलवार लहराते हुए महिलाओं ने अपने शौर्य का प्रदर्शन किया। वहीं सिक्किम के दल ने पारंपरिक वेशभूषा में आकर्षक प्रस्तुति दी। धोती-कुर्ता पहने तमिलनाडु के दल ने वहां की टोड़ा जनजाति के पारंपरिक नृत्य की झलक दिखायी। तेलंगाना के आदिवासी समुदाय ने कोया की नृत्य कला का प्रदर्शन किया। त्रिपुरा के दल ने होजागिरी नृत्य के माध्यम से ईश्वर की आराधना करते हुए सधे हाथों में थाल घुमाते हुए अद्भुत संतुलन का प्रदर्शन किया। उत्तराखंड के कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से पहाड़ी संस्कृति सा माहौल छत्तीसगढ़ में बना दिया। इनके साथ उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कला दलों ने भी झांकी में प्रस्तुति दी। सबसे अंत में आए मेजबान छत्तीसगढ़ के बस्तर के जनजाति कलाकारों ने माड़िया समुदाय के गौर सींग नृत्य के माध्यम से प्रकृति की महक को जीवंत कर दिया। गेड़ी नृत्य का प्रदर्शन भी छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने किया। मंच के सामने से गुजरते इन कलाकारों की प्रस्तुति पर दर्शक भी ताली बजाकर उत्साह बढ़ाते रहे।