रायपुर/31 मई 2021। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने कहा है कि राज्य के द्वारा मांगे गए 7 लाख 50 हजार मीट्रिक टन रासायनिक खाद में केंद्र के द्वारा 45 प्रतिशत कटौती कर दी थी और अब आगामी खरीफ सीजन में भी नियमित सप्लाई बाधित की जा रही है। रेलवे का रैक नहीं दिया जा रहा है। विदित हो कि संघीय व्यवस्था के तहत रसायनिक खाद का उत्पादन, वितरण और वितरण केंद्र सरकार का दायित्व है। भाजपाई स्थानीय गोठानों में छत्तीसगढ़ के ही महिला स्व-सहायता समूह की बहनों के द्वारा निर्मित वर्मी कंपोस्ट का विरोध करके छत्तीसगढ़िया और महिला विरोधी चरित्र को प्रदर्शित कर रहे हैं। एक तरफ रासायनिक खाद की सप्लाई बाधित कर रहे हैं, दूसरी ओर भ्रम पैदा करके वर्मी कंपोस्ट और जैविक खेती के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं। मोदी सरकार ने 35 हजार करोड़ की कटौती की थी। खाद्य सब्सिडी और मनरेगा जैसे लोक कल्याणकारी योजनाओं के बजट में प्रत्येक वर्ष लगभग 25 से 35 प्रतिशत की कटौती की जा रही है लेकिन भाजपा नेता मोदी सरकार के द्वारा लगातार किए जाने वाले उक्त कटौती का आधार पूछने का साहस नहीं जुटा पाए।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आर.पी. सिंह ने कहा कि खरीफ 2022 हेतु कुल मांग 13.70 लाख टन जिसका अनुमोदन भारत सरकार द्वारा दिया गया है। इसमें से यूरिया 6.50 लाख टन, डीएपी 3 लाख टन, पोटाष 80000 टन, एनपीके 1.10 लाख टन एवं सुपरफास्फेट 2.30 लाख टन है। माह अप्रैल एवं मई 2022 में राज्य को यूरिया की कुल आपूर्ति 3.29 लाख टन होनी थी लेकिन केवल 2.20 लाख टन यूरिया ही प्राप्त हुआ। यूरिया के वितरण का संपूर्ण नियंत्रण भारत सरकार के उर्वरक मंत्रालय द्वारा किया जाता है। यूरिया की उपलब्धता खरीफ के लक्ष्य के विरूद्ध 62 प्रतिशत है। राज्य में एनपीके की उपलब्धता खरीफ के लक्ष्य के विरूद्ध 30 प्रतिशत, डीएपी की उपलब्धता 39 प्रतिशत पोटाष की उपलब्धता 35 प्रतिशत है। आगामी दिनों में समय पर उर्वरक न मिलने से इनकी कमी हो सकती है। राज्य सरकार द्वारा किसानों को सहकारी संस्थाओं के माध्यम से अग्रिम उठाव करवाने, पौष मशीन में नियमित एन्ट्री करवाने एवं प्राप्त उर्वरक के तेजी से भंडारण एवं वितरण की व्यवस्था की जा रही है ताकि राज्य को समय पर उर्वरक प्राप्त करने में समस्या न हो। उर्वरक के रेल के माध्यम से प्राप्त होने वाले रैक हेतु भी आवश्यक समन्वय किया जा रहा है। यूरिया के अतिरिक्त अन्य सभी उर्वरकों अधिकांशतः आयातित सामग्री पर आधारित हैं अतः इनकी व्यवस्था भारत सरकार के माध्यम से ही की जा सकती है। अतः राज्य में पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध कराने का दायित्व केन्द्र सरकार का है।