बेमेतरा, 12 फरवरी 2021। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में हाथी पांव यानी फाइलेरिया की बीमारी से ग्रसित मरीजों को घरेलू रोग प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण दिया गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नवागढ़ में फाइलेरिया के 7 मरीजों को प्रशिक्षण के दौरान किट भी प्रदान की गयी।
इस बारे में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण जिला नोडल अधिकारी डॉ. ज्योति जसाठी ने बताया, “पानी जमाव होने के कारण मच्छर पैदा होते हैं जिससे फाइलेरिया जैसी बीमारी फैलाने वाले मच्छर पनपते है। डेंगू एवं मलेरिया भी मच्छरों के कारण ही होता है। डॉ. जसाठी ने बताया, सुबह व शाम फाइलेरिया प्रभावित मरीज शरीर के अंगों की नार्मल पानी से साबुन लगाकर नियमित साफ-सफाई करनी चाहिए। साथ ही साथ चिकित्सक द्वारा बताए गए व्यायाम विधि को अपनाने से सूजन नहीं बढ़ता। लगातार व्यायाम करने से सामान्य जीवन व्यतीत करने में सहायता मिलता है”।
डॉ. ज्योति जसाठी ने बताया, “तालाब व पानी जमा होने वाले स्थानों में पनपने वाले मच्छरों के कारण फाइलेरिया रोग फ़ैलता है। फाइलेरिया की रोकथाम व ग्रामीण क्षेत्रों में बचाव के लिए जागरूकता जैसे कार्यक्रम किए जा रहे हैं। फाइलेरिया रोकथाम का जायजा लेने नवागढ सीएचसी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की रिजनल डायरेक्टर डॉ. लीना बंदोपाध्याय व डॉ एसए शरीफ कल पहुंचे हुए थे। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के डीएचओ डॉ प्रदीप कुमार, जिला नोडल अधिकारी डॉ ज्योति जसाठी, डीपीएम अनुपमा तिवारी, आरएमएनसीएच शोभिका गजपाल, वीबीडी सुपरवाइजर गुलाब सिंह साहू , बीएमओ डॉ आशिष वर्मा, बीपीएम भी मौजूद रहे।
फाइलेरिया के कारण
फाइलेरिया रोग मच्छरों द्वारा फैलता है, खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर गंदगी वालों जगहों में सबसे अधिक पाया जाता है। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है। इसलिए इसकी रोकथाम बहुत ही आवश्यक है।
फाइलेरिया के लक्षण
आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैर हाथी के पांव जितने सूज जाते हैं इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
फाइलेरिया से बचने करें ये उपाय
फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें। पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रहें। सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगा लें। सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें। पीने के पानी को ढंक-कर रखे। हाथ या पैर में कही चोट लगी हो या घाव हो तो फिर उसे साफ रखें। साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवाई लगा लें।