जनजातीय गौरव दिवस-2024 : स्वस्थ मानसिकता से होगा जनजातीय समाज की भावी-पीढ़ी का समुचित विकास

रायपुर, 14 नवम्बर 2024 : रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में दो दिवसीय जनजातीय गौरव दिवस 2024 एवं अंतर्राज्यीय आदिवासी लोक नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन केवल आदिवासी लोक नृत्य तक ही सम्बन्धित नहीं है, बल्कि साइंस कॉलेज मैदान में आदिवासियों से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों से जुड़े कार्यक्रम भी यहां आयोजित किए गए हैं। आज पहले दिन ’जनजातीय समुदायों के युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।

इस संगोष्ठी-परिचर्चा के प्रमुख वक्ता छत्तीसगढ़ राज्य कौशल विकास प्राधिकरण के सीईओ एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एमडी श्री विजय दयाराम के. ने कहा कि जनजातीय समुदाय के भावी पीढ़ियों के युवाओं के मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए बस्तर के कलेक्टर के रूप में जनजातीय क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए ’मनोबस्तर’ कार्यक्रम की शुरुआत की।

उनके इस अभियान का मूल उद्देश्य था जनजातीय लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के लिए न केवल मनोबस्तर पर काम करना बल्कि छत्तीसगढ़ के सभी जनजातीय समाज के साथ जुड़कर उन सभी युवाओं से संपर्क करना है जो अपनी बातों को किसी दूसरे तक पहुंचा नहीं पाते हैं। श्री विजय दयाराम के, ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार अपने देश के युवाओं के मेंटल हेल्थ को लेकर बेहद चिंतित है और अपनी नई नीतियों से सभी राज्यों के युवाओं के मेंटल हेल्थ पर ध्यान केंदित करने जा रही है।

दूसरे वक्ता के रूप में डॉ. सचिन बर्बड़े ने सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ जनजातीय क्षेत्रों में सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य में अपने 10 वर्षों के अनुभव के आधार पर कहा कि आदिवासी समुदाय के युवाओं के मानसिक स्वास्थ को लेकर उनकी टीम ’सुखू दुखू’ नाम से एक ऐसी योजना का संचालन करती है जिसमें आदिवासी युवक-युवती अपने सुख-दुख को अपने हमउम्र के लोगों के साथ बांट सकते हैं।

तीसरे वक्ता के रूप में एमएचआई की सीईओ सुश्री प्रीति श्रीधर मारीवाला ने जनजातीय समुदाय के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर अपने 25 वर्षों के अनुभव के आधार पर कहा कि जनजातीय युवक-युवतियों के मानसिक स्वास्थ को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है कि उनकी स्थानीय भाषा में उनसे जुड़ा जाए और उनके साथ बातचीत कर उनकी मनःस्थिति को समझा जाए।

चौथी एवं अंतिम वक्ता बस्तर विश्वविद्यालय में बी.एससी. जूलॉजी की छात्रा मनीषा नाग मनोबस्तर कार्यक्रम में स्वयंसेवक हैं। मनीषा अपने समुदाय के जनजातीय युवाओं के बीच मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता और सहायता का कार्य अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जनजातीय समुदाय के युवक-युवतियों के मानसिक स्वास्थ्य को समझने के साथ-साथ उनके विकास को लेकर भी हमें गम्भीर होना होगा और हमें जमीनी स्तर पर जनजातीय समुदाय के लोगों के साथ जुड़ना होगा, तभी हम उनके विकास में सहभागी बन पाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *