रायपुर: धरती पर ऊर्जा के स्रोत भगवान शंकर और मां पार्वती के विवाह की वर्षगांठ के रूप में आज जिन्दल स्टील एंड पावर के मशीनरी डिवीजन प्रांगण स्थित मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व पूरे उत्साह एवं भक्ति भाव से मनाया गया। प्रातः पूजा, भजन-आरती के आयोजन के बाद प्रसाद वितरण किया गया और भगवान शंकर की महिमा का बखान भी किया गया। इस अवसर पर कार्मिक विभाग के प्रमुख सूर्योदय दुबे, खरीद विभाग के प्रमुख संदीप अग्रवाल आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
मंदिर के पुजारी वीपी पांडे ने कहा कि हम सिर्फ भगवान शंकर और पार्वती के विवाह की वर्षगांठ के रूप में ही महाशिवरात्रि नहीं मनाते बल्कि अनेक अन्य कहानियां भी इस पर्व से जुड़ी हैं। कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन हो रहा था तब आज ही विष मिला था, जिसे पीकर भगवान शंकर का कंठ नीला पड़ गया था और इस कारण उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है। विष पीकर उन्होंने देवताओं और लोगों की रक्षा की, इसलिए भी महाशिवरात्रि पर उनका स्मरण किया जाता है। इसी तरह भगीरथ की तपस्या से खुश होकर जब मां गंगा धरती पर आईं तब भारी प्रलय की आशंका उत्पन्न हो गई। उस समय भगवान शंकर ने मां गंगा को अपनी जटा में बांध लिया और अलग-अलग धाराओं के रूप में धरती पर प्रवाहित होने का अवसर प्रदान किया। इस कारण भी भगवान शिव की महाशिवरात्रि के अवसर पर पूजा-आराधना की जाती है। एक और कथा प्रचलित है कि आज के ही दिन सदाशिव महादेव लिंग रूप में धरती पर प्रकट हुए इसलिए लोग रात्रि जागरण कर उनकी आराधना करते हैं।