कोरबा, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और जांजगीर-चांपा के सैम्पलों की होगी जांच
रायपुर. 13 मई 2021. लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव ने आज कोरबा जिला मुख्यालय में कोरोना सैंपलों की आरटीपीसीआर जांच के लिए वायरोलॉजी लैब का ऑनलाइन शुभारंभ किया। इस नए लैब को मिलाकर अब प्रदेश के 11 शासकीय लैबों में आरटीपीसीआर जांच की सुविधा हो गई है। कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए प्रदेश में लगातार सैंपल जांच की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसकी सुदृढ़ व्यवस्था के लिए नए आरटीपीसीआर जांच केंद्र और ट्रू-नाट लैबों की स्थापना की जा रही है। प्रदेश में पिछले दो हफ्तों में चार नए वायरोलॉजी लैब शुरू हुए हैं। इस दौरान महासमुंद, कांकेर और कोरबा के नए मेडिकल कॉलेजों के साथ ही कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में आरटीपीसीआर जांच की सुविधा विकसित की गई है। कोरबा में वायरोलॉजी लैब के वर्चुअल लोकार्पण कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा एवं जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल, सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत, विधायक श्री पुरूषोत्तम कंवर और श्री मोहित केरकेट्टा तथा महापौर श्री राजकिशोर प्रसाद भी शामिल हुए।
स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव ने लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अब कोरबा में ही आरटीपीसीआर जांच की सुविधा शुरू होने से संदिग्ध मरीजों की जांच और कॉन्टैक्ट-ट्रेसिंग में तेजी आएगी। लोगों को रिपोर्ट भी जल्दी मिलने लगेगी। एम्स रायपुर, छह पुराने और तीन नए मेडिकल कॉलेजों तथा बैकुंठपुर वायरोलॉजी लैब को मिलाकर अब प्रदेश में कुल 11 जगहों पर आरटीपीसीआर जांच की सुविधा हो गई है। कोरोना संक्रमण की शुरूआत के समय हमारे पास एक भी वायरोलॉजी लैब नहीं था।
श्री सिंहदेव ने बताया कि जशपुर, जांजगीर-चांपा, बलौदाबाजार, दुर्ग और दंतेवाड़ा में भी वायरोलॉजी लैब की स्थापना के लिए कार्यादेश हो गया है। राज्य शासन से बालोद और मुंगेली में भी इसकी स्थापना की अनुमति मिल गई है। कोशिश होगी कि ये सभी लैब जल्द से जल्द शुरू हो जाएं। वायरोलॉजी लैब से कोरोना संक्रमण की बेहतर जांच कम समय में ही स्थानीय स्तर पर हो जाएगी। नए लैबों से कोरोना संक्रमितों की पहचान और उन्हें समय पर उपचार उपलब्ध कराने में तेजी आएगी।
स्कूल शिक्षा मंत्री एवं कोरबा जिले के प्रभारी डॉ. प्रेमसाय सिंह ने ऑनलाइन लोकार्पण कार्यक्रम में कहा कि कोरबा में वायरोलॉजी लैब की बहुत जरूरत महसूस की जा रही थी। जांच के लिए सैंपल रायगढ़ भेजे जाने से रिपोर्ट मिलने में देरी होती थी। अब यह समस्या नहीं होगी। कोरोना काल के बाद भी यह लैब मेडिकल कॉलेज के लिए काफी उपयोगी होगा। लोकार्पण कार्यक्रम में वायरोलॉजी लैब में मौजूद राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि औद्योगिक नगरी कोरबा के लिए बहुत खुशी कि बात है कि आज यहां आरटीपीसीआर जांच की सुविधा शुरू हो रही है। कोरबा के साथ ही इसका लाभ आसपास के जिलों को भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि यहां कोरोना पर नियंत्रण और रोकथाम के लिए शासन-प्रशासन एवं सामाजिक संगठन मिलकर काम कर रहे हैं। इसके अपेक्षित परिणाम आए हैं और कोरबा में संक्रमण की दर घटी है।
कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत ने वर्चुअल लोकार्पण कार्यक्रम में कहा कि सभी के सहयोग से यहां विकसित हो रही स्वास्थ्य सुविधाओं से आने वाले समय में कोरबा प्रदेश का सबसे सुरक्षित और स्वस्थ जिला बनेगा। लैब के शुरू होने से कोरोना संक्रमण की जांच, रोकथाम और नियंत्रण में तेजी आएगी। उन्होंने कोरबा और कोरिया में वायरोलॉजी लैब की स्थापना के लिए स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव को धन्यवाद दिया। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक श्री नीरज बंसोड़, चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक डॉ. आर.के. सिंह, रायपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. विष्णु दत्त, कोरबा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. वाय.के. बड़गैंया, जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती शिवकला कंवर, एम्स रायपुर की डॉ. अनुदिता भार्गव और गैर-संचारी रोगों के नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन भी वीडियो कॉन्फ्रेंस से लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल हुए।
कोरबा, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और जांजगीर-चांपा जिले के सैम्पलों की होगी जांच
कोरबा जिला अस्पताल परिसर में स्थापित वायरोलॉजी लैब पूरी तरह से ऑटोमेटेड है। इस लैब की प्रतिदिन जांच क्षमता एक हजार सैम्पल है। पहले चरण में 500 सैंपल प्रतिदिन जांच के साथ इसे आज शुरू कर दिया गया है। इसके शुरू हो जाने से अब कोरबा से कोरोना संदिग्ध संक्रमितों के सैम्पल जांच के लिए रायगढ़ नहीं भेजे जाएंगे। जिले में ही जांच होने से रिपोर्ट अब पांच से छह घंटे में मिल जाएगी। यहां कोरबा के साथ ही गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और जांजगीर-चांपा जिले के सैंपलों की जांच की जाएगी। लैब के नौ तकनीशियनों को एम्स रायपुर में विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया है। लैब की मशीनों की भी पहले से जांचे गये सैंपलों का उपयोग करके शुद्धता और कार्य क्षमता का परीक्षण कर लिया गया है।