भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपनी पार्टी की सरकार के प्रवक्ताओं से पेगासस जासूसी पर कई असहज करने वाले सवाल पूछे हैं। उन्होंने इस पूरे मामले में भारत को अपना दामन साफ करने की सलाह भी दी है और प्रधानमंत्री से कहा है कि वे सीधे इजराइल के प्रधानमंत्री को फोन करें और इस बारे में बात करें। बहरहाल, स्वामी के सवाल सरकार और भारतीय जनता पार्टी दोनों को मुश्किल में डालने वाले हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पर भी सवाल उठाए हैं।
स्वामी ने ट्विट करके बताया है कि वे संसद की लाइब्रेरी में गए और उन्होंने पिछले कुछ सालों का राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिवालय के बजट का हिसाब देखा। उनके मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिवालय का बजट 2014-15 में 44 करोड़ और 2015-16 में 33 करोड़ था, जिसे 2017-18 में बढ़ा कर 333 करोड़ कर दिया गया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने तीन सौ करोड़ रुपए साइबर सिक्योरिटी की आरएंडडी के लिए आवंटित कराया। इसके बाद स्वामी ने पूछा है कि सरकार के प्रवक्ता बताएं कि ये तीन सौ करोड़ रुपए कहां खर्च हुए? ध्यान रहे 2018-19 के साल में ही भारत में इजराइली सॉफ्टवेयर पेगासस के इस्तेमाल से जासूसी कराने का खुलासा हुआ है।
इसके अलावा स्वामी ने एक दूसरे ट्विट में बताया कि इजराइल की संस्था एनएसओ का जासूसी सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के लिए क्लायंट के यहां सर्वर इंस्टाल करना होता है। इसका मतलब है कि जो भी सरकार या सरकारी एजेंसी इसे खरीदती है उसे अपने यहां सर्वर इंस्टाल कराना होता है और सपोर्ट स्टाफ रखना होता है। इस आधार पर स्वामी का कहना है कि एनएसओ का दफ्तर दिल्ली में होना चाहिए। इसलिए उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इजराइल के प्रधानमंत्री को फोन करना चाहिए और विरोध दर्ज कराना चाहिए कि आखिर उसने भारत जैसे दोस्त देश के साथ ऐसा क्यों किया? इससे जाहिर है कि स्वामी जासूसी के खुलासे को सही मान रहे हैं।
इससे पहले जासूसी प्रकरण का खुलासा होने के तुरंत बाद स्वामी ने ट्विट करके कहा था कि भारत सरकार को अपना दाम पाक साफ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देर सबेर इसका खुलासा होगा कि जासूसी हुई है। स्वामी ने कहा कि इजराइल में एक मजबूत लॉबी ऐसी उभरेगी, जिसको लगेगा कि पिछले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के किए की सजा देश अभी क्यों भुगते। इसलिए हो सकता है कि इजराइल सारे दस्तावेज फ्रांस की अदालत में चल रही सुनवाई में जमा करा दे और तब सच सामने आ जाएगा। इसलिए भारत सरकार को पहले ही स्थिति स्पष्ट कर देनी चाहिए।