गिधवा परसदा क्षेत्र में पक्षी विवेचना एवं जागरूकता केन्द्र

रायपुर17 जून । गिधवा-परसदा क्षेत्र में पक्षी जागरूकता एवं प्रशिक्षण केन्द्र की होगी स्थापना राज्य के समस्त वेटलैंड का होगा संरक्षण एवं प्रबंधन छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड प्रवासी पक्षियों के संरक्षण की योजना छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कि मंशा अनुसार ‘गिधवा-परसदा पक्षी विहार’ को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ के इस पक्षी विहार को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र में स्थापित करने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। पक्षी विज्ञानियों, प्रकृति प्रेमियों और यहां आने वाले सैलानियों के लिए विभिन्न सुविधाएं विकसित की जाएंगी। यहां विश्व के विभिन्न प्रवासी पक्षियों का आवागमन होता हैं। विशेषकर साल के माह नवम्बर से मार्च (05 माह) में यहां ये पक्षी रहवास करते हैं गिधवा-परसदा जलाशय है और वहां विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों और जलाशय के मनोरम और विहंगम दृश्यों को देखा व निहारा जा सकता है गिधवा एवं परसदा ग्रामों के आस-पास जिन क्षेत्रों में प्रवासी पक्षी आते हैं, उसके संरक्षण की योजना बनाकर छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा कार्य किया गया । साथ ही क्षेत्र में एक पक्षी जागरूकता एवं प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया। यहां राज्य के प्रवासी एवं स्थानीय पक्षियों की जैव विविधता संबंधी जानकारी एवं प्रशिक्षण जन सामान्य को दी जाएगी। राज्य के समस्त ऐसे वेटलैंड जिसमें प्रवासी पक्षी आते हैं एवं जैव विविधता के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, उनके संरक्षण एवं प्रबंधन की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड को दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि गिधवा-परसदा के जलाशयों को विश्व स्तरीय पक्षी पर्यटन स्थलों में स्थान दिलाने के लिए यहॉं पक्षी विहार महोत्सव का आयोजन किया गया। पक्षियों के संरक्षण के साथ-साथ जैव विविधता संरक्षण तथा स्थानीय लोगों को ईको-पर्यटन के माध्यम से होम, विलेज स्टे से रोजगार उपलब्ध होगा। बेमेतरा जिले के गिधवा-परसदा, नगधा, एरमशाही क्षेत्र जलीय एवं स्थल जैव विविधता से भरपूर है। यह क्षेत्र पारिस्थितिकीय व स्वस्थ्य पर्यावरण के लिये उपयुक्त है। गिधवा-परसदा स्थल मुख्यतः जलीय नमी युक्त क्षेत्र है। इसका भौगोलिक विस्तार लगभग 06 कि.मी. क्षेत्र में है। गिधवा परसदा में मुख्य 02 बड़े तथा 02 मध्यम आकार के जलाशय हैं, नजदीकी ग्राम एरमशाही में 05 जलाशय भी स्थित हैं। गिधवा-परसदा जलीय तंत्र में भरपूर जलीय खाद्य वनस्पति व जीव होने के कारण यहां पक्षियों के लिए अच्छा रहवास है। यहां किए गए अध्ययनों में पक्षियों की कुल 143 प्रजातियां जिसमें कुल 26 स्थानीय प्रवासी प्रजातियां, 11 विदेशी प्रवासी प्रजातियां तथा 106 स्थानीय आवासीय प्रजातियां पक्षी पायी गयी है।
जैवविविधता बोर्ड के सदस्य सचिव अरूण कुमार पाण्डेय ने बताया कि बोर्ड के द्वारा राज्य में लगभग 12000 पी.बी.आर. (जन जैवविविधता पजी) तैयारी के लक्ष्य के विरूद्ध 8382 पी.बी.आर. तैयार कर ली गई है तथा यह कार्य सतृत रूप से चल रहा है। बोर्ड के द्वारा गिधवा परसदा क्षेत्र में एक पक्षी विवेचना एवं जागरूकता केन्द्र जो भविष्य में बर्ड सफारी के रूप में भी कार्य करेगा, बनाने का कार्य प्रगति पर है। प्रस्तावित बर्ड सफारी भवन की डिजाईन का भी प्रस्तुतीकरण सदस्य सचिव द्वारा किया गया। सदस्य सचिव ने यह भी बताया कि राज्य में चयनित वेटलैण्ड के संरक्षण का कार्य भी प्रारंभ हो गया है।

गतवर्ष राज्य शासन ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए बायोडायवर्सिटी बोर्ड के कार्यालय को नवगठित छत्तीसगढ़ वेटलैण्ड अथॉरिटी का सचिवालय भी घोषित किया था। राज्य के चयनित स्थलों पर नेचर ट्रेल, बायोडायवर्सिटी अवरनेस वॉक भी विकसित किया जा रहा है। धमतरी वनमंडल में गंगरेल बांध के निकट मानव वन, बिलासपुर के खरोरा सर्कल में इको नेचर कैम्प तथा जांजगीर-चांपा वनमंडल में दलहा पहाड़ में नेचर ट्रेल बनाने का कार्य प्रगति पर है बायोडायवर्सिटी बोर्ड के द्वारा देश के एक मात्र मेरिन फॉसिल क्षेत्र मनेन्द्रगढ़ में मेरिन फासिल बनाने का कार्य भी प्रगति पर है। कांकेर वनमंडल के शाहबाड़ा ग्राम को पक्षी पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने का काम भी बोर्ड के द्वारा किया जा रहा है। सदस्य सचिव ने यह भी अवगत कराया कि गत एक वर्ष में बोर्ड के द्वारा राज्य के अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों को गुजरात के केवडिया गांधी नगर में स्थापित केक्टस गॉर्डन तथा उड़ीसा में रामसर स्थलों के अध्ययन हेतु प्रवास पर भेजा गया है.

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