पोषण पखवाड़ा के तहत लगाई गई पौष्टिक खाद्य पदार्थों की प्रदर्शनी

 दुर्ग, 27 मार्च 2021। जिले में पोषण पखवाड़ा के तहत 17 से 31 मार्च तक सेक्टर रसमड़ा के सभी 24 आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रतिदिन की गतिविधियां आयोजित की जा रही है। एकीकृत बाल विकास परियोजना दुर्ग ग्रामीण के अंतर्गत सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण मेला का आयोजन कर पौष्टिक खाद्य पदार्थों की प्रदर्शनी लगाई जा रही है। इस मौके पर पर्यवेक्षक शशी रैदास द्वारा पोषण के पांच सूत्रों के बारे में ग्रामीणों को विस्तृत रूप से परिचित कराया गया। पोषण पखवाड़ा से व्यवहार परिवर्तन के लिए पोषण के पांच सूत्र  का नारा लेखन सिलोदा आंगनबाड़ी केंद्र में लिखे गए। जिसमें पहले सुनहरे 1000 दिन, पौष्टिक आहार, अनीमिया प्रबंधन, डायरिया रोकथाम एवं स्वच्छता को शामिल किया गया है। साथ ही पौष्टिक आहार से होने वाले फायदों के बारे में भी बताया गया इसके अतिरिक्त उपस्थित लोगों को शपथ दिलाई गयी कि वे उचित स्वास्थ्य पोषण व्यवहारों को अपनाएंगे। साफ पानी एवं ताजा भोजन संक्रामक रोगों से बचाव करता है।ग्राम पंचायत रसमड़ा में पोषण रैली निकाली गई जिस पर स्व सहायता समूह की महिलाएं, किशोरी बालिकाओं द्वारा पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। महमरा आंगनबाड़ी केंद्र में हितग्राही गर्भवती महिला मिथिला निषाद को गोदभराई रस्म के दौरान पौष्टिक आहार की प्रदर्शनी में नवजात शिशु को पोषण एवं टीकाकरण के बारे में बताया गया। आंगनबाड़ी सिलोदा की हितग्राही शिशुवती माता मीना यादव व अरुणा निषाद को घर में पौष्टिक आहार बनाकर बच्चों को देना, घर में मौसमी फल साग सब्जी का अधिक से अधिक उपयोग, भोजन को हमेशा ताजा और गर्म भोजन बनाकर खाना, एनीमिया या खून की कमी हो तो जल्दी से जल्दी आयरन से संबंधित पोषण आहार का उपयोग करने को बताया गया। पोषण मेला में उपस्थित ग्रामीण जनों को महिला बाल विकास की महत्वाकांक्षी परियोजना 1098 चाइल्ड लाइन की टोल फ्री नंबर के बारे में चाइल्ड लाइन की टीम द्वारा विस्तृत रूप से बताया गया। जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने पोषण के पांच सूत्रों को बताते हुए बालिकाओं से प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता कर सही जवाब देने वाली बालिकाओं एवं महिलाओं को पुरस्कृत किया। महमरा व सिलोदा में रंगोली एवम सभी पंचायत में कार्यकर्ता और मितानिन, सहायिका द्वारा गर्भवती, शिशुवती और कुपोषित बच्चों के घर संयुक्त गृहभेट के माध्यम से पोषण व्यवहार अपनाये जाने पर जोर दिया जा रहा है। पोषण पखवाड़ा के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर सभी बच्चों को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई गई। गांवों में मेडिसिनल पौधे लगाये गए और पोषण समिति की बैठक का आयोजन कर कुपोषण की स्थिति पर चर्चा की गई।               पांच सूत्रों से कुपोषण पर लगामकुपोषण पर लगाम लगाने के लिए पोषण अभियान के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पांच सूत्र बताए गए हैं:स्वच्छता व साफ-सफाईसाफ पानी एवं ताजा भोजन संक्रामक रोगों से बचाव करता है। शौच जाने से पहले एवं बाद में तथा खाना खाने से पूर्व एवं बाद में साबुन से हाथ धोना चाहिए। घर में तथा घर के आस-पास सफाई रखनी चाहिए। इससे कई रोगों से बचा जा सकता है।डायरिया प्रबंधनशिशुओं में डायरिया शिशु मृत्यु का कारण भी बनता है। 6 माह तक के बच्चों के लिए केवल स्तनपान(ऊपर से कुछ भी नहीं) डायरिया से बचाव करता है। साफ-सफाई एवं स्वच्छ भोजन डायरिया से बचाव करता है। डायरिया होने पर लगातार ओआरएस का घोल एवं 14 दिन तक जिंक देना चाहिए।पौष्टिक आहारशिशु जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगले 6 माह तक केवल माँ का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। 6 माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है। इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है। घर का बना मसला एवं गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है। अनीमिया प्रबंधनगर्भवती माता, किशोरियां एवं बच्चों में अनीमिया की रोकथाम जरूरी है। गर्भवती महिला को 180 दिन तक आयरन की एक लाल गोली जरूर खानी चाहिए। 10 वर्ष से 19 साल की किशोरियों को सप्ताह में सरकार द्वारा दी जाने वाली आयरन की एक नीली गोली का सेवन करना चाहिए। 6 माह से 59 माह के बच्चों को सप्ताह में दो बार 1 मिलीलीटर आयरन सिरप देनी चाहिए।                                                                              

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