अच्छे दिन तो आ गए लेकिन आसुओ के साथ- राजेन्द्र बंजारे प्रदेश सचिव कांग्रेस।

रायपुर,छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव एवं पूर्व जनपद अध्यक्ष राजेंद्र पप्पू बंजारे एवम रायपुर के पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्रीमती संतोषी बंजारे ने अपने निज निवास ग्राम तुलसी बाराडेरा में बढ़ती हुई महगाई के खिलाफ धरना दिया। इस अवसर पर श्री बंजारे ने कहा कि महंगे होते ईंधन से जो हालात बन रहे हैं, वे अर्थव्यवस्था को किसी भी हाल में ऊंचाई पर ले जाने वाले नहीं हैं।मोदी सरकार के कार्यकाल में महंगाई सिर चढ़कर बोल रही है। चाहें बात पेट्रोल डीजल की हो या फिर दाल, दूध सरसो तेल जैसी खाद्य सामग्री की, बढ़ते दामों ने आम लोगों की कमर तोड़ रखी है। बीते सात सालों की बात की जाए तो पेट्रोल-डीजल, एलपीजी गैस के दाम लगभग दोगुने हो चुके हैं तो सरसों के तेल का दाम तीन गुना तक बढ़ चुका है।
कांग्रेस के प्रदेश सचिव राजेन्द्र बंजारे ने एक लिस्ट शेयर करते हुए बीजेपी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जरूरी चीजों के दामों की 2014 और आज से तुलना की है। उनके मुताबिक पेट्रोल 2014 में 60 रुपये प्रति लीटर था तो डीजल 50 रुपये थे लेकिन आज पेट्रोल के दाम 100 रुपये तक हो गए हैं जबकि डीजल 91 रुपये प्रति लीटर की दर से बिक रहा है। एलपीजी की बात करें तो घरेलू रसोई गैस के सिलेंडर का रेट 2014 में 414 रुपये था जो अब बढ़कर 1000 रुपये तक पहुंच चुका है।
खाने पीने की चीजों की भी तुलनात्मक लिस्ट में ,दाल का रेट 2014 में 70 रुपये था, जो अब 135 तक पहुंच चुका है। देसी घी की बात की जाए तो इसके दाम सात साल पहले 350 रुपये थे जो अब 550 रुपये तक हो चुके हैं। सरसों का तेल 52 से 200 रुपये तक हो गया है। दूध की कीमत 36 रुपये से बढ़कर 60 तक पहुंच चुकी है। रायपुर की पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्रीमती संतोषी बंजारे ने धरना देते हुए कहा कि आम आदमी आज जिस परिस्थिति से गुजर रहा है, वर्तमान परिस्थिति को वह जिस शब्द से जानता और पुकारता है, वह एकमात्र शब्द है ‘महंगाई।’ वह अपने दर्द को जिस वाक्य में अभिव्यक्त करता है, वह वाक्य है — ‘मार दिया इस महंगाई ने।’ जब इस देश की गृहिणी बाजार में आटा, चावल, दाल, चीनी लेने जाती है या गैस वाले को पैसे पकड़ाती है, तो उसके मुंह से यही निकलता है – मार दिया इस महंगाई ने। जब इस देश का गरीब अपनी लालटेन जलाने के लिए केरोसीन खरीदने जाता है, तो उसके मुंह से यही निकलता है – मार दिया इस महंगाई ने। जब 18-19 वर्ष का किशोर अपनी मां से स्कूटर के लिए पैट्रोल के पैसे मांगता है, तो मां और बेटा, दोनों के मुंह से एक साथ निकलता है – मार दिया इस महंगाई ने। जब घर में काम करने वाली महिलाएं अपनी पगार बढ़ाने का तर्क देती हैं तो यही कहती हैं, क्या करें बीबी जी, मार दिया इस महंगाई ने। इसलिए मैं आज मैं इस धरने के माध्यम से उस आम आदमी की तरफ से, उस गरीब गृहिणी की तरफ से, उस सतायी हुई महिला की तरफ से और उस परेशान नौजवान की तरफ से महंगाई पर हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से आह्वान करती हूं कि सरकार अपनी नींद से जागे और उस आम जनता को महगाई सता रही है,महगाई परेशान किया जा रहा है, उसे तुरंत और तत्काल प्रभाव से कदम उठाकर राहत देने का काम करे।

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