रायपुर/18 नवंबर 2021। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय द्वारा वेट कम किये जाने की मांग को लेकर चक्का जाम के आंदोलन की घोषण और वेट कम होने पर ईट से ईट बजा देने की धमकी पर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपाई छत्तीसगढ़ में पहले गुटबाजी से जूझ रही भाजपा अपनो दरकती हुई इमारत को तो बचा लें फिर कांग्रेस के ईट बचाने के बारे में कल्पना करें। भाजपाई छत्तीसगढ़ में वेट की दरों को कम करने को लेकर विधवा विलाप कर रहे है। जबकि छत्तीसगढ़ आज भी अपने सीमांवर्ती राज्यों से कम वेट लेता है। जिन राज्यों में वेट अधिक वसूला जाता था उन्होंने वेट कम किया। छत्तीसगढ़ पहले से ही अन्य राज्यों की अपेक्षा कम वेट वसूलता है। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भूपेश सरकार ने वेट में एक भी पैसे की बढ़ोत्तरी नहीं की है। रमन सिंह के समय 25 प्रतिशत वेट लिया जाता था जो आज भी है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार एक्साईज ड्यूटी के अतिरिक्त विभिन्न मदो का शेष वसूल रही है। यदि केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल पर बढ़ाये गये एक्साईज ड्यूटी और जबरिया शेष में कमी कर दे तो देश में पेट्रोल-डीजल के दाम 40 रू. से भी कम हो जायेगा। केंद्र सरकार ने कोरोना काल में पेट्रोल-डीजल के दाम पर लगने वाले एक्साईज ड्यूटी को दस गुना तक बढ़ाया था जो 30 व 33 रू. की वृद्धि थी जिसमें कटौती सिर्फ 5 व 10 रू. किया गया। मोदी सरकार भ्रष्ट व्यापारी की भांति आचरण कर रही। पहले दाम दस गुना बढ़ाती है फिर 2 गुना कटौती कर जनता पर अहसान जताती है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार देश के 15 राज्यों की अपेक्षा कम वेट लेती है। इन 15 राज्यों में से अधिकसंख्यक भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य है अथवा भाजपा समर्थित सरकारें है। मध्यप्रदेश में पेट्रोल पर 33 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 26.80 प्रतिशत, तेलंगाना में 35.20 प्रतिशत, सिक्किम में 25.25 प्रतिशत, उड़ीसा में 32 प्रतिशत, मणीपुर में 36.50 प्रतिशत, मेघालय 31 प्रतिशत, दिल्ली में 30 प्रतिशत, कनार्टक 35 प्रतिशत, असम में 32.68 प्रतिशत, बिहार में 26 प्रतिशत, केरल में 30.8 प्रतिशत वेट लगता है। इन सबकी अपेक्षा छत्तीसगढ़ राज्य सिर्फ 25 प्रतिशत ही वेट लेता है। भाजपा द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार से वेट कम करने की मांग जनता से धोखा है तथा भाजपा की मुनाफा खोर केंद्र सरकार का बचाव करना है।