मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केंद्र सरकार को पत्र लिखकर किसानों मजदूरों आम जनता की हित की बात रखते हैं तो भाजपा नेता तिलमिलाते क्यो है?

रायपुर/25नवम्बर 2021/प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहां की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केंद्र सरकार को पत्र लिखकर किसानों मजदूरों युवाओं और आम जनता की हित की बात रखते हैं तो भाजपा नेता तिलमिलाते क्यों हैं? जो काम प्रत्यक्ष रुप से उपस्थित होकर भाजपा के 9 सांसदों को करना चाहिए उसे करने में भाजपा के सांसद अब तक नाकाम रहे हैं। छत्तीसगढ़ के साथ निरंतर मोदी सरकार भेदभाव कर रही है केंद्रीय योजनाओं की राशि में कटौती कर रही है केंद्रीय योजनाओं के आवंटन में छत्तीसगढ़ के साथ भेदभाव कर रही है किसानों के धान खरीदी में रोड़ा अटकाने के लिए अनेक प्रकार के नियम शर्ते थोपा जा रहा ।केन्द्र सरकार इस रवैया के खिलाफ भाजपा के सांसदों को मुखर होना चाहिए सदन में छत्तीसगढ़ की जनता की आवाज बनना चाहिए वह तो भाजपा के सांसद कर नही रहे हैं भाजपा की स्थिति यह है खुद तो किसानों नौजवानों मजदूरों और आम जनता की आवाज नहीं उठा पा रहे हैं और जो आवाज उठा रहे उसकी आवाज को दबाने के लिए ओछी राजनीति कर रहे हैं।प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ से सांसद चुने जाने के बाद भाजपा के सांसदों ने छत्तीसगढ़ के हित के लिए लोकसभा में कब केंद्र सरकार से सवाल किए हैं?केंद्र सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ के साथ किए जा रहे भेदभाव का विरोध किए हैं। किसानों को धान की कीमत एकमुश्त 2500 रु की राशि गई जिसे रोकने सेंटर पुल में चावल लेने में नियम शर्ते लगाई गई तब भाजपा नेताओ ने छत्तीसगढ़ की विषय में बात क्यों नहीं रखें? धान खरीदी के लिए बारदाना मांग अनुसार नहीं दिया गया और वर्तमान खरीफ़ वर्ष में भी नहीं दिया जा रहा है ऐसे में भाजपा के सांसदों ने क्या मोदी सरकार के पास छत्तीसगढ़ के हित की बात रखी है बीते तीन साल से चल रहे केंद्रीय योजनाओं में केंद्र सरकार ने स्वयं के अंशदान में कटौती की है जिसका व्यय भार राज्य सरकार को 13हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त उठाना पड़ रहा है। क्या भाजपा ने केंद्र सरकार स्वयं अंशदान में की गई  कटौती का विरोध किया है किस मुंह से भाजपा के नेता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के चिट्ठी लिखने पर टीका टिप्पणी करते हैं जब भाजपा स्वयं जनता के प्रति उत्तरदायित्व का निर्वहन नहीं कर पा रही हैं 

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