– मनोचिकित्सक विशेषज्ञों ने दी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जानकारी
रायपुर, 11 फरवरी 2022, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और उनके निवारण के लिए महिलाओं और किशोरियों को जागरूक रहने की बहुत जरूरत है। इसी के मद्देनजर स्कूल-कॉलेज की छात्राओं और महिलाओं के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मेंटल वेल बीइंग वेबीनार “मन के गोठ “कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री कार्यालय के सहयोग से आयोजित ऑनलाइन वेबीनार में देशभर के मनोचिकित्सक विशेषज्ञों ने हिस्सा लेकर महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी, साथ ही महिलाओं को मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने के गुर भी बताए ।
इस मौके पर विशेषज्ञों ने समुदाय स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के निदान के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी भी हासिल की। साथ ही महिलाओं और किशोरियों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और उनकी मानसिक स्वास्थ्य जिज्ञासाओं को शांत भी किया। इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में सहायता पहुंचाने के लिए नई दिल्ली पीएसए डिवीजन, पुणे स्थित सीडेक (C-DAC) एवं निम्हांस बैंगलुरू द्वारा तैयार किया गया “मानस एप्लीकेशन” के बारे में भी बताया गया। वेबीनार के माध्यम से विशेषज्ञों ने अपने अनुभवों को साझा कर मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने के उपाय भी बताए।
महिलाओं को मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं ज्यादा – वेबीनार में मुख्य रूप से साइंटिस्ट एफ, पीएसए ऑफिस, भारत सरकार डॉ. केतकी बापट ने कहा “कोविड महामारी के समय में मानसिक सुदृढ़ता की बहुत जरूरत है। विशेषकर महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को समझना और उसका निदान करना अहम है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए सरकार द्वारा कई तरह की सुविधाएं एवं सहायता प्रदान की जा रही हैं । फिर भी महिलाओं और किशोरियों की मानसिक समस्याओं को समय पर पहचानकर उसका निराकरण करना आज सबकी महत्ती जिम्मेदारी है क्योंकि महिला ही परिवार की धुरी है और मानसिक रूप से वह स्वस्थ्य और खुशहाल रहेगी तो परिवार और समाज स्वस्थ्य और खुशहाल रहेगा। इस दौरान डॉ. केतकी ने मानसिक स्वास्थ्य के लिए छ्त्तीसगढ़ में किए जा रहे कार्यों की भी सराहना की। साथ ही मितानिनों को सकारात्मक सोच को रखते हुए मानसिक रोगी को पहचानकर उसका शीघ्र इलाज कराने का आह्वान किया।“
वेबीनार में उप संचालक राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम डॉ. महेन्द्र सिंह ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने के प्रति जागरूक करने की आज जरूरत है। जन जागरूकता के जरिए ही शारीरिक समस्या के समान ही मानसिक समस्या को समझकर उसका निदान किया जा सकता है।
कार्यक्रम में कार्यकारी संचालक सीडेक, बेंगलुरू के डॉ. एस. डी. सुदर्शन ने मानसिक स्वास्थ्य के लिए किए जा रहे कार्यों और “मानस ऐप” के बारे में प्रकाश डाला। वहीं नेशनल प्रोफेशनल ऑफिस, मेंटल हेल्थ से डॉ. आत्रेई गांगुली ने छत्तीसगढ़ में मितानिनों द्वारा मानसिक स्वास्थ्य की जागरूकता के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा: “मितानिनों ने समाज में फैले रूढ़िवादी नजरिए कि मानसिक रोग नहीं ऊपरी बाधा है को तोड़कर मानसिक रोग भी अन्य सामान्य रोग जैसा ही एक रोग है, इस धारणा को अपनाने पर मजबूर किया, इसलिए वह तारीफ की पात्र हैं। डॉ. गांगूली ने महिलाओं एवं किशोरियों से अपनी इच्छाओं, सपनों को साकार करने में संकोच नहीं करने और कोई परेशानी हो तो साकारात्मक सोच के साथ उस संबंध में चर्चा करने की अपील की।“ निम्हांस बेंगलुरू की प्रोफेसर डॉ. प्रभा चंद्रा ने महिलाओं को मानसिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से उबरने के उपायों की जानकारी देते हुए गर्भावस्था और प्रसव के दौरान और बाद में विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा: “गंभीर मानसिक समस्याएं या मानसिक रोग का पता तो चल जाता है मगर सरल मानसिक रोग या समस्याएं जैसे तनाव, अवसाद एंग्जाइटी की पहचान कर उसका निदान करने की बहुत आवश्यकता है।“
मितानिन ने साझा की सफलता की कहानी – छत्तीसगढ़ के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर रही मितानिन ने अपनी सफलता की कहानी लोगों से साझा की। मितानिन ट्रेनर इंदू साकरे, मितानिन नैन साहू, अमरीका वर्मा, पद्मा कौशिक, लक्ष्मी साहू और पूर्णिमा साहू ने मानसिक रूप से अस्वस्थ्य महिला पुरूषों को पहचानकर इलाज कराने संबंधी जानकारी, सफलता की कहानी साझा कर दी।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुमी जैन ने किया। वेबीनार में महिलाओं , छात्राओं के अलावा मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत पदस्थ प्रशिक्षित चिकित्सा अधिकारी, क्लिनिकल साइक्रेट्रिक, सोशल वर्कर, साइकेट्रिक नर्स एवं कम्युनिटी नर्स शामिल हुए।