श्री राहुल गांधी को बुनकर श्री नरसिंह देवांगन ने राजकीय गमछा किया भेंट
’बस्तर थाली’ को देखकर श्री राहुल गांधी हुए रोमांचित
वन विकास एवं रोजगार मिशन के डोम में पहुँचे, वन धन विकास केन्द्रों के कार्यों की ली जानकारी
‘आमचो बस्तर‘ के ईको टूरिज्म अभियान से श्री राहुल गांधी हुए परिचित
रायपुर, 3 फरवरी 2022/ राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सांसद श्री राहुल गांधी एवं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल वन धन विकास केन्द्र धमतरी के स्टॉल में पहुँचे। यहां एलोविरा समेत 11 तरह के वनोपज से बनाए जा रहे 21 तरह के उत्पादों की जानकारी अतिथियों को दी गई। स्व-सहायता समूह द्वारा कार्यक्रम स्थल पर ही बनाए जा रहे उत्पादों को देखकर सांसद श्री राहुल गांधी ने भी रुचि दिखाई और स्वयं भी एलोविरा से सोप (साबुन) बनाया। श्री राहुल गांधी द्वारा बनाया गया साबुन उन्हें उपहार स्वरूप दिया गया। वहीं वन विकास एवं रोजगार मिशन के डोम के अवलोकन के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन संघ की ओर से लगाए गए स्टॉल में भी सांसद श्री राहुल गांधी पहुँचे। यहां श्री गांधी को अपने बीच सहज रूप से पाकर बुनकर श्री नरसिंह देवांगन ने उन्हें छत्तीसगढ़ का राजकीय गमछा भेंट किया।
वन विकास एवं रोजगार मिशन के डोम में वनोपज और वन उत्पादों के बारे में जानने को लेकर सांसद श्री राहुल गांधी की उत्सुकता देखते ही बनी। वन धन विकास केन्द्र के विभिन्न स्टॉलों में पहुँचकर सांसद श्री राहुल गांधी ने उनके कार्यों और रोज़गार की जानकारी ली। छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के स्टॉल में पहुँचे सांसद श्री राहुल गांधी को छत्तीसगढ़ में पैदा में होने वाले विभिन्न प्रकार के कोसा और उनसे बनने वाले उत्पाद, कपड़ा निर्माण और उनमें वैल्यू एडिशन जैसे गोदना, क़सीदाकारी, रुई (पोनी) से वस्त्रों के निर्माण की जानकारी दी गई। श्री राहुल गांधी ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं से उनके रोज़गार के अवसरों के बारे में पूछा। इस दौरान एक समूह की सदस्य सुश्री नारायणी टेकाम ने उन्हें बताया कि उनके समूह द्वारा 21 तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं। इसे बाज़ार में बिक्री पर समूह को महीने में 50-60 हज़ार रुपये की आमदनी हो जाती है। प्रत्येक सदस्य को महीने में 4-5 हज़ार की आय होती है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद 7 से बढ़ाकर 61 वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है। इससे वनवासियों के जीवन स्तर में सुधार देखने को मिल रहा है। वनोपजों की बिक्री से जहां वनवासियों को रोजगार मिला है, वहीं आर्थिक संबलता भी मिली है। वनोपज से विकास की गाथा को दर्शाने के लिए साइंस कॉलेज मैदान में वन विकास एवं रोजगार मिशन का डोम बनाया गया है।
छत्तीसगढ़ में उत्पादन होने वाले वनोपजों से बने उत्पादों की बिक्री श्छत्तीसगढ़ हर्बल्सश् ब्रांड नेम से की जा रही है। वन विकास एवं रोजगार मिशन के डोम में श्छत्तीसगढ़ हर्बल्सश् ब्रांड के विभिन्न उत्पादों को प्रदर्शित करता स्टॉल लगाया गया है। जहां स्व-सहायता समूह द्वारा निर्मित छत्तीसगढ़ हर्बल्स ब्रांड के उत्पाद हनी, महुआ कुकीज, बस्तर काजू, आँवले का मुरब्बा, च्यवनप्रॉश को मिलाकर प्रीमियम गिफ़्ट हैम्पर भी तैयार किया गया है। छत्तीसगढ़ हर्बल्स ब्रांड की जानकारी देते हुए एडमिनिस्ट्रेशन हेड डॉ. देवयानी शर्मा ने बताया कि “छत्तीसगढ़ हर्बल्स” ने विभिन्न उत्पादों की बिक्री कर बीते 9 महीने में ही 7 करोड़ रुपए की आमदनी की है। यह बीते वर्ष की बिक्री से 460 फीसदी ज़्यादा है।
“आमचो बस्तर” अभियान में दिखाई दिलचस्पी –
ज़िला प्रशासन बस्तर ओर से “आमचो बस्तर” अभियान के अंतर्गत बस्तर में ईको टूरिज़्म और एडवेंचर स्पोर्ट्स को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसकी झलक वन विकास एवं रोज़गार मिशन के डोम में देखने को मिली। यहां सांसद श्री राहुल गांधी के सामने रॉक क्लाइंबिंग का प्रदर्शन किया गया। सांसद श्री राहुल गांधी को बताया गया कि “आमचो बस्तर पर्यटन यूनियन” में क़रीबन दो हज़ार से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। इसमें ग्राम स्तरीय पर्यटन समिति, नाचा दल, होम स्टे, हस्त शिल्पकार शामिल हैं। सांसद श्री राहुल गांधी को बताया गया कि “आमचो बस्तर पर्यटन यूनियन” में क़रीबन दो हज़ार से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। अतिथियों के सामने बस्तर टूरिज़्म को लेकर फ़िल्म का भी प्रदर्शन किया गया।
बस्तर थाली का स्वाद चखा –
वन विकास एवं रोज़गार मिशन के डोम में सांसद श्री राहुल गांधी एवं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मड़िया पेज, सल्फ़ी, चापड़ा चटनी, इमली चटनी, कांदा भाजी, देसी चिकन, लड्डू, गुड़ नारियल लड्डू, बस्तर कॉफी, आमट को शामिल कर सजाई गई “बस्तर की थाली” को देखा। कई तरह के व्यंजनों से भरी थाली और बस्तर के पेय पदार्थों को देखकर सांसद श्री राहुल गांधी के चेहरे पर अलग ही रोमांच नजर आया। उन्होंने सारे व्यंजनों की जानकारी ली उनका स्वाद चखा।