रायपुर । संस्कार भारती छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा (मुंशी प्रेमचंद जयंती ,अभिनेत्री मुमताज जयंती, पद्मश्री मोहम्मद रफी पुण्यतिथि) को चंद्राकर छात्रावास परिसर , महादेव घाट रोड डगनिया रायपुर में छत्तीसगढ़ प्रांत की 21 वीं साधारण सभा का आयोजन प्रातः 11:00 बजे से सायं 4:30 बजे तक किया गया । केंद्रीय अधिकारी के रूप में माननीय निरंजन पंडा प्रचारक एवं अखिल भारतीय लोककला विधा सहसंयोजक तथा मध्य क्षेत्र प्रमुख श्री अनिल जोशी सहित प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष पद्मश्री डॉ राधेश्याम बारले एवं प्रदेश के विभिन्न जिला अध्यक्षों ने दीप प्रज्वलन कर बैठक का शुभारंभ किया ।
उद्घाटन सत्र में मायाराम सुरजन शासकीय शाला के युवा कला साधकों ने कला गुरु श्री प्राण दीप के मार्गदर्शन में सरस्वती वंदना ,स्वागत गीत एवं एक छत्तीसगढ़ी भाषा के गीत के साथ आगंतुकों का स्वागत किया। सामूहिक ध्येय गीत गायन पश्चात सभी आगंतुकों का परिचय हुआ । संवैधानिक कार्य के अंतर्गत पिछली 20 वीं साधारण सभा की कार्यवाही का वाचन प्रांत महामंत्री श्री हेमन्त माहुलीकर ने किया । प्रांतीय कोष प्रमुख श्री जागेश्वर सिंह मानसर ने कोष विवरण प्रस्तुत कर सभा को संपूर्ण आय-व्यय से अवगत कराया । सभा ने ॐकार ध्वनी के साथ अनुमोदन किया ।
क्षेत्र प्रमुख श्री अनिल जोशी जी ने प्रांतीय कार्यकारिणी के दो सदस्यों एवं 5 नये जिला अध्यक्षों की घोषणा की । तदअनुसार प्रांतीय सह महामंत्री के रूप में डॉ पुरुषोत्तम चंद्राकर रायपुर एवं प्रांतीय दृश्य श्रव्य संयोजक के रूप में आनंद सिंह यादव अंबिकापुर कार्य करेंगे ।
इसी प्रकार जिला इकाई रायपुर की नवीन कार्यकारिणी एवं बेमेतरा , राजनांदगांव, धमतरी, कबीरधाम और बालोद जिला में नई जिला इकाई की घोषणा हुई । इस प्रकार वर्तमान में प्रांत के सभी पांचों संभाग कार्य युक्त हैं । कुल 28 जिलों में से 15 जिलों में इकाइयां हैं एवं 7 जिले (बलौदाबाजार, जांजगीर -चांपा , सक्ति , जगदलपुर , कोंडागांव , सूरजपुर, जशपुर ) संपर्कित हैं , जहां अगले वर्ष तक जिला कार्यकारिणी के गठन का लक्ष्य है ।
भोजन पूर्व द्वितीय सत्र में रायपुर के प्रसिद्ध भजन गायक पद्मश्री जीडीसी भारती का सानिध्य प्राप्त हुआ । इस सत्र में प्रांतीय महामंत्री श्री हेमन्त माहुलीकर ने प्रांत में पुरातत्व विधा में गत वर्ष हुई गतिविधियों की जानकारी दी ….गत वर्ष प्रांतीय प्राचीन कला विधा संयोजक श्री हरि सिंह क्षत्री द्वारा कोरबा जिले में खोजे गए विभिन्न पुरातात्विक धरोहरों के बारे में पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत के पुरातात्विक विशेषज्ञ से चार बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा बातचीत हुई ।
इस जानकारी से प्रभावित होकर स्थल निरीक्षण के लिए पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत प्राचीन कला विधा संयोजिका श्रीमती विनीता ताई देशपांडे एवं श्री इंद्रनील बंकापुरे का जनवरी माह में पुणे से कोरबा आगमन हुआ । इस तीन दिवसीय प्रवास में कोरबा के उन अज्ञात पुरातात्विक धरोहरों में प्रवास हुआ जिन्हें श्री हरि सिंह क्षत्री जी ने खोजा था । इस दौरान राष्ट्रीय पुरातत्वविदों से चर्चाएं भी हुई और यह तय किया गया कि कोरबा को एक प्रोजेक्ट के रूप में लेकर पद्मश्री हरीभाऊ वाकणकर न्यास उज्जैन के सौजन्य से कोरबा जिले के पुरातात्विक धरोहरों पर एक पुस्तक प्रकाशित की जाए ।
श्री हरि सिंह क्षत्री जी को कुछ पेपर प्रेजेंटेशन की दृष्टि से दोनों विशेषज्ञों का मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ। इस यात्रा के पश्चात लगातार कई आभासी बैठकों का दौर चला जिसमें संस्कार भारती पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत , छत्तीसगढ़ ,श्री हरीभाऊ वाकणकर न्यास एवं विदर्भ प्रांत के जानकारों के बीच में कोरबा जिले के पुरातात्विक धरोहरों पर चर्चाएं होती रहीं । कोरबा जिले में श्री हरि सिंह क्षत्री द्वारा बहुत से गुफाएं , शैल चित्र शैलाश्रयों आदि की खोज की गई है उसमें से जनवरी के प्रवास में कुछ ही स्थलों का निरीक्षण हुआ था । साथ ही कोरबा के सीतामढ़ी , तुमान का ऐतिहासिक मंदिर एवं पाली के शिव मंदिर का निरीक्षण भी किया ।
आवश्यकता इस बात की महसूस की गई कि अब अधिक संख्या में पुरातत्व के जानकार कोरबा आकर इन धरोहरों का निरीक्षण करें । जून के अंत में 4 विशेषज्ञों का दल कोरबा आया जिसमें श्रीमती विनीता ताई देशपांडे पुणे के मार्गदर्शन में श्री नरेंद्र वेलनकर पुणे ,श्री प्रवीण योगी नागपुर और श्री इंद्रनील बंकापुरे कोल्हापुर शामिल थे । पांच दिवसीय प्रवास के दौरान कोरबा जिले से 60 किलोमीटर दूर देवपहरी स्थित अनेक पुरातात्विक धरोहरों के निरीक्षण पश्चात इस दल ने छत्तीसगढ़ के जांजगीर , शिवरीनारायण , मल्हार , रतनपुर , मदकू द्वीप एवं रायपुर के ऐतिहासिक स्थलों व मंदिरों का निरीक्षण भी किया ।
उल्लेखनीय है कि कोरबा जिले के उक्त दोनों प्रवास का व्यय संस्कार भारती पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत के सौजन्य से हुआ । साथ ही पुरातात्विक धरोहरों की खोज हेतु ₹25000 का विशेष आर्थिक सहयोग श्रीमती विनीता ताई देशपांडे जी के संपर्क से छत्तीसगढ़ प्रांत को प्राप्त हुआ ।
इस सत्र में संस्कार भारती का दृष्टिकोण और हमारा अधिष्ठान विषय पर श्री निरंजन पंडा जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कार भारती के कला साधक एवं कार्यकर्ताओं को कला के संरक्षण एवं संवर्धन की दृष्टि से क्या करना है यह स्पष्ट होना बड़ा जरूरी है । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वैचारिक संगठन होने के कारण हमारी लड़ाई उन लोगों से है जो भारतीय संस्कृति को नष्ट करने या गलत रूप से प्रस्तुत करने में लगे हुए हैं । छत्तीसगढ़ लोक कला के लिए बड़ा समृद्ध प्रदेश है यहां की लोक परंपराओं के मूल स्वरूप को संरक्षित रखने के लिए संस्कार भारती का प्रयत्न प्रभावी होना चाहिए ।
तत्पश्चात राष्ट्रीय स्तर पर 15 अगस्त को प्रातः 6:30 बजे होने वाले वंदे मातरम गौरव गान आयोजन की संकल्पना को क्षेत्र प्रमुख श्री अनिल जोशी जी ने सभा के सम्मुख रखा । आपने कहा कि संस्कार भारती छत्तीसगढ़ ने इस हेतु 50000 पत्रक प्रकीशित किए हैं जिसे प्रदेश के सभी जिलों में वितरित किए जाने की योजना बनी है चाहे उन स्थानों पर संस्कार भारती की इकाई हो या ना हो । आपने कहा कि संपूर्ण वंदे मातरम गीत में भारत माता की जो स्तुति है उससे केवल संगीत साधक ही नहीं वरन् सभी देशवासी अवगत होने चाहिए । प्रांतीय संगीत विधा संयोजक एवं वंदे मातरम गौरव गान आयोजन के संयोजक श्री कीर्ति व्यास जी ने पंडित ओंकारनाथ ठाकुर एवं इस गीत के रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए प्रदेश में इसके लिए हो रहे प्रयासों को रेखांकित किया ।
दोपहर भोजन पश्चात समापन सत्र में जिलाशः वृत्त कथन हुआ , जिसमें जिला से आए हुए महामंत्री , सह महामंत्री या प्रभारी पदाधिकारियों ने अपने जिले की सदस्य संख्या एवं गत वर्ष हुए कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण बताया । कोरबा ,दुर्ग ,सरगुजा, महासमुंद ,बिलासपुर ,मुंगेली ,कांकेर, रामानुजगंज ,और रायपुर के वृत्त कथन पश्चात ज्ञात हुआ कि वर्तमान में संस्कार भारती छत्तीसगढ़ की कुल सदस्य संख्या 421 है ।
तत्पश्चात मध्य क्षेत्र प्रमुख श्री अनिल जोशी जी ने इकाई में करणीय कार्य पर अपने विचार रखते हुए कहा कि मासिक बैठक की सुनिश्चितता , प्रतिष्ठित एवं नवोदित कलाकारों का डेटाबेस तैयार करना एवं प्रत्येक जिला में एक विधा की कार्यशाला जनवरी तक संपन्न होना चाहिए । प्रांत के कार्यकारी अध्यक्ष पद्मश्री डाॅ. राधेश्याम बारले जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज 5 नवीन जिलों में इकाई गठन की घोषणा हुई हैयह बड़े हर्ष की बात है । इसी तरह छत्तीसगढ़ प्रांत के सभी जिले संस्कार भारती के कार्यों से युक्त होना जरूरी है । आपने आशा व्यक्त की कि सभी जिलों के कार्यकर्ताओं के सक्रिय प्रयत्नों से वंदे मातरम गौरवगान जैसे राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम संपूर्ण सफल होगा ।
प्रतिवर्ष की भांति प्रांतीय साहित्य विधा संयोजक श्री विश्वनाथ कश्यप ने अपनी विशिष्ट काव्यात्मक शैली में आभार प्रदर्शन किया । आगामी 13 , 14 ,15 अगस्त को बिलासपुर में अमृत महोत्सव निमित्त आयोजन का संक्षिप्त विवरण देते हुए आपने सभा के सभी कला साधकों को उस कार्यक्रम में आने हेतु आमंत्रित किया । उल्लेखनीय है कि देश भर के 75 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं बिलासपुर जिले के 15 सेनानियों के चित्रों को बिलासपुर नगर के चित्रकारों द्वारा कैनवस पर बनाया जा रहा है । जिसकी भव्य प्रदर्शनी उक्त 3 दिन तक बिलासपुर में लगेगी । साथ में विभिन्न विधाओं के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे । संपूर्ण वंदे मातरम गान के साथ 21वीं साधारण सभा का समापन हुआ ।
अंत में शोक सभा हुई जिसमें पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष स्वर्गीय अशोक चंद्राकर , प्रांतीय कोष प्रमुख जागेश्वर मानसर के पिता स्व. लालाराम मानसर , प्रांतीय भू अलंकरण विधा संयोजक श्रीमती गंगा कौशिक की माता स्व. कुमारी देवी , बिलासपुर के साहित्यकार स्व. योगेश शर्मा , बिलासपुर के लोक कलाकार स्व. भीम सिंह एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष योगेंद्र चौबे के पिता स्व. कालीदिन चौबे के निधन पर शोक प्रस्ताव पारित किया गया एवं 2 मिनट के मौन के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई ।