छत्तीसगढ़ में ऊर्जा उत्पादन के इतिहास में एक मील का पत्थर और स्थापित हो गया जब मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने 25 अगस्त को 1320 मेगावाट के नए पॉवर प्लांट लगाने का निर्णय लिया। वास्तव में यह छत्तीसगढ़ को बरसों बरस तक जीरो पॉवर कट स्टेट बनाए रखने की दिशा में ऐतिहासिक फैसला है। यह निर्णय इसलिये भी ऐतिहासिक है क्योंकि यह छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी का सबसे बड़ा और सबसे आधुनिक संयंत्र होगा। इसकी स्थापना से छत्तीसगढ़ स्टेट जनरेशन कंपनी के स्वयं की विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़कर 4300 मेगावाट हो जाएगी।
छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसे जीरो पॉवर कट के रूप में जाना जाता है। यहां उपभोक्ताओं को 24ग7 बिजली आपूर्ति हो रही है। किसी भी प्रदेश की तरक्की का सबसे बड़ा सूचक वहां के ऊर्जा की खपत को माना जाता है। छत्तीसगढ़ में ऊर्जा की खपत तेजी से बढ़ रही है। राज्य स्थापना के समय जहां प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 300 यूनिट थी, वह आज बढ़कर 2044 यूनिट पहुंच चुकी है। भविष्य में ऊर्जा की मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने बड़े और ऐतिहासिक फैसले लिये हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश के बाद पॉवर जनरेशन कंपनी के कोरबा पश्चिम में 660-660 मेगावाट के दो सुपर क्रिटिकल नवीन विद्युत उत्पादन संयंत्र लगाने की कार्ययोजना बनाने पर कार्य प्रारंभ हो गया है। इस संयंत्र के निर्माण में 12915 करोड़ रुपए का व्यय अनुमानित है। इन दोनों इकाइयों को वित्तीय वर्ष 2029 और 2030 में पूर्ण करने का लक्ष्य है। राज्य स्थापना के बाद पहली बार इतनी क्षमता का विद्युत संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। यह मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की दूरदर्शिता को दर्शाता है।
छत्तीसगढ़ की धरती में अकूत खनिज संसाधन हैं। कोयले के भंडार मामले में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे नंबर पर है। इन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग देशभर के पॉवर प्लांट में हो रहा है। परन्तु इसका लाभ इस धरती के निवासियों को नहीं मिल पाता है। अगर यहां के खनिज संसाधनों से संबंधित उद्योग यहीं स्थापित होते हैं तो यहीं के लोगों को इसका सीधा लाभ मिलता है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की केबिनेट ने बिजली उत्पादन के क्षेत्र में दूसरा बड़ा फैसला पानी से बिजली बनाने के क्षेत्र में लिया है। केबिनेट में छत्तीसगढ़ राज्य जल विद्युत परियोजना (पंप स्टोरेज आधारित) स्थापना नीति 2022 को मंजूरी दी गई है। वर्तमान में जो जल विद्युत संयंत्र हैं, उनमें बांध में बारिश के पानी को एकत्रित किया जाता है और उसे टरबाइन में बहाकर बिजली पैदा की जाती है। इस पुराने तकनीक में पानी का इस्तेमाल केवल एकबार ही किया जाता है।
वर्तमान में नई पंप स्टोरेज आधारित जल विद्युत परियोजना तैयार की गई है, जिसमें एक ही पानी का इस्तेमाल कई बार किया जा सकेगा। इस तकनीक में बांध के ऊपर एक और स्टोरेज टैंक बनाया जाता है। दिन के समय सौर ऊर्जा से मिली सस्ती बिजली से इस टैंक में पानी स्टोरेज किया जाएगा और रात में उसे टरबाइन में गिराकर बिजली पैदा की जाएगी। यह पानी फिर से बांध में एकत्रित कर लिया जाएगा। इस तरह एक ही पानी का बार-बार इस्तेमाल किया जा सकेगा।
छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी ने प्रदेश में ऐसे पांच स्थानों पर पंप स्टोरेज जल विद्युत गृह की स्थापना के लिए विस्तृत कार्ययोजना बना रही है। इन पांच स्थानों पर 7700 मेगावाट बिजली पैदा हो सकेगी। डीपीआर बनाने के लिए केंद्र सरकार की एजेंसी वैपकास (वाटर एंड पॉवर कंसल्टेंसी सर्विसेस लिमिटेड) के साथ 29 नवंबर को एमओयू किया गया है। राज्य में पम्प स्टोरेज आधारित जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना हेतु निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 6 सितम्बर को आयोजित केबिनेट की बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य जल विद्युत परियोजना (पंप स्टोरेज आधारित) स्थापना नीति 2022 का अनुमोदन किया गया।
इन दोनों फैसलों से यहां के निवासियों के लिये रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। संयंत्र की स्थापना से लेकर उसके संचालन के लिये जहां हजारों लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा। इस संयंत्र की स्थापना अत्याधुनिक तकनीक से की जाएगी, जिसमें बहुत कम प्रदूषण होगा। इससे भविष्य में ऊर्जा की बढ़ती मांग पूरी हो सकेगी। इस फैसले से प्रदेश में उद्योग से लेकर कृषि क्षेत्र में प्रगति के नए पंख लगेंगे और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को तीव्र गति मिलेगी। यह फैसला आने वाले बरसों में छत्तीसगढ़ के लिये मील का पत्थर होगा।