बैकुण्ठपुर 17 अप्रैल 2022। विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस आनुवंशिक खून बहने वाले विकारों के बारे में जागरूकता फ़ैलाने का दिवस है। इसकी शुरुआत वर्ष 17 अप्रैल 1989 में की गई थी। यह ‘विश्व फेडरेशन ऑफ हीमोफ़ीलिया’ की एक पहल है। इस वर्ष का थीम “Access for All: Partnership” जो डब्लूएफएच (विश्व फेडरेशन ऑफ हीमोफ़ीलिया) द्वारा 17 अप्रैल 2022 के लिए रखा गया है। जिसका अर्थ है “सभी के लिए पहुँच: साझेदारी”।
कोरिया जिला स्वास्थ्य विभाग के जिला सलाहकार डॉ प्रिंस जायसवाल बताते हैं, “वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया के संस्थापक फ्रैंक श्नाबेल (Frank Schnabel’s) के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस के रूप में मनाया जाता है । इस दिवस की शुरुआत वर्ष 1989 में की गई थी। यह बीमारी रक्त में फैक्टर 8 या 9 की कमी से होती है। फैक्टर 8 या 9 में खून को शीघ्र थक्का कर देने की क्षमता होती है। खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है। लगभग 5,000 पुरुषों में से 1 के हीमोफीलिया से पीड़ित होने का ज़ोखिम होता है। महिलाएं ज़्यादादातर इस रोग के लिए जिम्मेदार आनुवांशिक इकाइयों की वाहक की भूमिका निभाती हैं।
हीमोफीलिया क्या है ?
हीमोफीलिया एक ‘दुर्लभ विकार’ है, जिसमें ‘रक्त में सामान्य रूप से थक्का नहीं जमता, क्योंकि इसमें ‘क्लॉटिंग फैक्टर’ नामक प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में नहीं पाया जाता है, जो कि रक्त के थक्कों के लिये उत्तरदायी होता है। हीमोफीलिया के तीन प्रकार हैं A, B और C, इनमें से हीमोफीलिया A सबसे सामान्य प्रकार का हीमोफीलिया माना जाता है।
हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति अगर किसी दुर्घटना का शिकार हो जाए तो ज़्यादादा खून बहने से उसकी मृत्यु भी हो सकती है । यह बीमारी सबसे पहले यूरोपियन शाही परिवारों (यह बी स्तर का हीमोफीलिया) में देखने को मिली । उस समय इस बीमारी को Abacaxis के नाम से जाना जाता था।
इसके लक्षण दिखने पर त्वरित चिकित्सा सहायता की आवश्यकता की ओर इंगित करते हैं, इनमें गंभीर सिरदर्द, लगातार उल्टी, गर्दन का दर्द, अत्यधिक नींद और चोट से लगातार खून बहना शामिल हैं। हीमोफीलिया एक लाइलाज़ बीमारी है। हीमोफीलिया रक्त से जुड़ी एक ऐसी आनुवंशिक बीमारी है जो माँ द्वारा बच्चों में होती है। इस बीमारी में रोगी के शरीर पर घाव लगने पर रक्त का थक्का नहीं बन पाता है। जिससे मरीज के शरीर से अधिक रक्तस्रावित हो जाता है। जिससे व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है।
उपचार
हीमोफीलिया का उपचार हेमेटोलॉजिस्ट द्वारा क्लोटिंग फैक्टर परख कर किया किया जाता है। जिन्हें इसकी शंका हो वे डीकेएस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और मेकाहारा में संपर्क कर सकते है। हीमोफीलिया का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका है कि रक्त के थक्के जमने वाले कारक को बदल दिया जाए ताकि थक्का ठीक से बन सके। यह व्यावसायिक रूप से तैयार किए गए फैक्टर कॉन्संट्रेट को इन्फ्यूजिंग (एक नस के माध्यम से प्रशासित) द्वारा किया जाता है। हीमोफिलिया से पीड़ित लोग सीख सकते हैं कि इन इन्फ्यूजन को स्वयं कैसे करना है ताकि वे रक्तस्राव को रोक सकें और नियमित रूप से इन्फ्यूजन (जिसे प्रोफिलैक्सिस कहा जाता है) करके, यहां तक कि अधिकांश रक्तस्राव के मामले को भी रोक सकते हैं। हीमोफीलिया C मरीज का इलाज प्लाज्मा इन्फ्यूजन द्वारा किया जाता है जो कि रक्तस्राव को कम करता है।
मेकाहारा में यह फैक्टर फ्री ऑफ कॉस्ट सरकार द्वारा समय-समय पर उपलब्ध होते हैं । हीमोफीलिया के बच्चे अगर शुरू से फैक्टर की रोकथाम कर ले तो उनकी लाइफ साधारण जैसी हो सकती है। हीमोफिलिया मुख्य रूप से जोड़ों को प्रभावित करता है, जो की समय के साथ सूजे हुए हो जाते हैं । बार बार ब्लीडिंग होने से, और समय के साथ खराब हो जाते हैं। हीमोफीलिया से पीड़ित बच्चों को ब्रेन हेमरेज भी हो सकता है ।
हीमोफिलिया की रोकथाम: वाहक का पता लगाना एवं प्रसवपूर्व निदान:
जब हीमोफिलिया का पारिवारिक इतिहास होता है, तब हीमोफिलिया जीन वाहक महिलाओं की पहचान करना संभव है। महिलाएं, जो जानती हैं कि वे वाहक हैं या वाहक हो सकती हैं, उनके पास भ्रूण की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए जन्म-पूर्व निदान (पता लगाने) का विकल्प होता हैं।
सभी राज्य/संघ-शासित प्रदेशों के थैलेसीमिया एवं सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित सभी रोगियों के लिए दिशा निर्देश है तथा हीमोफिलिया से पीड़ितों को नि:शुल्क रक्त उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यकम (आरबीएसके) का शुभारंभ किया गया, जो कि आनुवांशिक विकारों से पीड़ित बच्चों का शीघ्र पता लगाने और उनको उपचार प्रदान कराने में मदद करता है ।