धान की बर्बादी पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की अदूरदर्शिता का परिणाम
रायपुर/29 दिसंबर 2021। छत्तीसगढ़ के अधिकांश हिस्सों में हो रहे बेमौसम बारिश से धान खरीदी केन्द्रों में धान के बचाव की पूरी व्यवस्था की गई है। इसके बावजूद कहीं-कहीं धान की भीगने की खबरें भी आ रही है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बारिश से किसानों के हुये नुकसान को भरपाई की जायेगी। मुख्यमंत्री ने सभी जिला कलेक्टरो से बारिश से हुये नुकसान का आंकलन करवाने को कहा है। पहली बार धान खरीदी के साथ उठाव भी बराबर हो रहा है। जिसके कारण खरीदी केन्द्रों में जाम की स्थिती नहीं बनी है। लेकिन प्रतिदिन लगभग 3 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी होने के कारण खरीदी केन्द्रो पर धान रहना सामान्य है। उसको सुरक्षित रखने तिरपाल कवर की व्यवस्था की गयी है। बेमौसम बारिश से नुकसान होना भी स्वाभाविक है। भारतीय जनता पार्टी बारिश और धान के नुकसान को लेकर अवसरवादी राजनीति कर रही है। भाजपा सरकार पर अव्यवस्था का राग अलाप कर घड़ियाली आंसू बहा रही है। इस नुकसान के लिये सही मायने में जवाबदेह भाजपा की अदूरदर्शिता है। आज जो बयानबाजी कर रहे यदि नीति बनाकर धान भंडारण के लिये गोडाउन बनवाये होते तो यह स्थिती नहीं बनती।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि 15 साल तक प्रदेश में भाजपा की सरकार थी खरीदी केन्द्रो पर भाजपा ने कवर्डशेड क्यों नहीं बनवाया था? धान के भंडारण के लिये रमन सरकार ने गोडाउन क्यों नहीं बनवाये थे? भारतीय जनता पार्टी ने कमीशनखोरी के लिये बड़ी-बड़ी अट्टालिकायें बनायी 14000 करोड़ से भी अधिक रू. फिजुल में नये राजधानी में खर्च कर दिया जहां आज तक बसाहट नहीं हुयी। कमीशनखोरी करने राजधानी में करोड़ो खर्च करने अनुपयोगी स्काईवाक बनवा दिया गया। जिसकी उपयोगिता कोई भाजपा नेता नहीं बता पाता। राज्य में 20 सालो से धान खरीदी हो रही है। 15 सालों तक भाजपा की सरकार थी। भाजपा ने धान खरीदी केन्द्रो में धान को सुरक्षित रखने की आवश्यकता क्यों महसूस नहीं किया? दो दशक में हमारे पास सिर्फ 5 हजार मीट्रीक टन अनाज रखने के गोदाम है। भाजपा सरकार ने शेड बनवाना तो दूर की बात है। भाजपा ने खरीदी केन्द्रो में चबूतरे तक नहीं बनवाया था। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खरीदी केन्द्रो में चबूतरो का निर्माण शुरू करवाया। आज भाजपा नेता बारिश से धान की बर्बादी पर बेशर्मी पूर्वक घड़ियाली आंसू बहा रहे है।