रायपुर/09 जून 2022। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि एक बार फिर मोदी सरकार ने खरीफ़ फसलों के 2022-23 के समर्थन मूल्य घोषित करने में देश के किसानों से घोर विश्वासघात किया है। किसान की आमदनी बढ़ाना तो दूर, किसान का दर्द सौ गुना बढ़ा दिया है। एक तरफ़ सरकार पर्याप्त मात्रा में फसल समर्थन मूल्य पर नहीं खरीद रही है, वहीं दूसरी ओर लागत बढ़ाकर किसानों की आमदनी को आधा कर दिया है। हाल ही में RBI ने बताया कि देश में महँगाई की दर 6.7% होकर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। दूसरी ओर सरकार ने खरीफ़ फ़सलों के जो समर्थन मूल्य जारी किए हैं, वो उस महँगाई दर की वृद्धि से भी कम वृद्धि समर्थन मूल्य में की है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि NSSO ने हाल ही में जारी रिपोर्ट में बताया था कि किसानों की औसत आमदनी 27 रु. प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज 74000 रु हो गया है। मोदी सरकार को किसानों से सरोकार है तो किसानों से सिर्फ समर्थन मूल्य घोषित करने की औपचारिकता का छलावा करने की अपेक्षा समर्थन मूल्य का कानून बनाए। सरकार ने छह साल पहले 2016 में किसानों के साथ फसलों के दाम दो गुना करने का छलावा किया था उसकी पोल खुद एग्रीकल्चर की पार्लियामेंट्री कमेटी ने खोल दी उसने बताया कि सरकार की आमदनी दोगुनी करने की घोषणा बहुत दूर की कौड़ी है। सरकार लगातर कृषि बजट का प्रतिशत कुल बजट में कम कर रही हैं और बीते 3 सालों में 67 हजार करोड़ कृषि बजट के खर्च ही नहीं किए सरेंडर कर दिए। किसान सम्मान निधि के नाम पर 6,000 रु. साल देने का स्वांग किया और 25,000 रु. प्रति हेक्टेयर खेती की लागत बढ़ाकर किसानों को लूट लिया। डीज़ल पर केंद्रीय एक्साईज़ ड्यूटी 2014 में 3.56 प्रति लीटर से बढ़ाकर 15.80 रु. प्रति लीटर कर दिया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार खेती पर टैक्स यानि जीएसटी लगाया गया। ट्रैक्टर व खेती के उपकरणों पर 12% टैक्स। ट्रैक्टर के टायर व अन्य पुर्जों पर 18% टैक्स। खाद पर 5% टैक्स। कीटनाशक दवाईयों पर 18 % टैक्स। हाल ही में पार्लियामेंट्री कमिटी ऑन एग्रीकल्चर ने बताया कि मोदी सरकार ने 2019-20 से 2021-22 के बीच कृषि विकास का 67,929 करोड़ रु. खर्च की नहीं किया और उसे सरेंडर कर दिया। पार्लियामेंट्री कमिटी ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार कुल बजट में से प्रतिवर्ष कृषि बजट को कम करती जा रही है। 2019-20 में कुल बजट का 4.68% कृषि बजट का हिस्सा था। इसे कम करके 2020-21 और 2021-22 में क्रमशः 4.41%, 3.53% और 2022-23 में मात्र 3.14% कर दिया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि साल 2016 में मोदी सरकार ने कहा कि विश्व की सबसे अच्छी बीमा फसल योजना ला रहे हैं, जबकि उसकी सच्चाई यह है कि इस फसल बीमा योजना में निजी कंपनियों ने 34,000 करोड़ रु. कमाए और गुजरात सहित 6 प्रांतों ने इस योजना को बंद कर दिया। हाल ही में मोदी सरकार ने रबी फ़सल के गेहूँ किसानों को बहुत बड़ा धोखा दिया है। अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों के चलते इस बार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूँ की कीमत अच्छी थी, तो एक तरफ एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया और दूसरी तरफ समर्थन मूल्य पर गेहूँ की खरीदी आधे से भी कम कर दी। पिछले वर्ष रबी मार्केटिंग सीज़न में समर्थन मूल्य पर गेहूँ 433.4 लाख टन खरीदा गया था, जो इस बार मई माह तक मात्र 186.5 लाख टन खरीदा गया है। देश अपेक्षा कर रहा था कि गेहूँ पर 250 रु. का बोनस घोषित कर सरकार पर्याप्त मात्रा में गेहूँ खरीदेगी, मगर मोदी सरकार ने देश के किसानों के साथ विश्वासघात किया।