तेजी से स्थापित होते “छत्तीसगढ़ मॉडल“ से डरे भाजपाई संसद के पवित्र मंच का दुरुपयोग कर रहे हैं
भूपेश सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, सुपोषण, रोजगार और आमजन की समृद्धि के मामले में सीमित समय में अनेकों प्रतिमान स्थापित किया है
रायपुर/15 फरवरी 2022। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा अलग-अलग समय पर अलग अलग माध्यम से राजनीतिक लाभ के लिए एक ही विषय पर अलग-अलग आंकड़े प्रस्तुत करके भ्रम फैला रहे है। विगत दिनों भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कहा था कि मोदी सरकार के आंकड़े विश्वसनीय नहीं हैं। 4 दिन के भीतर दूसरी बार संसद के पवित्र मंदिर में झूठे तथ्य प्रस्तुत किए गए। पहले छत्तीसगढ़ को सर्वाधिक बिजली कटौती वाले पांच राज्यों में शामिल करके और अब कुपोषण और शिशु/बाल मृत्यदर पर। विदित हो कि वर्तमान में भी छत्तीसगढ़ सरप्लस बिजली वाला राज्य है। अभी भी हमारी मांग और खपत से लगभग 58 मेगावाट अधिक उत्पादन हो रहा है। महाराष्ट्र, गोवा और तेलंगाना को छत्तीसगढ़ से बिजली आपूर्ति की जा रही है। विगत 3 वर्षों में छत्तीसगढ़ में किसान, आदिवासी, गोपालकों की समृद्धि, कुपोषण शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के मामलों में अनेकों प्रतिमान स्थापित हुए हैं। छत्तीसगढ़ में नवजात शिशु और 5 वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर में बड़ी गिरावट आई है एन एफ एच एस के आंकड़ों के अनुसार 5 वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर में 22 प्रतिशत तथा नवजात व शिशु मृत्यु दर में 23 व 18 प्रतिशत की कमी आई है। 2015-16 में जहां राज्य में 5 वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर 64.3 प्रति हजार हुआ करती थी वर्ष 2020-21 में घटकर 50.4 प्रति हजार पर आ गई है। भूपेश बघेल सरकार के सुपोषण अभियान और संस्थागत प्रसव के लिए किए जा रहे प्रयासों का ही परिणाम है कि छत्तीसगढ़ में शिशु और बाल मृत्यु दर में लगातार कमी आ रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी हुई है वर्ष 2015-16 में 70.2 प्रतिशत था जो अब बढ़कर 85.7 प्रतिशत हो गई है। ऐसे में मोदी सरकार के द्वारा लोकतंत्र के पवित्र मंदिर, लोकसभा में झूठे आंकड़े प्रस्तुत करना बेहद निंदनीय है आपत्तिजनक है।
कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार छत्तीसगढ़ में गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण के 100 दिन के भीतर आयरन और विटामिन टेबलेट वितरण 2015-16 में 30प्रतिशत था जो 2020-21 में बढ़कर 45 प्रतिशत हो गया जबकि राष्ट्रीय औसत 44 है। विटामिन की रिपीट डोज 180 दिन बाद पुनः वितरण का आंकड़ा 2015-16 में 9.5 प्रतिशत था जो 2021 में बढ़कर 26.3 हो गया इसी प्रकार बच्चों के टीकाकरण में भी 81 से बढ़कर 84.8 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई है जबकि राष्ट्रीय औसत 83 प्रतिशत है। कुपोषण के मामले में रमन सिंह के समय 2012 से 2018 के बीच 7 वर्षों में केवल 16 प्रतिशत की कमी आई थी जबकि वर्तमान भूपेश बघेल सरकार में केवल 2 वर्षों में 32 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से बाहर आए हैं। जनवरी 2019 में चिन्हित 433541 कुपोषित बच्चों में से 140556 बच्चे मई 2021 तक कुपोषण से मुक्त हुए हैं। छत्तीसगढ़ में 1900 वेलनेश सेंटर खोले गए हैं, जिला अस्पतालों को मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल बनाया गया है, सभी ब्लॉक अस्पतालों में भर्ती की सुविधा आरंभ की गई है।आंगनबाड़ी केंद्र की संख्या 43763 से बढ़कर 40660 हो गई है। 2897 आंगनबाड़ी केंद्र नए खुले हैं। छत्तीसगढ़ में सुपोषण अभियान की मॉनिटरिंग प्रदेश के मुख्य भूपेश बघेल स्वयं कर रहे हैं। दूसरी ओर केंद्र की मोदी सरकार केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में झूठे और भ्रामक आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं। विगत दिनों भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद तेजस्वी सूर्य ने कहा था कि देश में कोई बेरोजगारी नहीं है जबकि हाल ही में प्रकाशित आंकड़ों में देश में बेरोजगारी दर ऐतिहासिक रूप से सर्वाधिक है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सुपोषण और आमजनता की समृद्धि का छत्तीसगढ़ मॉडल जिस तेजी से देश में स्थापित हो रहा है उससे डरे भाजपाई और केंद्र सरकार केवल भूपेश बघेल सरकार को नीचा दिखाने गलत आंकड़े को भ्रामक रूप से प्रस्तुत कर रही है जो सत्य से परे है, पूर्वाग्रह से ग्रसित और राजनीति से प्रेरित है।